एमिल फार्मा की यह एक टेबलेट है !फीफाट्रोल क्या है ? जिसे एनआरडीसी द्वारा कोरोनावायरस कोविड-19 बीमारी में रिसर्च श्री सच्चे ट्रायल के लिए आधिकारिक मंजूरी मिली है।
आइए जानते हैं इससे टेबलेट के बारे में फीफाट्रोल क्या है? क्या कंटेंट है? कैसे काम करती है? कोरोना महामारी में इसका कितना लाभ लिया जा सकता है?
नतीजे तो समय की गर्त में छुपे हुए हैं लेकिन जानते हैं !
इस दवाई के उन कंटेंट्स के बारे में जो आपकी इम्यूनिटी यानी की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा देंगे।
आप सभी जानते हैं कि कोरोना महामारी का अभी तक कोई इलाज पूरा विश्व नहीं ढूंढ पाया है।
हर देश अपने क्लिनिकल ट्रायल्स करने में लगा हुआ है!
ताकि जल्द से जल्द इस बीमारी का टीका यानी कि वैक्सीन बनाया जाए और इस महामारी से जल्द से जल्द छुटकारा पाया जाए।
ऐसे में आयुष मंत्रालय द्वारा आयुर्वेदिक कुछ दवाइयों पर ट्रायल शुरू हो गया है !
जिसमें एमिल फार्मा की फीफा ट्रॉल नामक दवा का भी प्रयोग किया जाना है।
कोरोनावायरस अधिक प्रभावित क्षेत्रों में ही इस दवाई का उपयोग ट्रायल के रूप में किया जाएगा और इन सभी प्रयोगों की परिणामों पर नजर रखी जाएगी।
आपको पहले ही पता होगा की वायरस उन लोगों पर असर नहीं कर सकता जिनकी प्रतिरोधक क्षमता मजबूत हो।
मेडिकल साइंस में अभी तक जो इलाज किया जा रहा है!
वह लाक्षणिक इलाज यानी कि लक्षण के अनुसार रोगी को रोग से लड़ने में सहायता दी जाती है।
एमिल फार्मा की इस दवा को आयुर्वेदिक एंटीबायोटिक
एमिल फार्मा की इस दवा को आयुर्वेदिक एंटीबायोटिक के तौर पर देखा जा रहा है।
इसके घटक द्रव्य में कहीं आयुर्वेदिक वनस्पति जड़ी बूटियां है !
जिसमें संक्रमण फ्लू और दर्द से लड़ने की ताकत है।
इस दवा में उपयोग किए जाने वाले घटक द्रव्य फीफाट्रोल क्या है ?
तुलसी गुडुची ,करंज, चिरायता ,कुटकी, संजीवनी ,दारू हरिद्रा ,अपामार्ग, गोदंती , संजीवनी वटी मृत्युंजय रस, त्रिभुवन कीर्ति रस जैसी दवाइयों का मिश्रण है।
तुलसी- तुलसी माता के रूप में हिंदू धर्म में पूजनीय है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार यह पवित्र पूजनीय पौधा है। इसका औषधीय महत्व आयुर्वेद में बहुत अधिक है।
तुलसी में ऐसी प्रॉपर्टी पाई जाती है जो प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है !
और साथ ही साथ एंटीबायोटिक एंटीऑक्सीडेंट का कार्य भी करती है।
तुलसी के खांसी के सिरप फ्लू बुखार जुखाम मलेरिया आदि रोगों में उपयोग की जाती है।
कोविड-19 कोरोनावायरस के परिपेक्ष में यह गले की खराश खांसी बुखार फेफड़ों की सूजन आदि में राहत पहुंचाने का कार्य करती है।
कई कंपनियां पंच तुलसी के नाम से अपने हर्बल प्रोडक्ट बेच रही है।
जिनका दावा है कि इससे शरीर में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है तथा फेफड़ों को मजबूती देती है।
पंच तुलसी में श्याम तुलसी राम तुलसी विष्णु तुलसी वन तुलसी नींबू तुलसी इस प्रकार के नामों से अलग अलग जातियों का वर्गीकरण किया हुआ है।
भारत में तुलसी को चाय के साथ में उबालकर पीने की परिपाटी भी है!
