आसव अरिष्ट क्या है ?

आसव अरिष्ट क्या है

आसव अरिष्ट क्या है ? सामान्य भाषा में समझे तो आसव अरिष्ट आयुर्वेदिक दवा निर्मित करने की कल्पना है जो द्रव रूप में विभिन्न रोगों में अलग-अलग आसव एवं अरिष्ट का सेवन आयुर्वेद चिकित्सको द्वारा करवाया जाता है । आसव अरिष्ट का निर्माण का मुख्य उद्देश्य औषधियों को ज्यादा असरकारक बनाने के लिए किया जाता है ।

आसव अरिष्ट का निर्माण संधान प्रक्रिया [ संधान प्रक्रिया से आशय है औषधि द्रव्य तथा द्रव को आपस में मिलाकर निश्चित समय के लिए निश्चित तापमान पर रखकर औषधि के औषधीय गुणों को रोग के लिए उपयोग किया जाता है ।]

आसव का निर्माण कैसे किया जाता है?

आसव का निर्माण किसी भी औषधि का रस आयुर्वेद में जिसे स्वरस कहा जाता है । या हिम कल्पना [जिसमें किसी मिट्टी के बर्तन में किसी भी औषधी को पाउडर बनाकर डालें और उसमें औषधि से 16 गुना गर्म जल का प्रयोग किया जाता है । इस बर्तन को रात भर ढक कर रख दिया जाता है और सुबह औषधि को मसल कर कपड़छान कर लिया जाता है ।] किसी के औषधि को 32 गुना अथवा 16 गुना जल में उबालकर जैसी शहद गुड़ शर्करा जात की धातकी पुष्प या किण्व जैसे संधान कर मधुर द्रव्य इसे निश्चित समय तक निश्चित तापमान में सुरक्षित किया जाता है । जिससे किण्वन होकर अपने आप स्वनिर्मित कोहल उत्पन्न होता है और यही कोहल लंबे समय तक औषधि को सुरक्षित रखता है । इन दो विधियों से आसव का निर्माण किया जाता है । अग्नि संस्कार नहीं किया जाता है ।

अरिष्ट का निर्माण कैसे किया जाता है?

अरिष्ट का निर्माण क्वाथ तथा फान्ट विधि द्वारा किया जाता है । किसी के औषधि को 32 गुना अथवा 16 गुना जल में उबालकर जैसी शहद गुड़ शर्करा जात की धातकी पुष्प या किण्व जैसे संधान कर मधुर द्रव्य इसे निश्चित समय तक निश्चित तापमान में सुरक्षित किया जाता है । जिससे किण्वन होकर अपने आप स्वनिर्मित कोहल उत्पन्न होता है और यही कोहल लंबे समय तक औषधि को सुरक्षित रखता है ।उसे अरिष्ट कहते हैं । अरिष्ट में अग्नि संस्कार होता है ।

आसव अरिष्ट विभिन्न प्रकार के रोगों पर जल्दी कार्य किया जाता है । शरीर को चुस्त और फुर्तीला बनाते हैं । कम मात्रा में अधिक असर दिखाते हैं और अधिक समय तक सुरक्षित भी रहते हैं ।

आसव अरिष्ट में मुख्य अंतर –

आसव मैं अग्नि संस्कार नहीं किया जाता है । इसलिए इनमें शीतलता का गुण होता है और गुरु होने के कारण देर से पचते है ।

अरिष्ट में अग्नि संस्कार किया जाता है । इसीलिए अरिष्ट में उष्ण गुण होने के कारण जल्दी पचते हैं ।

कुछ आसव अरिष्ट ओके नाम आगे जिनके बारे में हम पढ़ेंगे-

  1. अरविंदासव
  2. चंदनासव
  3. द्राक्षासव
  4. कनकासव
  5. कुमारी आसव
  6. लोहासव
  7. पुनर्नवासव
  8. सरिवाधासव
  9. उशीरासव
  10. अभयारिष्ट
  11. अमृतारिष्ट
  12. अर्जुनारिष्ट
  13. अशोकारिष्ट
  14. अश्वगंधारिष्ट
  15. बलारिष्ट
  16. दशमूलारिष्ट
  17. जीरकाद्यरिष्ट
  18. खदिरारिष्ट
  19. कुटजारिष्ट
  20. सारस्वतारिष्ट
  21. विडंगारिष्ट

चेतावनी- किसी भी प्रकार की आयुर्वेदिक औषधि सेवन से पूर्व आयुर्वेद चिकित्सक की सलाह आवश्यक है ।

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