चर्म रोग नाशक तेल-आज हम ऐसे तेल के बारे में बात करेंगे जो चमड़ी के रोगों के लिए अत्यंत गुणकारी है । आज की जीवन शैली खानपान और रहन-सहन के कारण होने वाले विभिन्न प्रकार के चर्म रोगों में इसका प्रयोग फायदेमंद होगा । हर घर में किसी ने किसी को फंगस इंफेक्शन की वजह से अलग-अलग तरह के चर्म रोग की समस्या रहती है । आयुर्वेद में कई ऐसे औषधीय है जिनसे चर्म रोग नाशक तेल बनाया जाता है । अगर आपको यह आपके घर में किसी को यह समस्या है तो इस पोस्ट को अंत तक पढ़ें ।
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चर्म रोग होने के कारण-
- साफ सफाई का ध्यान रखना ।
- शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी ।
- विरुद्ध आहार विहार का सेवन ।
- जीवनशैली जनित रोग जैसे मधुमेह( डायबिटीज)
- जीवाणु या कवक का संक्रमण( फंगल और बैक्टीरियल इंफेक्शन)
- फिरंग, उपदंश, सुजाक जैसे रोग के कारण ।
- तंबाकू का सेवन करने के कारण ।
- एलर्जी के कारण ।
चर्म रोग नाशक तेल के घटक द्रव्य-(स्वा .र अनुसार)
- नीम की छाल
- चिरायता
- हल्दी
- दारू हरिद्रा
- लाल चंदन
- हरीतकी( हरड़)
- विभितकी ( बहेड़ा)
- आमलकी( आंवला)
- अडूसा के पत्ते
- तिल का तेल
- पानी
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चर्म रोग नाशक तेल बनाने की विधि-
उपरोक्त घटक द्रव्य को बराबर मात्रा में ताजा लेकर कल्क ( कूट पीसकर लुगदी) बना ले । औषधियों की मात्रा से 4 गुना तिल का तेल और 4 गुना पानी मिलाकर हल्की आंच पर पकाएं । पानी जल जाने के बाद में उतारकर तुरंत छान ले । इस तेल का शरीर के बाहरी भाग पर प्रयोग कर सकते हैं । चेहरे के आसपास सावधानी से प्रयोग करें ।
चर्म रोग नाशक तेल के फायदे
- सभी प्रकार के त्वचा रोगों में प्रयोग किया जाता है ।
- खाज खुजली, चमड़ी फटना
- चमड़ी का सूखा होना
- चमड़ी पर होने वाली पूड़ी फुंसियों को दूर करता है ।
- पुराने से पुराने त्वचा के रोगों में फायदा करता है ।
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सावधानी-
आंखों के पास में लगाने से बचें ।
बच्चों की पहुंच से दूर रखें ।
सामान्य तापमान एवं सूखे स्थान पर स्टोर करें ।
केवल बाहरी भाग पर प्रयोग करें ।
चर्म रोगनाशक तेल
चेतावनी- इस लेख में दी गई समस्त जानकारी चिकित्सा परामर्श नहीं है । किसी भी आयुर्वेदिक औषधि के सेवन से पूर्व आयुर्वेद विशेषज्ञ की सलाह लें ।
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