आयुर्वेद के अनुसार आहार – आहार का इम्युनिटी का गहरा सम्बन्ध है। सम्यक आहार विहार से लम्बे समय तक स्वस्थ रहा जा सकता है । आजकल की जीवन शैली जिसमे हम पैक फ़ूड आइटम खाने लगे है – जैसे ब्रेड , जेम , डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ ,सॉफ्ट ड्रिंक , पेक जूस के डिब्बे जिसमे कृत्रिम एसेंस का उपयोग होता है , मसालेदार फास्टफूड जो हमारी इम्युनिटी कम करती है । फ़िल्टर किया हुआ पानी जिसके सभी मिनरल निकल दिया जाता है जिसके कारण कई प्रकार के खनिज लवण और विटामिन्स की कमी शारीर में होती है । हमारे आस पास के वतारावन में घुली हुई जहरीली गैसे ,प्रदुषण शरीर पर कई प्रकार के दुष्प्रभाव देखने को मिलते है ।
योग उसी व्यक्ति के दुःख का नाश करता है जो हिताहार विहारी हो
गीता में कहा है-
”युक्ता हार विहारस्य युक्त चेष्टस्य कर्मसु स्वप्नावबोधस्य योगों , भवति दुःखहा ‘’
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आयुर्वेद के अनुसार आहार
आयुर्वेद चिकित्सा विज्ञान ही नहीं परंतु संपूर्ण जीवन जीने की कला है।
आयुर्वेद का प्रयोजन
”स्वस्थस्य स्वास्थ्य रक्षणमातुरस्य विकार प्रशमन च”
अन्न प्राण –
जो अन्न वर्ण में , गंध में, रस में , तथा स्पर्श में जिस आहार का मनोनुकूल हो और जो आहार विधि पूर्वक बनाया गया हो , वह अन्नपान ,प्राणी संज्ञक जीवधारियो का प्राण यानि जीवन है –
आहार की मात्रा
आयु बल की अपेक्षा करते हैं अतः मात्रा पूर्वक आहार (भोजन) लेना चाहिए
मात्रा से मतलब जो आहार आसानी से यथा समय पच जावे वही उस व्यक्ति की आहार की मात्रा होती है।
मात्रा पूर्वक जो आहार लेते हैं उसे बल वर्ण सुख और स्वस्थ रहते हुए पूर्ण आयु से युक्त होता है।
लगातार प्रयोग किए जाने वाले आहार द्रव्य
- साठी चावल।
- शाली धान का चावल।
- मूंग की दाल
- सेंधा नमक
- आमला
- जौ का आटा
- गौ दूध
- जांगल मांस ,मधु
किसके साथ क्या खाएं ?
- आम के साथ – खजूर , सोंठ, नमक , चारोली , गाय का शुद्ध घी
- खरबूज के साथ – बुरा शक्कर
- केला – छोटी इलायची
- चावल – नारियल
- मुली – आजवाइन , मुली के पत्ते
- गाजर – मेथी ,
- जामुन – नमक
- ककड़ी – नमक
- अमरुद – सोंफ
- भोजन के बाद अनार
- दही के साथ – मुंग की दल का सुप, शुद्ध गाय का घी , मिश्री , शहद , आंवला का चूर्ण (में से कोई भी एक )
कौनसा आहार शरीर में किस प्रकार कार्य करता है ?
- जल – अन्न को क्लिन्न करता है शारीरिक धातुओ में क्लेद उत्पन्न करता है
- लवण रस- कफ के संघात को पतला करता है
- क्षार- पाचन करता है
- मधु- टूटे हुए स्थान को जोड़ता है
- घृत – तृप्ति व स्नेहन करता है
- अत्यधिक क्षार-दृष्टि तथा शुक्र का नाश करता है
वैरोधिक आहार
देह की धातुओ के विपरीत गुण वाले द्रव्य शरीर की धातुओ के विरुद्ध हो जाते है –
इन द्रव्यों में कुछ द्रव्य परस्पर गुण विरोधी है –
- गुण विरोधी -दुध के साथ मछली का सेवन न करें
- संयोग विरुद्ध – गुड + मकोय , गुड + मधु + मुली
- संस्कार विरोधी – एरंड तेल में मांसाहार पका कर खाना
- देश – अनूप देश में स्निग्ध, शीत,औषध, अन्न
- काल – शीतकाल में शीत( ठंडी, आइस्क्रिम, ठंडा पानी , बर्फ ),रुक्ष वस्तुओ(चेवडा) का सेवन
- रात्रि में सत्तू का सेवन
- मात्रा – मधु + घृत सामान मात्रा में विरोधी
- कूछ द्रव्य स्वाभाव – शमी धन्यो (फली वाली बिन्स) में उड़द
- शाक ( सब्जियों में ) – सर्षप ( सरसों का शाक )
- दूध – भेंड का दूध
विरुद्ध अन्न-
दूध के साथ
- नमक और गुड व तेल के बने पदार्थ
- जौ का सत्तू
- केला
- बेल का फल
- केथ का फल
- करोंदा
- नारियल
- अखरोट
- बडहल
- मुली
- हरी शाक सब्जी
- सहजन की फली
- कटहल
- उड़द
- कुल्थी
- मोठ
- सेम की फली
- इमली
- निम्बू
- सभी प्रकार के खट्टे फल
दही के साथ न खाएं
- दूध के साथ
- खीर के साथ
- पनीर
- केला
- मुली
- खरबूजा
- बेल का फल
- गरम भोजन
(नोट – दही रात्रि में निषेध , दही को कभी गरम न करे )
विरुद्ध आहार सेवन के नुकसान
- अंधापन (आँखों की रौशनी कम होना)
- शीतपित्त (अर्टीकेरिया)
- जलोदर
- फोड़े फुंसी, त्वचा रोग
- भगंदर
- भ्रम
- चक्कर आना
- श्वित्र
- पेट फूलना
- ग्रहणी
- शोथ ( सुजन )
- ज्वर ( fever )
- एसिडिटी
- पीनस ( बार बार जुकाम होना )
- मेंटल डिसोर्डर
अष्ट विधि विशेष आयतन
- प्रकर्ति Natural quality (नेचुरल क्वालिटी )
- करण Preparation (बनाने की विधि )
- संयोग Combination
- राशि quantity
- देश (habites)
- काल – (time) ऋतु
- उपयोग संस्था (rules of use) खाने के नियम
- उपभोक्ता – उपयोग करने वाला (user)
आहार विधि विधान
- उष्ण आहार – गरम भोजन (ताजा बना हुआ )लेना चाहिए
- स्निग्ध आहार
- मात्रा पूर्वक आहार
- आहार के जीर्ण हो जाने के पश्चात
- अविरुद्ध वीर्य वाले आहार
- इष्ट देश आहार ( अच्छे स्थान पर बैठकर )
- अति जल्दी से हानि
- अति विलम्ब से हानि
- तन्मना आहार
भोजन के अंत में नहीं खाए-
- केला
- ककड़ी
- पालक
- कंद वाली सब्जियां
- आलू , अरवी ,कचालू
- गन्ने का रस