कुमार कल्याण रस नाम से ही आपको इसका भावार्थ समझ में आ रहा होगा कुमार यानी कि आपके बच्चे का कल्याण करने वाला रस । भैषज्य रत्नावली में बाल रोगाधिकार में इसका वर्णन आपको मिलेगा । जो बच्चे कमजोर होते हैं । जो बच्चे कुपोषित होते हैं । जिनकी शारीरिक क्षमता कम होती है । मानसिक दुर्बलता होती है । जिन बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है । या जिन बच्चों को वात कफ़ज विकार होते हैं । उन सभी शारीरिक एवं मानसिक समस्याओं में कुमार कल्याण रस का अपना महत्व है । कई विद्वान आयुर्वेद चिकित्सक इन्हें अपनी युक्तिकल्पना से बच्चों को सेवन करवाते हैं । जिससे उनकी रोगों से लड़ने की क्षमता बनी रहती है । सभी शारीरिक धातुओं का पोषण होता है ।
कुमार कल्याण रस आयुर्वेद की बहुत सारी कंपनियां बनाती है । हर आयुर्वेदिक मेडिकल स्टोर पर उपलब्ध होता है ।
Table of Contents
कुमार कल्याण रस के घटक द्रव्य-
- रस सिंदूर एक भाग
- स्वर्ण भस्म एक भाग
- लोह भस्म एक भाग
- मौक्तिक पिष्टी(मोती ) एक भाग
- अभ्रक भस्म एक भाग
- स्वर्ण माक्षिक भस्म एक भाग
भावना-
कुमारी स्वरस आवश्यकता अनुसार
कुमार कल्याण रस का उपयोग विभिन्न रोगों में-
- बच्चों में होने वाला बुखार ।
- बच्चों में होने वाला अस्थमा या श्वास रोग में ।
- बच्चे में होने वाली खांसी में ।
- बच्चों की पुरानी कमजोरी या कुपोषण में ।
- बच्चों में पीलिया या पांडू की शिकायत में ।
- बच्चों में भूख की कमी तथा पाचन शक्ति कमजोर होने पर सेवन करवाया जाता है ।
- बच्चों में सूखा रोग, पेट का बड़ा हो जाना, सिर का असामान्य रूप से बड़ा हो जाना हाथ पैर कमजोर हो जाना जैसी स्थिति में भी इस रस का उपयोग किया जाता है ।
मात्रा-
65 .5 मिलीग्राम से 125 मिलीग्राम तक ( आधी से एक गोली ) दिन में एक या दो बार चिकित्सक के निर्देशानुसार ही सेवन करें ।
अनुपान- ( जिस द्रव्य के साथ औषधि का सेवन करना है ।)
माता के दूध में मिलाकर, शहद के साथ, अथवा चिकित्सक के निर्देशानुसार रोग के अनुसार सेवन करवाना चाहिए ।
सावधानियां-
आयुर्वेद की रस औषधियों में धात्विक शुद्धिकरण के बाद धातुओं का उपयोग किया जाता है । जिसमें मात्रा का ध्यान अवश्य रखना चाहिए । अधिक मात्रा में रसऔषधियों का बिना चिकित्सक की सलाह के सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है ।
चेतावनी– यहां पर उपलब्ध की गई समस्त जानकारी चिकित्सा परामर्श नहीं है । किसी भी आयुर्वेदिक औषधि के सेवन से पूर्व अधिकृत आयुर्वेद चिकित्सक से परामर्श करें ।
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