डॉ० दिलीप सामलिया
आयुर्वेद चिकित्साधिकारी
GOVT. AYURVED HOSPITAL KAYA UDAIPUR (RAJ.)
बच्चों की इम्युनिटी बढ़ाने के उपाय-कोरोना की संभावित तीसरी लहर में बच्चों के लिए क्या क्या सावधानी बरतनी चाहिए? यह सवाल हर किसी के मन में चल रहा है। वैश्विक महामारी कोविड-19 की दूसरी लहर खत्म होने का नाम नहीं ले रही ।
और तीसरी लहर ने दस्तक दे दी है। माना जा रहा है तीसरी लहर बच्चों( 0 से 16 वर्ष) के लिए भयावह स्थिति पैदा कर सकती है। पहली लहर में बच्चे प्रभावित नहीं हो रहे थे ।
परंतु दूसरी लहर में अधिक संख्या में बच्चे भी संक्रमित हुए हैं और तीसरी लहर में बच्चों को सर्वाधिक संख्या में संक्रमित होने की संभावना है। बच्चों को इस महामारी से बचाने के लिए क्या करें-
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दूरी बनाए-
जो भी घर का सदस्य रोजाना ऑफिस या रोजगार के लिए बाहर जाते हैं।
वापस लौटने पर पूरी तरह सेनीटाइज( हाथों को सेनीटाइज करना,नहाना, कपड़े बदलना) करने के बाद ही घर में आए। जितना हो सके बच्चों से दूर रहे।
आलिंगन/ चूमना ना करें-
ऐसे समय में आलिंगन और बच्चों को चूमना खतरनाक हो सकता है। क्योंकि इससे बच्चे को बाहर से आया हुआ संक्रमण चपेट में ले सकता है।
बाहरी बच्चों से दूरी-
जब तक महामारी का प्रकोप है तब तक बच्चों को घर में खेले जाने वाले गेम।
( इंडोर गेम) शतरंज, कैरम, टेबल टेनिस,लूडो माता पिता साथ में खेलें।
ताकि बाहरी बच्चों के संपर्क में आने से बचाया जा सके। इससे दूसरे बच्चे एवं आपके बच्चे भी सुरक्षित रहेंगे।
सरकारी प्रोटोकॉल एवं बचाव के उपाय सिखाएं-
जो हम सभी बड़े आज इस महामारी से बचने के लिए सरकारी प्रोटोकॉल और बचाव के उपाय सावधानियां अपना रहे हैं। उन सभी सावधानियों को उपायों को बच्चों को सिखाने की जरूरत है।
जैसे मास्क का प्रयोग, अनावश्यक बाहरी सतह पर छूने से बचना, भीड़भाड़ वाली जगह पर जाने से बचना, आवश्यक होने पर सैनिटाइज का प्रयोग आदि करना ।
संक्रमित व्यक्ति घर में होने पर बच्चों को समझाएं अथवा छोटे बच्चों को संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचाएं। इसलिए संक्रमित व्यक्ति का आइसोलेशन व्यवस्थित रूप से हवादार कमरे में अलग से होना चाहिए। आइये जानते है बच्चों की इम्युनिटी बढ़ाने के उपाय
बच्चों में इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए क्या-क्या करें
बच्चों की दिनचर्या एवं आहार-
इम्यूनिटी का मतलब है रोग प्रतिरोधक क्षमता । इस क्षमता को बढ़ाने में नियमित जीवन शैली की विशेष भूमिका है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण है बच्चों में सुबह जल्दी उठने की आदत डालनी चाहिए। साथ ही साथ समय पर सोने की आदत भी जरूरी है।
सुबह जल्दी से मतलब है गर्मियों में 5:00 से 6:00 बजे तक सर्दियों में 6:00 से 7:00 तक। बच्चे जितना जल्दी सोएंगे उतना ही जल्दी उठेंगे। बच्चों को कम से कम रोजाना 8 घंटे की नींद पूरी करना जरूरी है।
कम नींद के कारण शरीर में cortisol नामक हार्मोन की बढ़ोतरी होती है। यह हार्मोन न केवल तनाव को बढ़ाता है बल्कि हमारे एवं बच्चों के इम्यूनिटी सिस्टम को कमजोर करता है।
आहार- बच्चों को हल्का सुपाच्य भोजन, मूंग दाल खिचड़ी, मूंग दाल का सूप, सब्जियों का उबला हुआ सूप, हरी पत्तेदार सब्जियां, ब्रोकली, फल दूध ,अंडा, सूखे मेवे बादाम काजू अखरोट पिस्ता आदि का प्रयोग प्रचुर मात्रा में करवाना चाहिए।
