जयमंगल रस

जय मंगल रस

जयमंगल रस– ( भैषज्य रत्नावली) रोगी का जय और मंगल इस औषधि के द्वारा होगा । पुराने से पुराना बुखार हो, जो रस रक्त आदि धातुओं के अंदर चला गया हो । विषम ज्वर जिसे आधुनिक विज्ञान में मलेरिया के नाम से जाना जाता है । हर प्रकार के बुखार में इस रस का उपयोग आयुर्वेद चिकित्सा विद्वानों द्वारा किया जाता है । यह एक स्वर्णकल्प औषधि है । जय मंगल रस का उपयोग बुखार से होने वाले या बुखार के बाद होने वाले पीलिया पांडु रोग में भी अत्यंत गुणकारी औषधि है । यह रक्त प्रसादक औषधि है । शरीर में रक्त को बढ़ाने वाला । जय मंगल रस मस्तिष्क फेफड़ों के साथ-साथ ह्रदय के लिए भी लाभदायक है । पीलियाअगर पुराना हो गया है तो ऐसी स्थिति में जय मंगल रस का उपयोग किया जाता है । यह रस और रक्त दोनों धातुओं को पोषण देता है ।कई कंपनियों द्वारा इसका निर्माण किया जाता है । गोलियों के रूप में कांच की शीशी में हर आयुर्वेदिक स्टोर पर उपलब्ध होता है ।

रोगाधिकार- ज्वर

जयमंगल रस के घटक द्रव्य-

  1. स्वर्ण भस्म 2 भाग
  2. रजत भस्म एक भाग
  3. कांत लोह भस्म एकभाग
  4. ताम्र भस्म एक भाग
  5. वंग भस्म एक भाग
  6. स्वर्ण माक्षिक भस्म एक भाग
  7. शुद्ध टंकण( बाल सुधा) एक भाग
  8. शुद्ध पारद एक भाग
  9. शुद्ध गंधक एक भाग
  10. सेंधव एक भाग
  11. मरीच एक भाग

भावना-

शेफालिका पत्र का काढ़ा आवश्यकतानुसार

दशमूल क्वाथ आवश्यकता अनुसार

किरातिक्त काढा आवश्यकतानुसार

धतूर पत्र स्वरस आवश्यकता अनुसार

भावना से तात्पर्य है- उपरोक्त औषधियों में स्वरस( किसी भी औषधि को खूब पीसकर निकाला गया रस) या क्वाथ ( किसी भी औषधी को 16 गुने जल में उबालकर एक चौथाई भाग रहने पर उपयोग किया जाता है उसे क्कवाथ या काढ़ा कहते हैं)

जय मंगल रस का उपयोग किन रोगों में किया जाता है?

  • पुराना पीलिया( पांडू रोग )
  • सभी प्रकार के ज्वर( बुखार) खासकर पुराना बुखार विषम ज्वर जो 1 दिन 2 दिन या 3 दिन छोड़ कर पुनः आता है ।
  • राज्यक्षमा के रोगी जिन्हें लगातार हल्का बुखार रहता है ।
  • धातु गत ज्वर( मांस मेद अस्थि मज्जा गत बुखार)
  • पुराने बुखार की वजह से होने वाली दुर्बलता में
  • धातु क्षय की स्थिति में ।

जयमंगल रस की सेवन मात्रा-

65.5 मिलीग्राम से 125 मिलीग्राम तक आयुर्वेद चिकित्सक के निर्देशानुसार ही सेवन करें ।

अनुपान ( औषधी जिस द्रव के साथ ली जाती है)

शहद व् जीरा पाउडर अथवा गुनगुने पानी के साथ चिकित्सक के निर्देशानुसार व्याधि अनुसार सेवन करें ।

सावधानी-

रस औषधियों का सेवन केवल चिकित्सक के निर्देशानुसार ही करना चाहिए । रस औषधियों में शोधित धातुओं का उपयोग किया जाता है ।जिससे बिना सलाह के लंबे समय तक लेना हानिकारक हो सकता है ।

चेतावनी- यहां पर दी गई जानकारी चिकित्सा परामर्श नहीं है । इस औषधि के सेवन से पूर्व अधिकृत आयुर्वेद चिकित्सक से जरूर लें ।

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