अभयारिष्ट के फायदे-मुख्य रूप से आयुर्वेद चिकित्सक अभयारिष्ट के फायदे अर्श रोगमें ज्यादा होते है । अर्श रोग का मुख्य कारण मल का अवरोध ही है । मलावरोध को हटाकर पाइल्स रोग को जल्दी से ठीक करने में सहायक है ।
द्रव रूप में औषधियों के सहयोग से बनाया जाता है । भेषज्य रत्नावली के अनुसार अभयारिष्ट का रोगाधिकार अर्श[ पाइल्स] है ।
Table of Contents
अभयारिष्ट के घटक द्रव्य-
- हरीतकी 50 भाग
प्रक्षेप द्रव्य
- विडंग 5 भाग
- गोक्षुर एक भाग
- द्राक्षा 25 भाग
- धनिया एक भाग
- मधुक पुष्प 5 भाग
- इंद्रायण एक भाग
- गुड आवश्यकतानुसार
- शत पुष्पा एक भाग
- दंतिमुल एक भाग
- त्रिवृत एक भाग
- चव्य एक भाग
- सोंठ एक भाग
- धातकी के फूल एक भाग
- शाल्मली निर्यास एक भाग
अभयारिष्ट के फायदे एवं उपयोग
- अर्श रोग में मुख्य रूप से उपयोग किया जाता है ।
- भगंदर रोग ने उपयोग किया जाता है ।
- फिशर रोग में भी उपयोग किया जाता है ।
- लगातार कब्जी रहने की समस्या में भी अभयारिष्ट का उपयोग किया जाता है ।
- पेट दर्द या पेट से संबंधित समस्याओं के लिए भी आयुर्वेद चिकित्सक द्वारा इसका प्रयोग करवाया जाता है ।
सेवन मात्रा-
दो से चार छोटी चाय की चम्मच या या 10mlसे 20ml मात्रा में गुनगुना पानी मिलाकर सुबह शाम भोजन करने के उपरांत चिकित्सक के निर्देशानुसार सेवन करें ।
कहां से खरीदें?
आयुर्वेदिक मेडिकल स्टोर पर आसानी से उपलब्ध है । कई कंपनियां ऑनलाइन भी अभयारिष्ट के नाम से विक्रय करती है ।
सावधानी-
बच्चों की पहुंच से दूर रखें ।
निर्देशित मात्रा से अधिक सेवन ना करें ।
कब्जी करने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन ना करें ।
चेतावनी- यहां पर दी गई समस्त जानकारी चिकित्सापरामर्श नहीं है । किसी भी आयुर्वेदिक औषधि के सेवन से पूर्व रजिस्टर्ड आयुर्वेद चिकित्सक की सलाह अवश्य ले ।
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