आयुर्वेद के अनुसार किसके साथ क्या नहीं खाएं -आयुर्वेद, जो कि भारतीय उपमहाद्वीप में लगभग 5000 वर्ष पूर्व विकसित हुआ, एक प्राचीन चिकित्सा पद्धति है जो स्वास्थ्य और चिकित्सा के समग्र दृष्टिकोण पर आधारित है। इस पद्धति में, ‘विरुद्ध आहार’ और ‘विरुद्ध विहार’ की अवधारणा विशेष महत्व रखती है, जो अस्वास्थ्यकर जीवनशैली और आहार सम्बन्धी आदतों को दर्शाती है। विरुद्ध आहार और विहार का अर्थ है ऐसे खाद्य पदार्थों और जीवनशैली आदतों का चयन करना जो आपस में या शरीर के साथ संगत नहीं हैं। आज हम इस लेख में इसी विषय पर चर्चा करेंगे, साथ ही वैज्ञानिक दृष्टिकोण और फैक्ट्स को साझा करेंगे।
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विरुद्ध आहार: एक अवलोकन
विरुद्ध आहार, यानी आहार के संदर्भ में वह खान-पान जो हमारे शरीर के साथ मेल नहीं खाता। उदाहरण के लिए, दूध और मछली का सेवन एक साथ करना, या फिर फलों को दही के साथ मिलाकर खाना। आयुर्वेद के अनुसार, इस तरह के संयोजन से अमा (शरीर में टॉक्सिन्स का निर्माण) का संचय हो सकता है, जो विभिन्न प्रकार के रोगों का कारण बन सकता है।
आयुर्वेद में खाद्य पदार्थों का संयोजन बहुत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि यह विश्वास है कि कुछ खाद्य संयोजन हमारे पाचन और समग्र स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं। इस लेख में, हम कुछ ऐसे खाद्य पदार्थों के संयोजनों के बारे में चर्चा करेंगे जिनसे बचना चाहिए, और यह भी समझेंगे कि ऐसा क्यों महत्वपूर्ण है।
दूध के साथ नहीं खाने चाहिए
दूध के साथ दही, नमक, मूली, मूली के पत्ते, कच्चे सलाद, सहिजन, इमली, खरबूजा, बेलफल, नारियल, नींबू, करौंदा, जामुन, अनार, आँवला, गुड़, तिलकुट, उड़द, सत्तू, तेल और खट्टे फल या खटाई, मछली आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। इससे पाचन संबंधी समस्याएं और अन्य स्वास्थ्य विकार हो सकते हैं।
दही के साथ नहीं खाने चाहिए
दही के साथ खीर, दूध, पनीर, गर्म पदार्थ, खीरा, खरबूजा आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। यह संयोजन पाचन क्रिया को बाधित कर सकता है और अमा का निर्माण कर सकता है।
खीर के साथ नहीं खाने चाहिए
खीर के साथ कटहल, खटाई (दही, नींबू आदि), सत्तू, शराब आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। यह संयोजन शरीर में विषाक्त पदार्थों का निर्माण कर सकता है।
शहद के साथ नहीं खाने चाहिए
शहद के साथ घी (समान मात्रा में पुराना घी), वर्षा का जल, तेल, वसा, अंगूर, कमल का बीज, मूली, ज्यादा गर्म जल, गर्म दूध या अन्य गर्म पदार्थ, शार्कर आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। शहद को गर्म करने से भी बचना चाहिए क्योंकि यह हानिकारक होता है।
ठंडे जल के साथ नहीं खाने चाहिए
ठंडे जल के साथ घी, तेल, गर्म दूध या गर्म पदार्थ, तरबूज, अमरूद, खीरा, ककड़ी, मूंगफली, चिलगोजा आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।
गर्म जल या गर्म पेय के साथ नहीं खाने चाहिए
गर्म जल या गर्म पेय के साथ शहद, कुल्फी, आइसक्रीम व अन्य शीतल पदार्थ का सेवन नहीं करना चाहिए।
घी के साथ नहीं खाने चाहिए
घी के साथ समान मात्रा में शहद, ठंडे पानी का सेवन नहीं करना चाहिए।
खरबूजा और तरबूज के साथ नहीं खाने चाहिए
खरबूजा के साथ लहसुन, दही, दूध, मूली के पत्ते, पानी आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। तरबूज के साथ ठंडा पानी, पुदीना आदि विरुद्ध हैं।
नमक और उड़द की दाल के साथ नहीं खाने चाहिए
नमक का अधिक मात्रा में और अधिक समय तक सेवन हानिकारक है। उड़द की दाल के साथ मूली नहीं खानी चाहिए।
केला के साथ नहीं खाने चाहिए
केला के साथ मट्ठा पीना हानिकारक है।
विशेष सावधानी
घी को काँसे के बर्तन में दस दिन या अधिक समय तक रखने से वह विषाक्त हो जाता है। दूध, सुरा, खिचड़ी – इन तीनों को मिलाकर खाना विरुद्धाहार है।
इस प्रकार के विरुद्ध आहार के सेवन से शरीर के धातु और दोष असंतुलित हो जाते हैं, परिणामस्वरूप अनेक प्रकार के रोग उत्पन्न हो सकते हैं। इसलिए, आयुर्वेद में सलाह दी जाती है कि इन खाद्य पदार्थों के संयोजनों से बचा जाए। यह न केवल पाचन स्वास्थ्य में सुधार करेगा बल्कि समग्र रूप से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाएगा।
विरुद्ध विहार: जीवनशैली में असंगतियाँ
विरुद्ध विहार का संदर्भ उन जीवनशैली सम्बन्धी आदतों से है जो हमारी प्राकृतिक दिनचर्या और शरीरिक लय के विपरीत हैं। उदाहरण के लिए, रात को देर तक जागना और सुबह देर से उठना, या भोजन के तुरंत बाद भारी व्यायाम करना। इस तरह की आदतें न केवल पाचन क्रिया को बिगाड़ सकती हैं बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण और फैक्ट्स
आधुनिक विज्ञान ने भी विरुद्ध आहार और विहार के कुछ पहलुओं की पुष्टि की है। उदाहरण के लिए, प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट का एक साथ सेवन करने से पाचन क्रिया में देरी हो सकती है, क्योंकि दोनों को पचाने के लिए शरीर को अलग-अलग एंजाइमों की आवश्यकता होती है। इसी तरह, विज्ञान यह भी बताता है कि रात में देर तक जागने से मेलाटोनिन के उत्पादन में बाधा आती है, जो नींद के चक्र को प्रभावित कर सकता है।
निष्कर्ष
विरुद्ध आहार और विहार की अवधारणा आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है, और आधुनिक विज्ञान भी इसके कुछ पहलुओं की पुष्टि करता है। हालाँकि, हर व्यक्ति का शरीर अलग होता है और इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि प्रत्येक व्यक्ति अपने शरीर की प्रतिक्रिया को समझे और उसी के अनुसार आहार और जीवनशैली के निर्णय ले। अंत में, स्वस्थ जीवनशैली की ओर कदम बढ़ाने के लिए संतुलित आहार और उचित जीवनशैली के महत्व को समझना ज़रूरी है।
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