अभयारिष्ट के फायदे

अभयारिष्ट के फायदे

अभयारिष्ट के फायदे-मुख्य रूप से आयुर्वेद चिकित्सक अभयारिष्ट के फायदे अर्श रोगमें ज्यादा होते है । अर्श रोग का मुख्य कारण मल का अवरोध ही है । मलावरोध को हटाकर पाइल्स रोग को जल्दी से ठीक करने में सहायक है ।

द्रव रूप में औषधियों के सहयोग से बनाया जाता है । भेषज्य रत्नावली के अनुसार अभयारिष्ट का रोगाधिकार अर्श[ पाइल्स] है ।

अभयारिष्ट के घटक द्रव्य-

  1. हरीतकी 50 भाग

प्रक्षेप द्रव्य

  1. विडंग 5 भाग
  2. गोक्षुर एक भाग
  3. द्राक्षा 25 भाग
  4. धनिया एक भाग
  5. मधुक पुष्प 5 भाग
  6. इंद्रायण एक भाग
  7. गुड आवश्यकतानुसार
  8. शत पुष्पा एक भाग
  9. दंतिमुल एक भाग
  10. त्रिवृत एक भाग
  11. चव्य एक भाग
  12. सोंठ एक भाग
  13. धातकी के फूल एक भाग
  14. शाल्मली निर्यास एक भाग

अभयारिष्ट के फायदे एवं उपयोग

  • अर्श रोग में मुख्य रूप से उपयोग किया जाता है ।
  • भगंदर रोग ने उपयोग किया जाता है ।
  • फिशर रोग में भी उपयोग किया जाता है ।
  • लगातार कब्जी रहने की समस्या में भी अभयारिष्ट का उपयोग किया जाता है ।
  • पेट दर्द या पेट से संबंधित समस्याओं के लिए भी आयुर्वेद चिकित्सक द्वारा इसका प्रयोग करवाया जाता है ।

सेवन मात्रा-

दो से चार छोटी चाय की चम्मच या या 10mlसे 20ml मात्रा में गुनगुना पानी मिलाकर सुबह शाम भोजन करने के उपरांत चिकित्सक के निर्देशानुसार सेवन करें ।

कहां से खरीदें?

आयुर्वेदिक मेडिकल स्टोर पर आसानी से उपलब्ध है । कई कंपनियां ऑनलाइन भी अभयारिष्ट के नाम से विक्रय करती है ।

सावधानी-

बच्चों की पहुंच से दूर रखें ।

निर्देशित मात्रा से अधिक सेवन ना करें ।

कब्जी करने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन ना करें ।

चेतावनी- यहां पर दी गई समस्त जानकारी चिकित्सापरामर्श नहीं है । किसी भी आयुर्वेदिक औषधि के सेवन से पूर्व रजिस्टर्ड आयुर्वेद चिकित्सक की सलाह अवश्य ले ।

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