काम चूड़ामणि रस: आयुर्वेद का वरदान

काम चूड़ामणि रस: आयुर्वेद का वरदान

काम चूड़ामणि रस, आयुर्वेद की अनुपम देन है, जो पुरुषों और स्त्रियों दोनों के यौन स्वास्थ्य और सामर्थ्य में सुधार लाने के लिए रचित एक परिष्कृत औषधि है। इसका निर्माण कई जड़ी-बूटियों और खनिजों के मिश्रण से होता है, जो मिलकर एक शक्तिशाली और प्रभावी योग बनाते हैं। इस औषधि के माध्यम से यौन दुर्बलता, नपुंसकता, और यौन संबंधित अन्य विकारों का सफल उपचार संभव है।

घटक द्रव्य:

काम चूड़ामणि रस के निर्माण में प्रयुक्त मुख्य घटक द्रव्यों में शामिल हैं:

  • मुक्ता पिष्टी: मन को शांत करने और तनाव को कम करने में सहायक।
  • सुवर्ण माक्षिक भस्म: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करता है।
  • सुवर्ण भस्म: शरीर की ओजस्विता बढ़ाने में मदद करता है।
  • भीमसेनी कपूर, जावित्री, जायफल, लौंग: यौन शक्ति और उत्तेजना में वृद्धि करते हैं।
  • वंग भस्म और रजत भस्म: शारीरिक दुर्बलता को कम करते हैं और शक्ति प्रदान करते हैं।

इसके अलावा, दालचीनी, तेजपात, छोटी इलायची के दाने, और नागकेसर का मिश्रण औषधि को अधिक प्रभावी बनाता है, जो स्वाद और गुणों में वृद्धि करता है।

निर्माण विधि:

काम चूड़ामणि रस का निर्माण उपरोक्त सभी घटकों को खरल में डालकर सात दिनों तक घुटाई करने के पश्चात्, 1-1 रत्ती की गोलियां बनाकर किया जाता है।

सेवन विधि और मात्रा:

सुबह और रात को सोने से पहले, मिश्री मिले कुनकुने गर्म मीठे दूध के साथ 2-2 गोली का सेवन करना चाहिए।

स्वास्थ्य लाभ:

काम चूड़ामणि रस, शीतल, पौष्टिक, और कामोत्तेजना बढ़ाने वाले गुणों से युक्त है, जो यौन दुर्बलता और विभिन्न यौन समस्याओं के उपचार में अमृत के समान कार्य करता है। इसका सेवन कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं करता और यौन रोगों को दूर करता है।

यह औषधि पुरुषों और स्त्रियों दोनों के लिए उपयोगी है, और इसे पूरे वर्ष किसी भी ऋतू में सेवन किया जा सकता है। काम चूड़ामणि रस न केवल पुरुषत्व और स्त्रीत्व को बढ़ाता है बल्कि यौन स्वास्थ्य को भी सुधारता है, जिससे सम्पूर्ण स्वास्थ्य और कल्याण में वृद्धि होती है।

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