जिससे औषधीय गुणों के साथ चाय की चुस्की भी ली जाती है। फीफाट्रोल क्या है?
फीफाट्रोल क्या है ? फ़ीफ़ाट्रोल में उपयोग की जाने वाली औषधियां
चिरायता-
यह औषधि आयुर्वेद में खुजली रक्त विकार आदि तथा कई कई बार चिकित्सकों द्वारा दुष्ट व्रण तथा बुखार में भी उपयोग में लाई जाती है।
यह स्वाद में कड़वा होता है इसे कम मात्रा में लेना होता है चिकित्सक की देखरेख में ही इस औषधि का उपयोग किया जाना चाहिए।
नहीं तो इसके कारण आपको उल्टियां भी हो सकती है। अलग-अलग क्षेत्रों और अलग-अलग जगह पर इसे अलग नामों से जाना जाता है।
चिरायता का कोविड-19 परिपेक्ष में उपयोग यह है कि यह मेटाबॉलिज्म को सही करता है पाचन शक्ति को सुधारना है!
खांसी के इलाज में भी इसका उपयोग किया जाता है। पेट के कीड़ों में भी चिरायता का उपयोग किया जाता है।
पीलिया का मामला जैसे रोगों में थी चिरायता का उपयोग किया जाता है !
जिससे यकृत विकार तथा प्लीहा के विकार दूर किए जाते हैं। चिरायता के काढ़े में बुखार को कम करने के गुण होते हैं। चिरायता त्रिदोष शामक है।
सूजन को काम करता है। साथ ही प्रतिरक्षा तंत्र को भी मजबूत करता है।
कुटकी-
यह एक आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है। अलग-अलग क्षेत्रों में इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है। हंसकर गले के रोगों में इसका उपयोग किया जाता है।
खांसी के अलग-अलग प्रकार के बनने वाले ही रूपों में भी कुटकी का उपयोग किया जाता है। पेट का दर्द हो या ह्रदय से संबंधित कोई समस्या।
कई आयुर्वेदिक चिकित्सक इसका उपयोग करते हैं।
श्वास रोग यानी दमा में भी कुटकी का उपयोग किया जाता है!
पिपली जैसी दवाइयों के साथ में इसके मिश्रण के साथ में सेवन करवाने से खांसी में लाभ होता है ।
तथा श्वास लेने में कठिनाई दूर होती है।
कई आयुर्वेदिक चिकित्सक द्वारा कुटकी का उपयोग टाइफाइड रोग में भी किया जाता है।
लीवर की समस्या हो सफेद दाग हो इसके साथ ही घटिया जैसे रोगों में भी कुटकी का उपयोग किया जाता है।
त्वचा गत रोगों में भी मुक्ति दिलाने में इसका बहुत बड़ा योगदान होता है। मधुमेह रोगियों के लिए कड़वे होने के कारण लाभदायक होती है।
दारू हरिद्रा-
यह एक आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है। जड़ी बूटी का उपयोग डायबिटीज घाव को सुखाने में आंखों के रोगों में आदि में किया जाता है।
इसके साथ ही यह सूजन को कम करने, बुखार उतारने में ,जुकाम तथा मुंह के रोगों में उपयोग किया जाता है।
इसमें भी संक्रमण रोधक anti-inflammatory प्रॉपर्टीज होती है जो रोगों से लड़ने के लिए उपयोगी होती है।
गंभीर गुप्त रोगों में भी दारूहरिद्र का उपयोग किया जाता है। पेट के कीड़ों को मारने के लिए आंखों में रसोद के लिए कान में दर्द के लिए।
ऐसे कई प्रकार के रोगों में इसका उपयोग किया जाता है।
करंज-
करंज के बीजों का पाउडर या पत्तों का उपयोग किया जाता है।
