शल्लकी आयुर्वेदिक मेडिसिन शल्लकी का परिचय– ( what is shallaki)शल्लकी आयुर्वेदिक मेडिसिन-यह एक मध्यम आकार का पेड़ है। इसकी ऊंचाई 18 फीट के लगभग हो सकती। इतना तना 3 से 4 फ़ीट मोटा हो सकता है। इस पेड़ के तने से निकलने वाला गोंद व छाल का प्रयोग आयुर्वेदिक दवा के रूप में किया जाता है। इस पेड़ से निकलने वाले राल जो बाद में गोंद का रूप ले लेता है । इसे लोबान (कुंदूर )नाम से भी जाना जाता है। मुख्य रूप से गठिया ,जोड़ों का दर्द के लिए यह लोकप्रिय आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है।
इस पेड़ की छाल का रंग राख के रंग जैसी घुसर हरित होता है। इसकी पत्तियां नीम के पत्तों जैसी होती है। इसके फूल सुगंधित, छोटे आकार के रंग के होते हैं । फल त्रिकोण एवं तीन कपाटो में बीज पाए जाते हैं।
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शल्लकी आयुर्वेदिक मेडिसिन विभिन्न भाषाओं में अलग अलग नाम-( shallaki name in different language)
अंग्रेजी में- इंडियन ओलीवेनम ट्री ( Indian olibanum tree )
लेटिन भाषा में- boswelliya serrota
संस्कृत- शल्लकी, सुस्त्रावा , गजभक्ष्या ( हाथी सबसे ज्यादा इस वृक्ष की पत्तियों को खाते हैं)
हिंदी- सलई , लोबान
उर्दू- लोबाना , कुंदूर
गुजराती- सालेडी, धूप, धूपडो
कन्नड़- मडी
शल्लकी आयुर्वेदिक मेडिसिन कहां पाया जाता है? ( where found shallaki)
भारत के कई स्थानों जैसे राजस्थान ,मध्य प्रदेश, दक्षिण भारत ,उत्तराखंड ,उड़ीसा ,नागपुर, पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में। अरब देश और अफ्रीकी भूभाग पर भी यह पाया जाता है।
शल्लकी गोंद प्राप्त करने का तरीका ( how to collect the extract of shallaki)
इसकी छाल पर चीरा लगाने पर सुगंधित स्त्राव निकलता है। जो बाद में चिपक कर पीले या लाल रंग का होकर गोंद के रूप में संग्रहित किया जाता है। जिसे लोबान भी कहते हैं। पीले रंग का लोबान औषधीय उपयोग के लिए उत्तम माना जाता है।
गुणधर्म (nature of shallaki)
गुण- लघु रूक्ष
रस -मधुर, तिक्त ,कषाय
विपाक – कटु
वीर्य – उष्ण
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शल्लकी के फायदे एवं उपयोग (benefit and use of shallaki)
- गठिया. मधुमेह. जोड़ों का दर्द के लिए फायदेमंद होती है। जोड़ों के दर्द में गुनगुने जल में गोंद को घिसकर घुटनों पर लेप लगाया जाता है।
- हड्डिया जोड़ने का कार्य करता है।
- सूजन जकड़न और बुखार को दूर करने वाली। बुखार में फूलों के चूर्ण को सेवन करने की सलाह आयुर्वेदिक वैद्य द्वारा दी जाती है।
- रोग प्रतिरोधक क्षमता वर्धक है।
- दर्द निवारक के रूप में इसका प्रयोग किया जाता है।
- एंटीबैक्टीरियल ओर anti-inflammatory प्रॉपर्टीज के साथ कारण कई प्रकार की संकरण होने से रोकती है।
- अतिसार( दस्त), प्रवाहिका ग्रहणी, दुर्गंध आफरा बवासीर में फायदा करता है।
- जोड़ों की हड्डियों के बीच की गद्दीओ के क्षरण को रोकता है।
- पुरुषों की शुक्राणु की कमी को दूर करने में सहायक है।
- महिलाओं में होने वाली प्रदर की समस्या से पीड़ित महिलाएं फायदा ले सकती है।
- सिरदर्द एवं तनाव को दूर करता है।
- घाव को जल्दी भरती और सुखाती है। डायबिटीज के कारण होने वाले घाव लेबान के लेप से जल्दी सूख जाते हैं ।
- आंखों के लिए शहद के साथ अंजन बनाकर प्रयोग करते हैं।
- इसका अभ्यांतर प्रयोग मेधा शक्ति वर्धक होता है।
- पाचन संस्थान के लिए यह अत्यधिक फायदेमंद है। कब्ज को दूर रखने के साथ-साथ आंत्र कैंसर के लिए फायदेमंद माना जा रहा है । आंखों में होने वाली सूजन दर्द को दूर करता है। आंतों के कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने और कैंसर को बढ़ने से रोकने में शल्लकी की भूमिका अनुसंधान विषय बना हुआ है।
- त्वचा के संक्रमण से बचाता है।
- पसीना लाने वाला और मूत्रल औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है।
- कफ को बाहर निकालने वाला और श्वसन संस्थान के लिए फायदेमंद होता है होता है।
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सेवन मात्रा- dose of shallaki
छाल का काढ़ा- 50 से 100 मिलीलीटर
गोंद का प्रयोग- 1 से 3 ग्राम की मात्रा चिकित्सक की सलाह पर ही सेवन करें।
शल्लकी के दुष्प्रभाव- side effects of shallaki
यह पित्त का शमन करता है। परंतु किसी किसी व्यक्ति में एसिडिटी (acidity) की समस्या हो सकती है। वैद्य /आयुर्वेद चिकित्सक की सलाह पर सेवन करना चाहिए।
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विशेष सावधानी
बच्चों तथा गर्भवती महिलाओं (pregnant ladies)को चिकित्सक की सलाह पर ही प्रयोग कराएं।
चेतावनी – इस लेख की जानकारी चिकित्सा परामर्श नहीं है !किसी भी आयुर्वेदिक दवा के सेवन से पूर्व आयुर्वेद चिकित्सक की सलाह लेवे !