जल स्वास्थ्य-सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक जल हम अपने दैनिक जीवन में करते है हमें ये पता होना चाहिए की आखिर जल का स्वास्थ्य से क्या लेना देना है । जल दो प्रकार का होता है अब आप पूछेंगे भाई दो प्रकार का कैसे ? बताता हु भाई … एक आकाश से बरसने वाला पर दुसरा जमीन से मिलने वाला । क्यों सच कहा न ?
चलिए ये जानते है की की
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आकाशीय जल के भेद –
- वर्षा
- ओले
- ओस
- बर्फ (पिगालने से जल)
जमीन के पानी के भेद
- नदियाँ
- तालाब
- बावड़ी
- कुए
- झरने
- कुंड
- एनिकट
- समुद्र का पानी
अब आप सोच रहे होंगे की ये भेद बताकर हमें क्या करना है ? हमें तो यहाँ पर सिर्फ पानी से स्वास्थ्य के बारे में जानना है । तो चलिए फिर –
वर्ष के जल के गुण -जल स्वास्थ्य
सबसे शुद्ध जल वर्षा का मन गया है । महर्षि चरक ने वर्षा के जल को ”दिव्य जल” कहा है ।
ठण्डा ,पवित्र , कल्याण करने वाला ,स्वादिष्ट , दुर्गन्ध रहित ,स्वच्छ ओर जल्दी पचने वाला ।
वही आचार्य सुश्रुत ने वर्षा जल को तृप्ति कारक ,ओज को बढ़ने वाला ,थकान दूर करने वाला ,शरीर की नमी को बनाए रखने वाला ,सभी स्थानों और किसी भी समय और व्याधियो में प्रयोग किया जाने वाला बताया है ।
जल शुद्ध है या नहीं कैसे पता करे ?
आचार्यो ने हजारो वर्ष पूर्व जल की शुद्धता के बारे में वर्णन कर दिया था । आचार्यो द्वारा बताया गया है की आश्विन मास में बरसने वाला पानी गंगा जल है और उसके अतिरिक्त बरसने वाला पानी पिने योग्य नहीं है क्यूंकि वह समुद्र का जल है जो त्रिदोष कारक बताया है ।पहले के समय में सोने चांदी के पात्रो में और मिटटी के बर्तनों में शुद्ध वर्षा का जल एकत्र किया जाता था ।शुद्धता के लिए आचार्यो ने कहा है की बरसते पानी में शाली चावल रखने पर उनका रंग न बदले तो समझना चाहिए की जल शुद्ध है । आज कल इसका तरीका बदल गया है जो सीमेंट की टंकीयो में होता है ।
आज के समय में जल की शुद्धता का पैमाना बदल गया है अब जल को इस तरह से शुद्ध किया जाता है की वह गुण रहित हो जाता हैं । कक्योंकि कई मिनरल और स्वास्थ्य वर्धक पोषक तत्व शुद्धता के नाम पर साफ़ कर लिए जाते है ।
धीरे बहने वाली नदियों का एवं समुद्र का जल रोगकारक होता है ।
शुद्ध जल के फायदे -जल स्वास्थ्य
जल तो सबके लिए जरुरी है लेकिन स्वास्थ्य की दृष्टि से शुद्ध जल ही स्वास्थ्य को बनाये रख सकता है । शुद्ध जल के फायदे
- शरीर को निर्जलीकरण से बचाता है ।
- हमारे शरीर में लगभग ९० प्रतिशत भाग जलियांश है ।
- रुधिर परिसंचरण को बनाये रखने में मददगार
- उर्जावान बनाये रखता है ।
- आवश्यक पोषक तत्व एवं खानिज लवण की पूर्ति करता है ।
- आंतरिक स्त्रोतस एवं अंगो को सुचारू रूप से कार्य करने में मदद करता है ।
अशुद्ध जल के कारण
- जानवारो और कीड़े मकोडो का मल
- जानवरों एवं कीड़े मकोड़े के मुर्दे
- कचरा डालने से
- जलीय शैवाल , जलकुम्भीयुक्त दुर्गंधित जल का कारण
- आज के समय में शरो का दूषित जल जलाशयों में छोड़ने से
दूषित जल के सेवन से होने वाले नुकसान -जल स्वास्थ्य
- पेटदर्द
- उल्टी -दस्त
- पाचन प्रक्रिया बिगडती है ।
- हड्डियों में दर्द
- दांतों का रंग बदलना
- यकृत बढ़ाना या प्लीहा का बढ़ाना
- पीलिया
- बुखार
- विकास में रूकावट
जल को प्राचीन काल में शुद्ध करने की विधियाँ –
- कपडे से छानना
- विशेष फल से पानी को शुद्ध करना
- कमल नाल से पानी को शुद्ध करना
- मुक्ता प्रक्षेप द्वारा
- शुभ्रा (स्फटिक ) द्वारा
- पानी में धातु को गरम करकर बुझाना
समय बदला है लेकिन जल का स्वाभाव और घुन आज भी वही है । जल ही जीवन है आझ जल को बचाने के प्रयास विश्व स्टार पर हो रहे है बढती जल की आवश्यकता के कारण जल के महत्व को समझना जरूरी हो गया है । आज के समय में वाटर हार्वेस्टिंग के नए नए स्वरुप देखने को मिलेंगे और वाटर प्यूरीफीकेशन के नए स्वरुप में जल को शुद्ध किया जा रहा है ।
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