अष्टांग योग नियम क्या है

अष्टांग योग नियम क्या है

अष्टांग योग नियम क्या है अष्टांग योग (Ashtanga Yoga) में, नियम (Niyama) योग के दूसरे अंग (लिम्ब) हैं, और इनका मतलब है योगी के आचरण और आदर्श जीवन को सुधारना और समृद्धि प्राप्त करना। नियम योगी के आंतरिक और आध्यात्मिक उन्नति को प्रोत्साहित करने में मदद करते हैं। अष्टांग योग में, नियमों का पालन करने का सलाह दिया जाता है, जो निम्नलिखित होते हैं:

  1. शौच (Purity): योगी को अपने शारीरिक और मानसिक शुद्धि का ध्यान रखना चाहिए। इसमें निराहार, निरोध, निरंकुश, और निरालम्ब की प्राथमिकता होती है।
  2. संतोष (Contentment): योगी को अपने जीवन के साथ संतोष रखना चाहिए और सामाजिक या आर्थिक आवश्यकताओं के पीछे नहीं दौड़ना चाहिए।
  3. तपस्या (Austerity): तपस्या का मतलब है योगी को अपने आत्मा की पुनर्निर्माण के लिए तपस्या करना, जैसे कि ध्यान और तपस्या के माध्यम से।
  4. स्वाध्याय (Self-study): योगी को अपने आत्मा की जांच करने और स्वयं की गतिविधियों की अध्ययन करने का समय निकालना चाहिए।
  5. ईश्वर प्रणिधान (Surrender to a Higher Power): योगी को ईश्वर के सामने समर्पण करना चाहिए और उन्हें दिव्य शक्ति की ओर से मार्गदर्शन प्राप्त करने की सलाह दी जाती है।

ये नियम योगी को उनके आध्यात्मिक और आदर्श जीवन में उन्नति करने में मदद करते हैं और उन्हें एक संतुलित और सफल जीवन जीने की मार्गदर्शन करते हैं।

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