देवदार्व्यासव devdrvyasav एक आयुर्वेदिक औषधि है जिसमें कई प्राकृतिक जड़ी-बूटियाँ उपयोग की जाती हैं। इसका मुख्य उद्देश्य शरीर के विभिन्न विकारों को ठीक करना है।
देवदार्व्यासव devdrvyasav के घटक द्रव्य –
देवदार, वासा, इन्द्रजव, दन्तीमूल, मजीठ, तगर, हल्दी, दारुहल्दी, रास्ना, मोथा, शिरीष की छाल, वायविडंग, खेरसार, अर्जुन की छाल, गिलोय, चीता, सफेद चन्दन, अजवायन, माषपर्णी, कुड की छाल, पाण्डु, धाय के फूल का चूर्ण, शहद, त्रिजातक, त्रिकुटा, नागकेसर, और फूलप्रियंगु इस औषधि के मुख्य घटक हैं।
औषधि को लेने का तरीका-
दिन में दो बार, समान मात्रा में उष्ण जल के साथ लेना चाहिए। –
मात्रा की सामान्य रेंज 15-30 मिलीलीटर है।
देवदार्व्यासव devdrvyasav का उपयोग
1. प्रमेह (मधुमेह) – मधुमेह में इस आयुर्वेदिक औषधि का उपयोग किया जाता है।
2. मूत्रकृच्छ्र (मूत्र के बारे में अस्वस्थता) – मूत्र की समस्याओं जैसे कि रुक-रुक कर आना, दर्द, या पेशाब में खून आना के उपचार के लिए इस आयुर्वेदिक औषधि का उपयोग किया जाता है।
3. वातव्याधि (वात रोग) – वात विकारों जैसे कि शरीर का दर्द, स्नायुजनित रोग, जोड़ों का दर्द, स्वेदन, या इंद्रव्रिद्धि के इलाज में देवदार्व्यासव का उपयोग किया जाता है।
4. ग्रहणी विकार (आमाशय संबंधी समस्याएं) – आमाशय संबंधी समस्याओं के लिए देवदार्व्यासव का उपयोग किया जाता है।
5. अर्श (पाइल्स) – देवदार्व्यासव devdrvyasav पाइल्स के इलाज में मददगार साबित हो सकता है।
इस आयुर्वेदिक औषधि का उपयोग करने से पहले, आपको एक आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए ताकि वे आपकी स्थिति का मूल्यांकन कर सकें और सही मात्रा और उपयोग की सलाह दे सकें।
और पढ़े ……….