कोलेस्ट्रोल कैसे कम करें-कोलेस्ट्रॉल ह्रदय रोग से जुड़ा हुआ एक नाम है । अगर आप ह्रदय से जुड़ी समस्याओं के लिए चिकित्सक के पास जाते हैं । तो आपसे कोलेस्ट्रॉल की जांच के लिए कहा जाता है । आखिर केलोस्ट्रोल क्या है? ह्रदय रोगों में इसका क्या प्रभाव है ? आइए जानते हैं
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केलोस्ट्रोल क्या है?
केलोस्ट्रोल शरीर में रक्त में पीले रंग का चिपचिपा पदार्थ होता है । जिसे कोलेस्ट्रॉल कहते हैं । यह प्रोटीन के साथ मिलकर शरीर में रक्त के साथ घूमता रहता है । तब इसे लाइपो प्रोटीन कहा जाता है ।
शरीर में दो तरह के कोलेस्ट्रोल प्रोटीन होते हैं ।
हाई डेंसिटी प्रोटीन( एचडीएल)( बैड कोलेस्ट्रॉल)-
यह बुरा कोलेस्ट्रॉल होता है । यह रक्त वाहिनीयो
की अंदर की भाग में आसानी से जम जाता है । जिसके कारण रक्त प्रवाह बाधित होता है ।
लो डेंसिटी प्रोटीन( एलडीएल)( गुड केलोस्ट्रोल)-
इसे गुड केलोस्ट्रोल कहा जाता है जो कि अच्छा कोलेस्ट्रॉल है । यह चिपके हुए बेड कोलेस्ट्रॉल को रक्त वाहिनीयो से अलग करने का कार्य करता है ।
रक्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा अधिक होने पर हार्ट अटैक, हाइपरटेंशन, स्ट्रोक की समस्या होने की संभावना अधिक रहती है । लेकिन यह भी जरूरी नहीं है की हार्टअटैक और स्ट्रोक जैसी समस्या केवल कोलेस्ट्रॉल की वजह से हो । कभी-कभी सामान्य कोलेस्ट्रॉल में भी हार्ट अटैक के केस देखे जाते हैं ।
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कोलेस्ट्रोल का सामान्य एवं असामान्य स्तर
सामान्य कोलेस्ट्रॉल- 200 मिलीग्राम प्रति डीएल
ह्रदय रोगी की आशंका- 200 मिलीग्राम प्रति डीएल से 239 मिलीग्राम प्रति डीएल
गंभीर ह्रदय रोगी- 240 मिलीग्राम प्रति डीएल से अधिक
गुड कोलेस्ट्रॉल-( एचडीएल)- 60मिलीग्राम प्रतिसे अधिक ह्रदय रोग की कम संभावना
40 से 60मिलीग्राम प्रतिडी एल – ह्रदय रोग होने की संभावना की किनारे पर
40 मिलीग्राम प्रति डी एल से कम- हाई रिस्क ह्रदय रोग
बेडकेलोस्ट्रोल- (एलडीएल)
100मिलीग्राम प्रति डी एल या उससे कम होने पर ह्रदय रोग की कम संभावना
कोलेस्ट्रोल का स्तर हमारी जीवन शैली, खानपान पर बहुत अधिक निर्भर करता है । अगर अच्छा कोलेस्ट्रॉल अधिक होगा बुरा कोलेस्ट्रॉल अपने आप कम हो जाएगा । बैड कोलेस्ट्रॉल की बढ़ाने वाली जीवनशैली और खानपान अपनाने पर गुड केलोस्ट्रोल काम होने लगता है । जिससे ह्रदय रोग होने की संभावना अधिक हो जाती है ।
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कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के लक्षण
ब्लड प्रेशर अधिक रहता है ।
लगातार वजन में बढ़ोतरी होना ।
थोड़ा सा काम करने या चलने पर सांस फूलती है ।
अधिक थकान महसूस होना ।
पसीना आना गर्मी लगना ।
जी मचलना बेचैनी रहना
ह्रदय की धड़कन असामान्य रूप से तेज होना ।
हल्का सिर दर्द बना रहना ।
