लम्पी  वायरस से संक्रमित पशुओं के बचाव हेतु आयुर्वेदिक लड्डू

लम्पी  वायरस से संक्रमित पशुओं के बचाव हेतु आयुर्वेदिक लड्डू –हमारा देश कृषि प्रधान देश है और पशुपालन कृषि से जुड़ा हुआ एक अहम भाग है । किसान अपनी आजीविका के लिए कृषि और पशुपालन पर निर्भर है लेकिन देश में आज के समय में लम्पी वायरस का कहर आया हुआ है । 

जिससे पशुपालक पूरी तरीके से परेशान हो चुका है

इस बीमारी से बचने के कुछ आयुर्वेदिक उपाय हम इस लेख में बताने जा रहे हैं ।

जिसका  आयुर्वेदिक उपचार जाने-माने वैद्य डॉ शोभा लाल द्वारा दिया जा रहा है जिसे हर सामान्य पशुपालक अपनी गायों एवं संक्रमित पशुओं को देकर पशुधन को सुरक्षित कर सकता  है ।

लम्पी  स्किन डिजीज यह एक वायरस जनित बीमारी है जो गायों भैंसों एवं  बेलो में पाई गई है ।  स्किन डिजीज में शरीर पर गांठे बनने लगती है जिस सिर गर्दन और  जननांगों के आसपास  देखने को मिलती है ।

यह  गांठे  समय के साथ बड़ी होती है और बड़ी होकर फूटने के बाद   घाव  बन जाती है  ।

इस वायरस का फैलाव मच्छरों  मक्खियों द्वारा हो रहा है । मक्खियां मच्छर जहां पर भी बैठते हैं वहां से इस बीमारी का प्रचार हो रहा है ।

वायरस से प्रभावित पशुओं में होने वाले लक्षण

  • त्वचा पर फोड़े होना
  • बुखार
  • दूध ना देना
  • दूध में कमी
  • मादा पशुओं में गर्भपात की समस्या
  • पशुओं की मृत्यु

क्या इस समय  दुधारू पशु का दूध प्रयोग करना सुरक्षित है?

पशु चिकित्सा विशेषज्ञ द्वारा  दूध को उबालकर प्रयोग करने की सलाह दी गई है । उबला हुआ दूध पूरी तरह सुरक्षित है । 100 डिग्री तापमान पर उबला हुआ दूध पूरी तरीके से संक्रमण रहित  रहता है ।

संक्रमित पशुओं की देखभाल एवं बचाव के उपाय


वेद्य शोभालाल औदीच्य के निर्देशन में निर्मित लम्पी  वायरस से संक्रमित पशुओं के बचाव हेतु आयुर्वेदिक लड्डू निर्माण की विधि

  • सरसों का तेल 5 किलो
  • गुड़ 20 किलो
  • बाजरे का आटा 25 किलो
  • अजवायन 500 ग्राम
  • चारोली  500 ग्राम
  • गिलोय 2 किलो
  • तुलसी अर्क 200ml
  • सेंधा नमक 1 किलो
  • सोंठ  1 किलो
  • काली मिर्च 500 ग्राम
  • हल्दी  2 .5  किलो(ढाई किलो)
  • धनिया 1 किलो

उपरोक्त सभी सामग्री को मिलाकर लड्डू तैयार किए जाते जिसे  पशुओं को खिला कर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर बचाव के प्रयास किए जा रहे हैं ।

संक्रमित पशुओं की देखभाल के लिए

सरकारों द्वारा विभिन्न उपाय किए जा रहे हैं जिसमें पशु चिकित्सकों एवं उनकी टीम द्वारा वैक्सीनेशन एवं उपचार की व्यवस्था है नजदीकी पशु चिकित्सालय में संपर्क करके इसका लाभ लिया जा सकता है ।

संक्रमित पशुओं को आइसोलेट करना इसका मतलब है स्वस्थ पशुओं के संपर्क में आने से बचाना ।

संक्रमित पशु का चारा पानी की व्यवस्था एवं बांधने की व्यवस्था अलग होनी चाहिए

गौशाला  या तबेले   में कीटनाशक उपाय करने चाहिए  मक्खी मच्छर और  अन्य वाहक  कीटों का प्रबंधन  आवश्यक है   ।

संक्रमित पशुओं  के  घाव की देखभाल करना आवश्यक है

संक्रमित पशुओं को उपचार एवं जो संक्रमित नहीं है उन्हें  वैक्सीनेशन की सुविधा  मिलनी चाहिए

इस समय पशुओं की खरीद  एवं बेचा नहीं जाना चाहिए

अभी तक पशुओं से मनुष्य में संक्रमण  का कोई मामला अभी तक नहीं मिला है । फिर भी पशुपालक को अपने बचाव हेतु सुरक्षित उपाय करने चाहिए जिसमें  हाथों में दस्ताने  पहने

मास्क का प्रयोग करें एवं एक ही गोशाला या तबेले में कार्य करें । साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें

आईसीएआर नेशनल रिसर्च सेंटर ओं इक्वाइन हिसार हरियाणा आईसीएआर  भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान इज्जत नगर उत्तर प्रदेश के सहयोग से लम्पी प्रोवेकेंड  वैक्सीन का निर्माण किया है ।

मृत पशु का निस्तारण-

संक्रमित पशुओं की मृत्यु के पश्चात  विधिवत   अंतिम संस्कार करना आवश्यक है पशु को दफनाना जरूरी है । इस बात का अवश्य ध्यान रखा जाए की अन्य जानवर इसके मांस का सेवन ना करें ।

अस्वीकरण – यह जानकारी केवल शेक्षिक उदेश्यों के लिए है ।

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