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नाम –
लैटिन -कौमिफेरा मुकुल (Comiphora mukul)
हिंदी – गूगल ,गुग्गलू ,
संस्कृत -गुग्गुलु (जो रोगों से रक्षा करे) ,देवधुप
गुजराती – गूगल
अंग्रेजी -gum-guggal
परिचय –
यह एक छोटा वृक्ष होता है ! ४ से ६ फीट की ऊचाई होती है ! शाखाये कांटेदार होती है !पत्ते नीम के जैसे एकांतर होते है !फुल -लाल रंग के पाँच दल वाले होते है ! फल -लम्बा गोल , मांसल , लाल रंग के होते है ! निर्यास – सुगन्धित , गाढ़ा ,और अनेक रंग का होता है ! गर्म पानी में डालने पर दूध का रंग हो जाता है !
गुग्गल के प्रकार –
रंग भेद से -काला , नीला, कपिश , लाल ,पिला
जाती भेद से – महिषाक्ष ,कुमुद , पद्य ,महानील, कनक
गुग्गल के लक्षण –
स्निग्ध ,मुलायम, पिच्छिल , मधुर गन्धी, तिक्त , पीताभ ,
कैसा गुग्गल नहीं ले ?
दुर्गन्ध युक्त , रंगहीन ,सुखा नहीं ले !
कहाँ प्राप्त होता है ?
सूखे पथरीले तथा मैदानी भागो में ! भारत में राजस्थान ,मैसूर , बंगाल , असम ,मध्य प्रदेश
कब संग्रह किया जाता है ?
एक वृक्ष से कमसे कम ५०० ग्राम से १ किलो की मात्रा में मिलता है ! गर्मी के मौसम में निकलता है ! जो शिशिर और हेमंत ऋतू में जम जाता है तब संग्रह करना चाहिए !
गुग्गुल के गुण –
स्निग्ध , पिच्छिल ,सुगंधी , लघु
रस – तिक्त , कटु
विपाक – कटु
गुग्गल के उपयोग –
हम जानेंगे गुग्गल क्या होता है ? यह गुग्गुल वृक्ष से निकलने वाला एक पदार्थ है ।
जो भूरे गुसर रंग का होता है । Commiphora wighti यह वृक्ष है जिसे आयुर्वेद में गुग्गुल कहां है । इसी वृक्ष के निकलने वाले निर्यास से कई प्रकार की आयुर्वेदिक औषधियों को वटी यानि की टेबलेट रूप में बांधने के साथ-साथ औषधीय गुणों से परिपूर्ण किया जाता है ।
वर्ष में दो बार एक बार गर्मी में तथा एक बार सर्दी में यह निर्यास स्त्रावित होता है । जिसे औषधियों बनाने में प्रयोग करने के लिए इकट्ठा किया जाता है ।
इस निर्यास अर्थात एक तरह का गोंद जो उस वृक्ष से निकाला जाता है ।उसे शुद्ध भी करना पड़ता है । भारत में स्थापित विभिन्न आयुर्वेदिक फार्मेसी चाहे वह निजी क्षेत्र की हो अथवा सरकारी क्षेत्र की इस गुग्गुल का शोधन करते हैं । शोधन करने के पश्चात विभिन्न प्रकार के चूर्ण की गोलियां बनाने के लिए इसका उपयोग करते हैं ।
परंतु यह कदापि ना समझे कि यह सिर्फ टेबलेट बनाने का काम करता है ।
गुग्गुल के अपने खुद के गुणधर्म हैं । जो विभिन्न व्याधियों में विभिन्न औषधियों( चूर्ण तथा भस्म) के साथ अलग-अलग प्रकार के लाभ देते हैं ।
सामान्य शोधन के अलावा विशेष शोधन भी कंपनियों द्वारा किया जाता है । ताकि मरीजों को गुग्गुल का अधिक से अधिक लाभ मिले ।
गुग्गुल का शोधन कैसे किया जाता है?
सामान्य शोधन- जिसमें गुग्गुल को एक निश्चित तापमान पर गर्म किया जाता है । फिर >३०० मैश से छा न लिया जाता है ।
विशेष शोधन- गिलोय, दशमूल, त्रिफला, गोमूत्र के द्वारा किया जाता है । शोधन के अनुसार शोधन में उपयोग किया गया द्रव या द्रव्य एक विशेष रोग में अपनी विशेषता के साथ व्याधि पर काम करता है ।
विभिन्न गुग्गुल कल्प के नाम-
विभिन्न रोगों के लिए अलग-अलग प्रकार की औषधियों के साथ में गुग्गल को मिलाकर बनाई गई टेबलेट कई कंपनियां बनाती है । नीचे दी गई समस्त औषधियां सभी आयुर्वेदिक मेडिकल स्टोर पर उपलब्ध है ।
- गोक्षुरादि गुग्गुल
- कैशोर गुग्गुल
- अमृतादि गुग्गुल
- लक्षादि गुग्गुल
- महायोगराज गुग्गुल
- पंचामृत लौह गुग्गुल
- कांचनार गुग्गुल
- पंचतिक्त घृत गूग्गुल
- पुनर्नवादि गुग्गुल
- सिंहनाद गूग्गुल
- स्यंवाभूव गुग्गुल
- त्रयोदशांग गूग्गुल
- त्रिफला गूग्गुल
- योगराज गुग्गुल तो आपने जाना गुग्गुल क्या होता है?
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चेतावनी- यहां पर दी गई समस्त जानकारी चिकित्सा परामर्श नहीं है । किसी भी आयुर्वेदिक औषधि के सेवन से पूर्व आयुर्वेद विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लें ।