गर्भपाल रस के लाभ-रस तंत्र सार व सिद्ध प्रयोग संग्रह में इसका वर्णन मिलता है । महिलाओं के लिए अत्यंत ही गुणकारी औषधि है । जिन महिलाओं को संतान प्राप्ति की इच्छा है । गर्भाशय से संबंधित समस्या हो गर्भपात की बार-बार होने वाली समस्या हो ।
भोजन के बाद होने वाली उल्टी जी घबराहट चक्कर सिर दर्द कमर में दर्द जैसी समस्याओं के साथ-साथ त् गर्भवती महिला के लिए फायदेमंद है गर्भपाल रस ।
आइए जानते हैं गर्भपाल रस के बारे में और अधिक
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गर्भपाल रस के घटक द्रव्य
- शुद्ध सिंगरफ एक तोला
- नाग भस्म शत पुटी एक तोला
- लोह भस्म 6 माशा
- वंग भस्म एक तोला
- दालचीनी एक तोला
- तेजपत्ता एक तोला
- इलायची एक तोला
- सोंठ एक तोला
- काली मिर्च एक तोला
- पीपल एक तोला
- धनिया एक तोला
- काला जीरा एक तोला
- चव्य एक तोला
- मुनक्का एक तोला
- देवदारू एक तोला
बनाने की विधि-
उपरोक्त औषध द्रव्य को दी गई मात्रा के अनुसार लेकर । सफेद रंग की अपराजिता के रस में 7 दिन तक खरल में गोटा जाता है । इसके बाद इसकी छोटी-छोटी गोलियां बना ली जाती है । जो 125 मिलीग्राम से 250 मिलीग्राम की हो सकती है ।
विशेष नोट- नाग भस्म शत पुटी वाली उपयोग करने पर अच्छे परिणाम मिलते हैं ।
गर्भपाल रस के लाभ व उपयोग
- मुख्य रूप से इस औषधि योग का प्रयोग गर्भ स्त्राव गर्भपात( मिसकैरेज) को रोकने के लिए आयुर्वेद चिकित्सकों द्वारा लिखा जाता है ।
- कई महिलाओं का गर्भाशय कमजोर होता है । शरीर में गर्मी अधिक होती है । इसकी कारण गर्भपात होने की समस्या होती है । इस समस्या से निजात दिलाने में सहायक औषधि गर्भपाल रस है ।
- गर्भावस्था में महिलाओं को होने वाले दस्त, बुखार से बचाता है ।
- गर्भावस्था में महिला में होने वाले प्रदर रोग( वेजाइनल इनफेक्शन डिजीज) होने से बचाता है ।
- गर्भवती महिला के लिए उल्टी, खांसी दमा जैसी शिकायत होने पर भी फायदा करता है ।
- गर्भवती स्त्री को भूख ना लगना, जी मचलना कब्ज की शिकायत, दर्द, सिर दर्द इत्यादि की शिकायत नहीं होने देता ।
- मां के पेट में पल रहे बच्चे को बलवान बनाता है । सम्यक रूप से वृद्धि में सहायक होता है ।
- पति का वीर्य विकारी होने की स्थिति में भी गर्भपात करने की संभावनाएं रहती है । साथ-साथ उपदंश सोजाक जैसे रोगो के कारण गर्भाशय में विकृतता आ जाने के कारण गर्भधारण में समस्या होती है । इस समस्या में भी यह अत्यंत लाभकारी है ।
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सेवन मात्रा-
125 मिलीग्राम से 250 मिलीग्राम की मात्रा । चिकित्सक के निर्देशानुसार सेवन करवाएं ।
अनुपान-
मुनक्का के पानी से सेवन करें । 20 ग्राम मुनक्का को पानी में भीगा कर रखें । इसके बाद मसल कर इसका पानी सेवन के लिए उपयोग में ले ।
सावधानी-
चिकित्सक के निर्देशन में औषधि का सेवन करें ।
निर्धारित मात्रा से अधिक मात्रा में सेवन ना करें ।
स्वच्छ सुखे में कमरे के तापमान पर स्टोर करें ।
बच्चों की पहुंच से दूर रखें ।
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कहां से खरीदें
हर मेडिकल स्टोर पर आसानी से उपलब्ध है ।
चेतावनी- इस लेख में उपलब्ध समस्त जानकारी चिकित्सा परामर्श नहीं है । किसी भी आयुर्वेदिक औषधि के सेवन से पूर्व आयुर्वेद विशेषज्ञ की सलाह आवश्यक है ।
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