इसका तेल भी निकालकर उपयोग में लाया जाता है ।वैसे तो करंज बहुत सारे रोगों में काम में लिया जाता है।
लेकिन कोरोना के परिपेक्ष में इसका उपयोग
एक anti-inflammatory पेन किलर दर्द निवारक के रूप में उपयोग किया गया होगा।
इसमें ऐसे भी गुण पाए जाते हैं जो एक एंटीबायोटिक और एंटीवायरल ड्रग्स में पाए जाते हैं।
करंज के तेल का उपयोग बहुत सारे रक्त विकारों में उपयोग किया जाता है।
इस तेल से मस्से भगंदर सायनोसिस से तक का इलाज किया जाता है।
गोदंती भस्म-
गोदंती भस्म जिसे हड़ताल कर्पूर शीला अंग्रेजी में जिप्सम भी कहते हैं।
औषधि का उपयोग हड्डियों के रोग कैल्शियम की कमी हो टाइफाइड हो पुराना बुखार हो सिर दर्द हो या बुखार हो सभी में किया जाता है।
यह एक अच्छे दर्द निवारक के रूप में भी कार्य करती है।
बुखार होने पर यह भस्म पेरासिटामोल की तरह कार्य करती है। कोविड-19 बीमारी के परिपेक्ष में
रोगी को शरीर में हुई कैल्शियम की कमी तथा दर्द निवारक के रूप में ज्वर हर औषधि है।
स्त्री रोग मलेरिया हो चाहे सूखी खांसी को दूर करने के लिए या पेट में एसिड की समस्या हो
सभी में गोदंती भस्म का उपयोग आयुर्वेद चिकित्सकों द्वारा किया जाता है।
संजीवनी वटी-
संजीवनी वटी है कि एंटी टॉक्सिक दवाई है।
यह एंटीबैक्टीरियल और बुखार को कम करने वाली होती है। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाली भी है।
सामान्यतया इस औषधि का उपयोग टाइफाइड मलेरिया जैसे रोगों में किया जाता है।
कोविड-19 के परिपेक्ष में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के साथ-साथ शरीर में दर्द निवारक के साथ बुखार को कम करने वाली भी होगी।
संजीवनी वटी केवल एक औषधि नहीं है यह कई औषधियों का सम्मिश्रण है।
मृत्युंजय रस-
एक आयुर्वेदिक औषधियो का समिश्रण है ।इस औषधि का उपयोग बच्चों के बुखार निमोनिया आदि में किया जाता है।
इसके साथ ही यह एक अच्छे दर्द निवारक के रूप में भी काम में ली जाती है।
वत्सनाभ टंकण भस्म मरीच पिपली मरकरी शुद्ध गंधक नींबू का रस एकोनाइट साइट्रस लिमोन इसके मुख्य घटक द्रव्य हैं। इसका
मुख्य कार्य बुखार को कम करने तथा दर्द के साथ खाँसी में भी राहत पहुंचाता है।
कोविड-19 बीमारी के परिपेक्ष में यह औषधि काफी लाभदायक होगी जिन रोगियों में बुखार के साथ कफ की समस्या है तथा खांसी है।
त्रिभुवन कीर्ति रस-
आयुर्वेदिक औषधियों का सम्मिश्रण है।
इस औषधि का उपयोग बुखार में किया जाता है। वातश्लेशमिक ज्वर में भी त्रिभुवनकीर्ति का उपयोग किया जाता है।
इसके मुख्य घटक द्रव्य लोंग पेपर बोरेक्स त्रिकटु मरकरी और एकोनाइट है। कोविड-19 बीमारी में भी निश्चित रूप से यह रोगी को लाभ पहुंचाएगा।
इसमें भी रोगों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाने वाले घटक द्रव्य है।
जिससे रोगी जल्द से जल्द ठीक हो सकते हैं।शायद अब तक आप जान चुके होंगे फ़ीफ़ाट्रोल क्या है?