धर्मार्थसुखसाधनम्

धर्मार्थसुखसाधनम्

धर्मार्थसुखसाधनम् शब्द संयोजन तीन शब्दों से मिलकर बना है: धर्म, अर्थ, सुख। इन शब्दों का अर्थ है:

  1. धर्म: धर्म शब्द कई भावों में व्याख्या किया जाता है, लेकिन आयुर्वेदशास्त्र के अनुसार धर्म का अर्थ है “जो लोगों का पोषण करता है।” इसका मतलब है कि धर्म मानव समाज के स्वास्थ्य और विकास के लिए आवश्यक सामाजिक, नैतिक और आध्यात्मिक नियमों का पालन करना है।
  2. अर्थ: अर्थ शब्द का अर्थ होता है “जो समाज में प्राप्त करने के लिए याचनीय है।” इसका मतलब है कि अर्थ के लिए समाज द्वारा चाहिए जाने वाली सामाजिक और आर्थिक संपत्ति, जैसे धन, संपत्ति, और जीवन के उपयोगी साधनों की प्राप्ति करना है।
  3. सुख: सुख शब्द का दो प्रकार का अर्थ होता है। पहला सुख है जो कि तत्कालिक सुख की प्राप्ति से सम्बंधित है, और दूसरा सुख है जो कि “आत्यंतिक” कहलाता है और मोक्ष की प्राप्ति के रूप में समझा जा सकता है। इसे ऐहिक (इस लोक से संबंधित) और पारलौकिक (परलोक से संबंधित) रूप से समझा जा सकता है।

धर्मार्थसुखसाधनम् का अर्थ होता है कि धर्म, अर्थ और सुख के माध्यम से सुख की प्राप्ति की जा सकती है। इसका मतलब है कि जब हम समाज में धर्मपरायण रहते हैं, आर्थिक संपत्ति का उचित उपयोग करते हैं और आत्यंतिक सुख की खोज करते हैं, तब हम सुख की प्राप्ति कर सकते हैं।

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