अग्निकुमार रस (Agnikumar Ras)

अग्निकुमार रस agnikimar ras

परिचय (Introduction):

अग्निकुमार रस (Agnikumar Ras) अग्नि को प्रदीप्त करता है और वातप्रकोप से उत्पन्न अजीर्ण (Indigestion, Dyspepsia), विसूचिका (Cholera) और कफरोग को दूर करता है। यह अपचन-जनित उदरवात (पेट की गैस), गुदामार्ग में वातसंचय, गुल्मजनित वात और अन्य कोष्ठस्थ वातविकार का शमन करता है। इस रस में दीपन-पाचन और वातघ्न (वायु नाशक) गुण प्रधान हैं। अफरा, पेट दर्द, पेट में वायु संगृहीत होना, वायु बाहर न निकलने से अति व्यथा होने पर यह रस तत्काल शमन करता है।

अग्निकुमार रस (Agnikumar Ras) के घटक (Ingredients):

  • शुद्ध पारा (Shuddha Parada) – 1 भाग
  • शुद्ध गंधक (Shuddha Gandhaka) – 1 भाग
  • सोहागे का फुला (Borax) – 1 भाग
  • शुद्ध वत्सनाभ (Shuddha Vatsanabha) – 1 भाग
  • शंख भस्म (Shankha Bhasma) – 2 भाग
  • कौड़ी भस्म (Kaudi Bhasma) – 2 भाग
  • कालीमिर्च (Black Pepper) – 8 भाग
  • भावना: जंबीरी नींबू का रस

अग्निकुमार रस (Agnikumar Ras) के फायदे (Benefits):

  1. अजीर्ण (Indigestion): अग्निकुमार रस उष्णवीर्य (गरम) होने से इसका उपयोग कफप्रधान, वातप्रधान और कफवातप्रधान अजीर्ण में उत्तम होता है।
  2. उदर शूल (Stomach Pain): यदि पेट दर्द तीव्र हो, तो घी को पतला कर उसके साथ अग्निकुमार रस देना हितकर है।
  3. विसूचिका (Cholera): अजीर्णजन्य विसूचिका के लक्षण – भयंकर पेट दर्द, अफरा, मुंह में बार-बार जल भर जाना, बार-बार वमन (उल्टी) होना, उदर (पेट) में जड़ता भासना आदि होने पर अग्निकुमार रस देना चाहिए।
  4. प्रतिश्याय (Cold): बार-बार प्रतिश्याय होने का स्वभाव और साथ-साथ अपचन; अथवा अपचन होकर प्रतिश्याय होना, इन विकारों पर अग्निकुमार रस उत्तम सफल औषधि मानी गई है।
  5. वमन (Vomiting): पेट में आम या कफ संगृहीत होकर बार-बार उबाक होकर उल्टी होती है। वमन में कुछ मीठा, चिकना या बेस्वाद जल या झाग निकलता है।

सेवन मात्रा (Dosage):

1 से 2 गोली दिन में 2 बार जल के साथ। चिकित्सक के निर्देशानुसार

दुष्प्रभाव (Side Effects):

बच्चों को न दें – इस औषधि की ज्यादा मात्रा लेने से यह नुकसान पहुंचा सकती है।

निष्कर्ष (Conclusion):

दोस्तों, अग्निकुमार रस एक प्रभावी आयुर्वेदिक औषधि है जो पाचन तंत्र को सुधारने और वातदोष से उत्पन्न विकारों का समाधान करने में सहायक है। इसका नियमित और सही मात्रा में सेवन करने पर यह औषधि बहुत लाभकारी सिद्ध होती है। आयुर्वेद के सिद्धांतों के अनुसार, यह औषधि आपके पाचन तंत्र को सशक्त बनाकर संपूर्ण स्वास्थ्य में सुधार लाने में मदद करती है।

अस्वीकरण (Disclaimer):

यह जानकारी केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए है और इसे चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। किसी भी नई औषधि का सेवन शुरू करने से पहले कृपया अपने चिकित्सक से परामर्श करें। आपकी स्वास्थ्य स्थिति और व्यक्तिगत आवश्यकताओं के आधार पर उचित चिकित्सा मार्गदर्शन आवश्यक है।

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