च्यवनप्राश खाने के फायदे

च्यवनप्राश खाने के फायदे

च्यवनप्राश खाने के फायदे – आयुर्वेद का नाम सुनते ही कई लोगों के दिमाग में च्यवनप्राश की छवि उभरने लगती है ।

च्यवनप्राश कई गुणों युक्त संपूर्ण अवलेह है । वैसे तो हर उम्र का व्यक्ति च्यवनप्राश खाने के फायदे ले सकता है परंतु इससे सेवन से पूर्व कुछ जानकारियां कर लेनी जरूरी है ।

तो आज हम इस लेख में च्यवनप्राश से जुड़ी समस्त जानकारी देने वाले है । सबसे महत्वपूर्ण बात की च्यवनप्राशमें सबसे ज्यादा क्या डाला होता है ? इसमें आंवला( जिसे आमलकी रसायन) भी कहा जाता है । र

सायन से तात्पर्य है की यह शरीर की अंदरूनी ताकत में बढ़ोतरी करेगा । आंवला को तथा आंवले की बराबर की मात्रा में शर्करा मिलाई जाती है ।

आंवला शर्करा तथा उनके साथ कई प्रकार की बल्य औषधियों का प्रयोग च्यवनप्राश बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है ।

आंवला बल्य एवं उत्तम रसायन है । आंवले का स्थान आयुर्वेद में जीवनिय औषधि द्रव्य के रूप में जानी जाती है । चवनप्राश शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है । साथ ही साथ शरीर में किसी भी प्रकार की व्याधियो पर सकारात्मक प्रभाव डालकर स्वास्थ्य लाभ पहुचता है ।

मौसम के साथ होने वाली कई प्रकार की बीमारियां जैसे वायरल फ्लू, सर्दी ,खांसी, जुकाम होने से रोकता है । च्यवनप्राश का मुख्य प्रभाव श्वशन तंत्र के रोगों पर अत्यधिक पड़ता है ।

च्यवनप्राश ( अष्टवर्ग) शारंगधर संहिता के अनुसार बनाया हुआ है तो यहां सभी ऋतुओ में सेवन योग्य होता है । परन्तु इसका सेवन शरद ऋतू में अवश्य करना चाहिए ।

च्यवनप्राश( अष्टवर्ग) के घटक द्रव्य-

शारंगधर संहिता मध्यम खंड के अनुसार

  1. आंवला चूर्ण -951 भाग
  2. शक्कर- 951 भाग
  3. पिप्पली – 8 भाग
  4. वंशलोचन- 16 भाग
  5. दालचीनी- एक भाग
  6. दालचीनी के पत्ते – एक भाग
  7. इलायची- एक भाग
  8. नागकेसर- एक भाग
  9. शहद- 23 भाग
  10. गाय का घी 57 भाग

घटक द्रव्य का काढ़ा

  1. दशमूल – 40 भाग
  2. पिप्पली – 4 भाग
  3. हरड – 4 भाग
  4. कचोरा – 4 भाग
  5. भूम्यामलकी – 4 भाग
  6. कुष्मांड- 4 भाग
  7. मुस्ता – 4 भाग
  8. पुष्कर मूल- 4 भाग
  9. मेष शृंगी – 4 भाग
  10. इलायची- 4 भाग
  11. कृष्णागुरु – 4 भाग
  12. वाराही कंद- 4 भाग
  13. विदारीकंद – 4 भाग
  14. अश्वगंधा- 4 भाग
  15. बला मूल – 4 भाग
  16. मुद्गपर्णी – 4 भाग
  17. माषपर्णी – 4 भाग
  18. पुनर्नवा- 4 भाग
  19. गुडूची – 4 भाग
  20. करकट श्रृंगी – 4 भाग
  21. कमल- 4 भाग
  22. हरण वेल – 4 भाग
  23. द्राक्षा- 4 भाग
  24. मुलेठी- 8 भाग आइये जानते है च्यवनप्राश खाने के फायदे

च्यवनप्राश के फायदे -उपयोग

पुरानी खांसी- 

वैसे तो हर मौसम में खांसी जुकाम आम है । परंतु दबी दबी पुरानी खांसी जो आपको लंबे समय से परेशान कर रही है । खांसी के साथ बलगम की शिकायत है तो आपको चवनप्राश का सेवन करना चाहिए । धीरे-धीरे यह प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हुए पुरानी खांसी को ठीक कर देता है ।

अस्थमा( श्वास रोग) –

अक्सर बूढ़े लोगों को तथा कम उम्र के बच्चे जिन्हें अस्थमा ( श्वास रोग) की शिकायत है उन्हें चवनप्राश का सेवन निर्धारित मात्रा में नियमित रूप से करना चाहिए ।

