चन्दनासव के फायदे- भैषज्य रत्नावली के अनुसार के अनुसार [मधुमेह रोग अधिकार] चंदन आदि औषधीय द्रव्य से बनी हुई यह तिक्त , कषाय , शीतलता पहुंचाने वाला, पित्त शामक और वात शामक आसव है । चंदनासव का प्रयोग आयुर्वेदाचार्य कई प्रकार के रोगों में करते हैं । जिसमें मुख्य रूप से मुत्रवह संस्थान संबंधित रोग बार-बार रुक रुक कर मूत्र की समस्या, मूत्र त्याग के समय जलन आदि में प्रयोग किया जाता है । यहां एक मूत्रल औषधि के रूप में भी प्रयोग किया जाता है ।
सुजाक जिसमें मूत्र नलिका ने व्रण हो जाना अथवा पुय की उत्पत्ति हो जाने जैसे समस्या में भी चंदनासव का प्रयोग किया जाता है ।
ऐसे ही प्रमेह [ डायबिटीज] रक्त प्रदर, श्वेत प्रदर, रक्तपित्त रोग में भी चंदनासव को प्रयोग किया जाता है । क्योंकि यह जीवाणु रोधी, जीवाणु नाशक तथा मूत्रल औषधि के साथ-साथ स्तंभन का गुण होता है ।
चन्दनासव के घटक द्रव्य [ ingredients of Chandanasav ]
घटक द्रव्य का क्वाथ –
- चंदन
- उशीर
- मुस्ता
- गंभारी मूल
- कमल
- पद्यकाष्ट
- लोद्र
- कचनार की छाल
- रक्त चंदन
- पाठा
- किराततिक्त
- द्राक्षा
- पिपली
- कर्चुर
- पर्पट
- यष्टिमधु
- रास्ना
- पटोल
- मंजिष्ठा
- आम्र त्वक
- मोचरस
- प्रियंगु
- वत की छाल
- गुड
- शर्करा
- धातकी के फूल
आइये जाने चन्दनासव के फायदे और उपयोग किन रोगों में किया जाता है ?
चन्दनासव का उपयोग-
- रक्तपित्त
- त्वचा संबंधित रोगों में
- एसिडिटी मे
- शीतपित्त [एलर्जी]
- रुक रुक कर पेशाब की समस्या
- पेशाब में जलन की समस्या
- श्वेत प्रदर
- रक्त प्रदर
- सुजाक
- डायबिटीज[प्रमेह ]
- बार-बार प्यास लगने की समस्या ।
चन्दनासव की सेवन मात्रा-
10 से 20 मिलीलीटर समान गुनगुने जल से दिन में दो बार भोजन करने के पश्चातचन्दनासव आयु बल रोग के अनुसार रजिस्टर्ड आयुर्वेद चिकित्सक के निर्देशन में सेवन करें ।
चन्दनासव कहां से खरीदें?
हर आयुर्वेदिक मेडिकल स्टोर पर आसानी से उपलब्ध है । कई आयुर्वेदिक फार्मेसीया का निर्माण एवं विक्रय करती है ।
सावधानी-
बच्चों की पहुंच से दूर रखें ।
चंदनासव का सेवन चिकित्सक की देखरेख में करें ।
चेतावनी- इस लेख में उपलब्ध समस्त जानकारी चिकित्सा परामर्श नहीं है । किसी भी आयुर्वेदिक औषधि के सेवन से पूर्व आयुर्वेद चिकित्सक की सलाह आवश्यक है ।
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