आयुर्वेदिक काढ़ा कैसे बनाएं?

ayurvedic kada kaise banaye

आयुर्वेदिक काढ़ा कैसे बनाएं?

आज पूरा विश्व यानी कि कोरोनावायरस से जूझ रहा है । ऐसी कई बीमारियां जो मौसम के हिसाब से समय-समय पर आती है । ऐसे में अगर आयुर्वेद की कुछ घरेलू दवाइयों जिन्हें हम मसालों के रूप में सब्जियों में उपयोग करते हैं । आयुर्वेदिक काढ़ा क्या है? आयुर्वेदिक काढ़ा कैसे बनाएं? आयुर्वेदिक कौन-कौन सी दवाइयां होती है? ऐसे सभी सवालों के जवाब आपको इस पोस्ट में मिलेंगे ।

आयुर्वेदिक काढ़ा क्या है?

आयुर्वेदिक काढ़े का मतलब है । आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां औषधियां जिनको साबूत अथवा दरदरा पीस कर 32 गुना पानी में उबालने के बाद एक चौथाई हिस्सा रहने के बाद उसे आयुर्वेदिक औषधि के रूप में एक निश्चित मात्रा में सिरप के रूप में उपयोग करना ही काढ़ा कहलाता है । यह सामान्य और सरल भाषा में आप लोगों को मैंने बता दिया ।अब मैं आपको बताता हूं कि आयुर्वेदिक काढ़ा कैसे बनाएं ? और क्या क्या इसके घटक द्रव्य है?आयुर्वेदिक काढ़ा बनाने में किए जाने वाली औषधियां

गिलोय-

गिलोय को आयुर्वेद में अमृता भी कहते हैं । जहां-जहां अमृत की बुंदे गिरी थी उससे इस औषधि की उत्पत्ति हुई थी । ऐसा पौराणिक शास्त्रों एवं कथाओं में आप लोगों को सुनने एवं पढ़ने मिल जाएगा । लेकिन आयुर्वेदिक शास्त्रोक्त विधि इस गिलोय से कहीं औषधीय बनाई जाती है ।जो चर्म रोग , बुखार, जीवाणु जनित रोग, वायरस जनित रोगों की रोकथाम में उपयोग लिया जाता है ।

तुलसी-

तुलसी एक अत्यंत गुणकारी आयुर्वेदिक औषधि है । जिसे सेवन करने से श्वसन तंत्र के रोगों में उपयोग किया जाता है । इसे कई कंपनियां प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली औषधि के रूप में विभिन्न नामों के अगर इसके अर्क का उपयोग किया जाता है । वास्तव में यह औषधि रोगों को दूर करने वाली और रोगों से दूर रखने वाली है । इसका भी उपयोग आयुर्वेद काढ़ा बनाने में किया जाता है ।

हल्दी-

हल्दी को रोगाणु नाशक आयु, बुखार को दूर करने वाली, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली, कैंसर कोशिकाओं को मारने वाली एवं अन्य कई गुणों के साथ रोगों से लड़ने वाली होती है । इसका उपयोग दूध के साथ रात्रि में सोते समय करना चाहिए । जिससे शरीर में रोग होंतो ठीक हो जाएंगे । और अगर रोग नहीं है तो नहीं होंगे ।

अदरक –

रोजमर्रा की जिंदगी में अदरक का उपयोग हम चाय में करते हैं । लेकिन इसके साथ कई सारे औषधीय गुण भी जुड़े हुए हैं । इन औषधीय गुणों के कारण आपके शरीर कहीं लाभ होते हैं । अदरक शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है । अदरक में सर्दी खासी जुकाम तथा एलर्जी से होने वाले रोग मे राहत देता है ।एंटीबैक्टीरियल गुणों के साथ विटामिन डी विटामिन ई कैल्शियम तथा आयरन का भरपूर स्त्रोत माना जाता है । यह पाचन शक्ति को भी मजबूत करता है ।