साथ ही साथ बच्चों को फास्ट फूड जंक फूड( बर्गर पिज़्ज़ा, मैदे एवं बेसन के बने हुए खाद्य पदार्थ) तले हुए एवं भून कर बनाए हुए खाद्य पदार्थ सेवन ना करवाएं। यह पाचन तंत्र को खराब करने के साथ इम्यूनिटी को भी कम करते हैं। भोजन में थोड़े थोड़े समय के अंतराल में देना चाहिए। ताकि बच्चों को एक साथ खाना खाने की परेशानी नहीं होगी।
बच्चों में पानी का सेवन-
आजकल हर घर में फिल्टर पानी पिया जाता है( आर ओ प्यूरीफायर) लगा हुआ होता है।
प्यूरीफायर पानी की कई आवश्यक खनिज तत्व के साथ-साथ पोषक तत्वों को भी फिल्टर कर लेता है। जिसके कारण पानी से मिलने वाले पोषक तत्व कम हो जाते हैं।
इसलिए माता पिता अपने बच्चों को मिनरल युक्त वाटर( प्राकृतिक पानी,मिट्टी के घड़े ) का सेवन उबालकर करवा सकते हैं। उबले हुए पानी से पानी में उपस्थित बैक्टीरिया वायरस इत्यादि मर जाते हैं । उबला हुआ पानी शुद्ध होता है जिसमें मिनरल भी उपलब्ध होते हैं।
पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन करवाना माता-पिता की जिम्मेदारी है क्योंकि बच्चे टीवी और मोबाइल की व्यस्तता के कारण पानी नहीं पीते है।
बच्चों में दूध का सेवन-
दूध अपने आप में संपूर्ण भोजन है। दूध तो हर व्यक्ति अपने बच्चों को पिलाता है। परंतु इस महामारी के समय में हल्दी युक्त दूध (गोल्डन मिल्क) का सेवन करवाने से बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी। दूध की पौष्टिकता के साथ में बच्चों को स्वास्थ्य लाभ होगा।
बच्चों को घी का सेवन-
घी में ओमेगा 3, फैट सॉल्युबल विटामिन A,D,E, BUTYRATE, प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। रोटी के साथ घी का सेवन करवाएं।
नींबू रस का प्रयोग-
नींबू की शिकंजी बनाकर बच्चों को पिलाने से बच्चों में विटामिन सी की पूर्ति की जाती है। रोग प्रतिरोधक क्षमता वर्धक होती है।
गिलोय सत्व का सेवन-
गिलोय सत्व गिलोय से निकला हुआ पदार्थ है। आयुर्वेद में गिलोय सत्व का प्रयोग इम्यूनिटी बढ़ाने के साथ-साथ कई प्रकार के रोगों से भी बचाता है। गिलोय में ग्लूकोसाइड, barberin, गिलोइन ,गिलोइनिन नामक एल्केलाइड पाए जाते है।
रोजाना इसके सेवन से इम्युनिटी बढ़ती है और बॉडी के लिए जरूरी WBC श्वेत रक्त कणिकाएं के कार्य करने की क्षमता भी बढ़ती है। गिलोय सत्काव सेवन से platelets की संख्या भी बढ़ाती है। बैक्टीरिया वायरस से होने वाले रोग जैसे बुखार, डेंगू, मलेरिया, मौसमी फ्लू, सर्दी जुखाम, पेट के कीड़े की समस्याओं से निजात दिलाता है।
बच्चों में फलों का सेवन-
फलों का सेवन पोषक तत्व एवं अच्छी इम्यूनिटी के लिए किया जाता है।
सर्वाधिक विटामिन सी की प्रतिशत मात्रा वाले फल
पपीता का सेवन, गाजर का सेवन, शलजम का सेवन, केला, स्टरोबेरी मौसम में आने वाले फलों का सेवन इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए फायदेमंद होता है ।
बच्चों में व्यायाम एवं योग-
बच्चों को दौड़ना, व्यायाम करने, योग करने की आदत को माता पिता द्वारा किया जाता है तो बच्चों में इम्यूनिटी बढ़ने के साथ शरीर को मजबूत और सुडोल बनाता है
वृक्षासन, ताड़ासन( बच्चों में लंबाई बढ़ाने में सहायक), मंडूकासन, बटरफ्लाई( तितली आसन) मयूरासन, कपालभाति भ्रमरी प्राणायाम आदि का अभ्यास करवाना चाहिए।
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बच्चों के संक्रमित होने पर क्या घरेलू उपाय एवं उपचार करें?
