आंवले का मुरब्बा के फायदे

आंवले का मुरब्बा के फायदे

आंवले का मुरब्बा के फायदे-आंवला सेवन करने की एक विधि है इसे मुरब्बे के रूप में खाना। यूं तो आंवले का मुरब्बा बना बनाया बाज़ार में मिलता है पर अगर घर पर बनाया जा सके तो शुद्ध भी बनेगा और में | उसकी क्वालिटी भी बढ़िया रहेगी। इसी हेतु से यहां आंवले का मुरब्बा बनाने की विधि प्रस्तुत की जा रही है। जो घर पर न बना सकें वे अच्छी क्वालिटी का मुरब्बा अच्छी प्रतिष्ठित दुकान से खरीद कर सेवन करें पर सेवन ज़रूर करें।

आंवले का मुरब्बा घटक द्रव्य-

  • ताज़े पके हुए बड़े आकार के आंवले अपनी आवश्यकता के अनुसार मात्रा में ।
  • चूना 50 ग्राम।
  • आंवलों के वज़न से दूने वज़न में शक्कर।
  • आवश्यक मात्रा में ताज़ा ठण्डा पानी।

आंवले का मुरब्बा निर्माण विधि-

आंवलों को पानी से धो कर उनमें चारों तरफ़ से गहरे छिद्र कर दें। पानी इतनी मात्रा में लें कि आंवले डूब जाएं। इस पानी में चूना डाल दें और पानी 1-2 घण्टे रखा रहने दें। दो बार साफ़ लकड़ी से पानी को हिला चला दें। जब चूना नीचे बैठ जाए तब ऊपर का पानी निथार कर एक पात्र में डाल दें और इसमें छिद्र किये हुए आंवले डाल कर 24 घण्टे तक रखें। बाद में आंवले इस पानी से निकाल कर साफ़ पानी में डाल दें और आग पर रख कर थोड़ा उबाल कर उतार लें, आंवले पानी से निकाल कर छाया में सूखने के लिए डाल दें।

12 घण्टे सुखा कर, आंवलों के वज़न से दुगने वज़न में शक्कर ले कर दो तार की चाशनी बना कर ये आंवले डाल दें और दस दिन तक रखे रहने दें। बाद में आंवले चाशनी से निकाल लें और फिर आंवलों के वज़न से दूने वज़न की शक्कर ले कर चाशनी बनाएं और इस चाशनी में आंवले डाल कर थोड़ी देर तक पका कर उतार लें। ठण्डे हो जाएं तब आंवलों को चाशनी सहित कांच की बर्नी में भर लें। मुरब्बा तैयार है।

आंवले का मुरब्बा मात्रा और सेवन विधि-

एक या दो आंवले प्रतिदिन भोजन के एक दो घण्टे बाद दोपहर में या सुबह खाली पेट खूब चबा चबा कर खाना चाहिए।

आंवले का मुरब्बा लाभ-

  • यह मुरब्बा स्वादिष्ट और अत्यन्त पित्त शामक है,
  • सिर दर्द (माइग्रेन) दूर करने वाला है।
  • नेत्र ज्योति, दांतों और बालों के लिए परम हितकारी है।
  • इसके सेवन से चक्कर आना, शरीर की कमज़ोरी, जलन, क़ब्ज़, रक्त विकार, त्वचा रोग, प्रमेह, स्वप्नदोष, धातु दौर्बल्य आदि व्याधियां नष्ट होती हैं।
  • यह हायपरएसिडिटी का शमन करने वाला है और शरीर को पुष्ट व सुडौल बनाने वाला है।
  • इसका सेवन कम से कम 3 मास तक तो करना ही चाहिए।
  • यह सभी ऋतुओं में और सभी आयु वालों के लिए सेवन योग्य है।
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