शारीरिक दुर्बलता- 

धातु क्षय के कारण शरीर में दुर्बलता आ जाती है । चवनप्राश आंवला सहित कई प्रकार की ताकतवर औषधियों के मिश्रण से आयुर्वेद शास्त्रोक्त विधि द्वारा निर्मित किया जाता है । जो धीरे-धीरे आपके शरीर में धातु क्षीणता को कम करता है तथा निरोगी बनाने के साथ-साथ स्वास्थ्य को बढ़ाता है । तन्दुरुस्त और चुस्ती फुर्ती को बढ़ता है ।

अग्निमांद्य- 

चवनप्राश में कई ऐसे घटक द्रव्य का प्रयोग किया जाता है जो आपकी पाचन तंत्र को सुधारने के साथ-साथ भूख भी बढ़ाता है । भूख बढ़ाने के लिए थी

पुराना नजला जुकाम( जीर्ण प्रतिश्याय ) – 

एलर्जी के कारण जुकाम हो अथवा मौसम के साथ होने वाला सर्दी जुकाम, नाक टपकना, आंखें लाल रहना, जैसे समस्या को धीरे-धीरे च्यवनप्राश के सेवन से छुटकारा मिल जाता है । क्योंकि चवनप्राश में कइ ऐसी औषध द्रव्यों का प्रयोग किया जाता है जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के साथ-साथ स्वास्थ्य में वृद्धि करता है ।

राजयक्ष्मा ( ट्यूबरक्लोसिस) 

जिन रोगियों को टी. बी की समस्या है । उन सभी रोगियों को च्यवनप्राश का सेवन करना चाहिए । निश्चित रूप से च्यवनप्राश के सेवन से स्वास्थ्य लाभ मिलता है ।

धातुक्षय में च्यवनप्राश खाने के फायदे – 

शरीर में स्नायु दुर्बलता, क्लेद , तथा सभी धातुओं को( रस, रक्त, मांस, मेद, अस्थि, मज्जा तथा शुक्र) क्रमशः सभी का पोषण करता है । धीरे-धीरे शारीरिक निर्बलता को दूर करता है ।

पुराना बुखार-

धातु क्षय होने के कारण शरीर की दुर्बलता के कारण कई प्रकार के रोग शरीर में अपना घर बना लेते हैं । बुखार एक बीमारी का लक्षण है । असल रूप में शरीर में किसी भी प्रकार के संक्रमण होने के बाद हल्का या तेज बुखार रहता है । चवनप्राश में कई ऐसी औषधियों का प्रयोग किया हुआ है जो संक्रमण को धीरे-धीरे खत्म कर देता है । बुखार के लिए भी चवनप्राश का सेवन अत्यंत लाभदायक है ।

सेवन मात्रा-

वयस्क व्यक्ति में- आधा चम्मच से एक चम्मच सुबह खाली पेट दिन में एक बार

बच्चों में- 1 साल से 13 साल तक के बच्चों में आधा चम्मच सुबह खाली पेट दिन में एक बार

सावधानियां-

वैसे तो चवनप्राश के कोई गंभीर दुष्परिणाम नहीं है फिर भी

  1. 1 वर्ष से कम आयु के बच्चों को सेवन ना कराएं । बच्चों के स्थान पर स्तनपान करवाने वाली माता को इसका सेवन करवाने से बच्चे ने इसका लाभ मिलेगा ।
  2. जिन्हें एसिडिटी की समस्या है वे केवल दिन में एक बार खाली पेट आधा चम्मच सेवन करें । आधे घंटे बाद दूध का सेवन करें ।
  3. च्यवनप्राश कई रोगियों में पाचन शक्ति कम होने के कारण दस्त लग सकती है । उन्हें च्यवनप्राश के सेवन की मात्रा को आधा करना चाहिए ।
  4. शुगर के रोगियों को का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि शर्करा की मात्रा होने के कारण शुगर लेवल बढ़ सकता है । शुगर फ्री च्यवनप्राश का सेवन कर सकते हैं ।

च्यवनप्राश सही है इसका पता कैसे लगाएं?

सामान्य विधि- च्यवनप्राश की कुछ मात्रा पानी में डाल कर देखें । अगर च्यवनप्राश सही है तो वह पानी में डूब जाएगा । परंतु च्यवनप्राश पानी में तैरता है तो समझना चाहिए वह सही तरीके से पका हुआ नहीं है ।

कहां से खरीदें?

हर आयुर्वेदिक मेडिकल स्टोर पर आसानी से उपलब्ध है । आजकल ऑनलाइन स्टोर पर भी डिस्काउंट के साथ उपलब्ध है ।

चेतावनी- इस लेख में दी गई समस्त जानकारी चिकित्सा परामर्श नहीं है । किसी की आयुर्वेदिक औषधि के सेवन से पूर्व रजिस्टर आयुर्वेद चिकित्सक की सलाह आवश्यक है ।

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