- 6 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों को गुनगुने पानी में हल्दी एवं चुटकी भर नमक डालकर गरारे करवाएं।
- संक्रमण के दौरान गुनगुने पानी का सेवन करवाएं।
- फ्रिज का पानी अथवा फ्रिज के ठंडे खाद्य पदार्थों का सेवन न करें।
- नाक बंद होने पर अजवाइन सोंठ को पानी में उबाल कर steam वाष्प लेनी चाहिए।
- बच्चों का ऑक्सीजन लेवल(SPO2) तापमान ( TAMPRATURE )चेक करते रहें।
- ब्रिथ होल्डिंग ( सास को रोकना फिर थोड़ी देर बाद छोडना ) करवानी चाहिए । प्राणायाम, अनुलोम विलोम करवाएं।
- prone position ( पेट के बल उल्टा लेट कर छाती व पैरों के नीचे तकिया लगा कर लंबी लंबी सांस खुले वातावरण में लेवे। जिससे ऑक्सीजन लेवल जल्दी रिकवर होता है
- एक गिलास हल्का गरम हल्दी युक्त दूध (गोल्डन मिल्क) रोजाना सेवन करें।
- कपूर ,लोंग ,इलाइची ,जावित्री ,नीलगिरी का तेल 2-2 बूंदे,अजवाइन की पोटली बनाकर सूंघने से ऑक्सीजन सैचुरेशन (O2 ) लेवल मेंटेन रहता है।
- भोजन हल्का सुपाच्य( लघु भोजन) करना चाहिए। जिसमें साबुत मूंग दाल का सूप, पतली खिचड़ी, दलिया इत्यादि का प्रयोग करें।
- ठंडा खाना, फ्रिज में रखा हुआ खाना, बासी भोजन का सेवन नहीं करवाना चाहिए।
संक्रमित होने पर कौन सी दवाइयां संक्रमण से बचाती है-
- बच्चों को चवनप्राश का सेवन आधा या एक चम्मच नियमित रूप से करवाना चाहिए।
- गिलोय सत्व गिलोय टेबलेट 1-1 सुबह शाम
- अणु तेल ( नाक बंद होने पर नाक में एक बूंद दोनों नथुनो में ने अंगुली से लगाएं अथवा एक एक बूंद डालें)
- आयुष 64 कैप्सूल( 8 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों को)
- त्रिभुवन कीर्ति रस की टेबलेट ( बुखार सर्दी जुकाम खांसी गले में खराश होने पर)
- लक्ष्मी विलास रस की टेबलेट
- बाल चातुर्भद्र
- अश्वगंधा टेबलेट 1-1 सुबह-शाम भोजन के पश्चात
- वात श्लेष्मिकज्वर हर क्वाथ का सेवन ( 3 ग्राम काढे को एक गिलास पानी में उबालकर एक कप रहने पर पिलाएं)
- स्वर्ण प्रशन-
( नोट- उपरोक्त औषधियां दवाइयां चिकित्सक की देखरेख में प्रयोग करें। )
स्वर्ण प्राशन बच्चों में इम्यूनिटी-
इसे आयुर्वेद का इम्यूनाइजेशन कहा जाता है। 0 से 16 वर्ष तक के बच्चों को स्वर्ण प्राशन चिकित्सक की देखरेख में करवाया जाता है। स्वर्ण प्राशन में (स्वर्ण भस्म + मधु + गाय के घी )के साथ में मेध्य औषधियों का प्रयोग किया जाता है। जो बच्चों की इम्युनिटी बढ़ाने के लिए बहुत आवश्यक है । इस संस्कार को करने से बच्चे की शारीरिक एवं मानसिक विकृति दूर होती है। रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत हद तक बढ़ती है। सुवर्णप्राशन से जीवाणु, विषाणु के विरोध में प्रतिकारक शक्ति बढ़ने से बच्चा स्वस्थ रहता है।
लाभ-
- मानसिक विकास करता है।
- शारीरिक ताकत एवं स्मरण शक्ति को बढ़ाता है।
- बच्चों में बार-बार होने वाली मौसमी बीमारी सर्दी जुखाम बुखार खांसी होने से बचाने में मदद करता है।
- जन्मजात विकृति शारीरिक विकृति जैसे बालक के बोलने की सुनने की तथा देखने की विकलांगता को दूर करने में मदद करता है।
- त्वचा में निखार लाता है। 6 माह तक स्वर्ण प्राशन लगातार करने से बालक मेधावी और स्मरण शक्ति बढ़ती है।और भी बच्चों की इम्युनिटी बढ़ाने के उपाय