काली मिर्च-

रोजमर्रा के मसालों के रूप में उपयोग किए जाने वाली काली मिर्च मेभी कई सारे औषधीय गुण हैं । इसे गले की खराश खांसी में भी उपयोग किया जाता है । इसके साथ ही एसिडिटी पेट के कीड़ों तथा कैंसर जैसे रोगों में भी फायदा करता है । इसमें कई एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं ।

लॉन्ग –

यह भी एक मसाले के रूप में उपयोग की जाने वाली औषधि है । रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए उपयोग करनी चाहिए । क्योंकि इसमें कई सारे एंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं जिससे साइनस एलर्जी किया जाता है । लोंग का उपयोग तेल के रूप में कई सारी औषधियों में उपयोग किया जाता है । यह दांतों के रोगों में भी उपयोग किया जाता है । ऐसे दांत दर्द क्या दांत में कीड़ा हो तो रूई मे लॉन्ग का तेल लगाकर दांत में लगाने से दर्द खत्म हो जाता है ।

दालचीनी-

दालचीनी भी एक पसंदीदा मसाला है । जिसे रोजाना घर में क्यों किया जाता है । इसके कई औषधीय फायदे हैं । गले की खराश पेट की एसिडिटी ब्लड शुगर पाचन संबंधित समस्याओं में इसका उपयोग किया जाता है । त्वचा बालों एवं अच्छी नींद के लिए भी दालचीनी का प्रयोग करना चाहिए ।

इलायची-

इलायची एक सुगंधित और गुणकारी मसाला है । जिसे चाय में मीठे पकवान या कोई भी अन्य पकवान में उपयोग किया जाता है । यह शारीरिक दुर्बलता को दूर करने वाली पाचन तंत्र को मजबूत करने वाली औषधि है । जिसे दिनचर्या में शामिल करना चाहिए ।

गुड (वैकल्पिक)-

देसी गुड़ का प्रयोग आप काढ़ा बनाने में कर सकते है । अगर शुगर की समस्या है तो इसका उपयोग ना करें । बच्चों के लिए मीठा करने के लिए इसका उपयोग कर सकते हैं ।

काढ़ा बनाने की विधि-

एक परिवार के 5 सदस्यों के लिए क्या बनाना है तो ।गिलोय की बेल के 2-2 अंगुल के 4 से 5 टुकड़ेतुलसी के 10 से 15 पत्ते,हल्दी छोटे-छोटे 1 से 2 चम्मचकाली मिर्च 4 से 5 नग साबुत अथवा पाउडर बनाकरअदरक एक बड़ा टुकड़ा पीसकर लॉन्ग 4-5दालचीनी दो से तीन टुकड़ेइलायची 2 से 3 नगगुड आवश्यकतानुसारइन सभी को एक से सवा लीटर पानी में रात को भीगा कर रख दे । अथवा कम से कम 2 घंटे भीगा कर रखें । इसके बाद इन्हे हल्की आंच पर गर्म करना शुरू करें । जब यह उबलने लग जाए तब गैस की फ्लेम को बढ़ा सकते हैं । बीच-बीच में इसे हिलाते रहें ताकि मसाले चिपके नहीं । उबलते उबलते यह पानी एक चौथाई रह जाए तब इसका उपयोग कर सकते हैं ।

आयुर्वेदिक काढ़े सेवन करने की मात्रा

आयुर्वेदिक औषधि का सेवन करने से पूर्व आयुर्वेद चिकित्सक की सलाह ले सकते हैं । गर्भवती एवं 2 वर्ष से कमछोटे बच्चों को कम मात्रा अथवा नहीं देनी चाहिए ।एक वयस्क मे आयुर्वेदिक काढ़ा सेवन करने की मात्रा 40 से 50 एम एल सुबह शाम खाली पेट सेवन करें ।काढ़ा पीने के 1 घंटे पहले या 1 घंटे बाद तक किसी भी ठंडे पेय पदार्थ या भोजन का प्रयोग ना करें ।यह काढ़ा प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाला रोगों से दूर रखने वाला है । यह जानकारी आपको अगर अच्छी लगी है तो मित्रों एवं परिवार जनों को शेयर करें । ताकि उन्हें इसका लाभ मिले ।

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