उपरोक्त लक्षण आने पर ह्रदय रोग विशेषज्ञ को अवश्य बताएं ।
कोलेस्ट्रोल कैसे कम करें नियंत्रित करने के उपाय
वजन कम करें।
धूम्रपान छोड़ें।
तंबाकू उत्पादों का सेवन ना करें।
शराब का सेवन ना करें।
मांसाहार का सेवन ना करें।
वसा वाले खाद्य पदार्थों का परहेज करें।
तनाव में ना रहे।
हाई कोलेस्ट्रॉल में जीवन शैली एवं आहार-विहार
बैड कोलेस्ट्रॉल अधिक होने पर शरीर के लिए नुकसानदेह है । नियमित रूप से हल्का व्यायाम करें । चिकित्सक के निर्देशानुसार योग करें । अधिक वसा युक्त खाद्य पदार्थ, घी सेवन ना करें । धूम्रपान शराब का सेवन त्याग दें । लगातार ब्लड प्रेशर की जांच करवाते रहें । वजन कम करने की कोशिश करें ।
कोलेस्ट्रॉल में क्या खाना चाहिए
अन्न – गेहूं चावल
सब्जियां- आलू शकरकंद मूली गाजर
कोलेस्ट्रोल कैसे कम करें आयुर्वेदिक उपाय-
अर्जुन छाल का प्रयोग करें- अर्जुन छाल ह्रदय के लिए अत्यंत ही गुणकारी आयुर्वेदिक औषधि है । जिसका प्रयोग क्षीर पाक विधि अर्थात दूध में 3 ग्राम से 5 ग्राम की मात्रा को पकाकर सेवन करने से कोलेस्ट्रोल का स्तर कम होता है ।
अलसी का प्रयोग करें- अलसी में ओमेगा 3 फैटी एसिड पाए जाते हैं । इसके बीजों का सेवन अथवा बीजों के पाउडर का सेवन करना चाहिए ।
लहसुन का प्रयोग करें- लहसुन में ऐसी प्रॉपर्टीज पाई जाती है जो बेड कोलेस्ट्रॉल को काम करती है ।
ओट्स का प्रयोग करें- ओट्स मे बीटा ग्लूकोन पाया जाता है । कब्ज की समस्या दूर करता है आंतों की सफाई करता है । बैड कोलेस्ट्रॉल के अवशोषण को रोकता है । लगातार प्रयोग करने से कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करता है ।
दाल एवंअंकुरित अनाज का प्रयोग करें- अंकुरित दाल एवं अंकुरित अनाज
ऑलिव ऑयल का प्रयोग करें- ऑलिव ऑयल का भोजन में प्रयोग करने से कोलेस्ट्रोल का बढ़ता हुआ स्तर रुक जाता है । इसकी प्रयोग से निश्चित रूप से कोलेस्ट्रॉल के रोगियों को फायदा होता है ।
सूरजमुखी के तेल का प्रयोग करें- सूरजमुखी का तेल हाई बेड कोलेस्ट्रॉल वालों के लिए फायदेमंद होता है ।
खट्टे फलों का प्रयोग करें- नींबू संतरा नारंगी मौसंबी जैसे विटामिन सी की प्रचुर मात्रा वाले सालों से लाभ होता है ।
काले चने का प्रयोग करें- चने में विटामिन कैल्शियम मैग्निशियम फाइबर आईरन कार्बोहाइड्रेट फास्फोरस जैसे कई प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते हैं । इसका प्रयोग रात को पानी में भिगोकर सुबह सेवन करें । चने को तवे पर भूलकर भी प्रयोग करने से फायदा होता है । चने की सब्जी बनाकर इसका प्रयोग किया जा सकता है ।
सरसों की तेल का प्रयोग करें- हमारे पूर्वज शुरुआत में पहले सरसों के तेल का प्रयोग अधिक करते थे । इसलिए उन्हें दिल से संबंधित कई बीमारियां नहीं होती थी । सब्जी में रिफाइंड तेल की जगह पर कच्ची घानी का सरसों का तेल प्रयोग करने से कोलेस्ट्रॉल की शिकायत नहीं होती है ।
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