तनाव क्या है ?- किसी भी सामान्य स्थिति का अचानक परिवर्तन होने के कारण होने वाली प्रतिक्रिया तनाव है। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी किसी के पास समय नहीं है। पैसा बहुत है लेकिन किसी को देने के लिए समय नही है।
बहुत सारे कारण हो सकते हैं -भावनात्मक जुड़ाव की कमी ,परिस्थितियो में बदलाव ,पारंपरिक रीति-रिवाजों आदि के लुप्त होने से और भी कई सारे कारण हो सकते हैं । तनाव का सीधा सम्बन्ध स्वास्थ्य और सोंदर्य पर पड सकता है ।आइये तनाव के बारे में हम आगे जानेंगे-
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तनाव के लक्षण
- चेहरे पर थकान
- सिर दर्द बना रहना
- नींद नहीं आना
- चिड़चिड़ापन
- बुरे सपने आना सपनों में डर लगना
- आक्रामक होना
- दिनचर्या में असंतुलन
- नशे की तरफ प्रवृत्त होना
- शरीर कांपना
- सामाजिक कार्यों में भाग लेने से बचना
- बेवजह गुस्सा करना
- बेवजह चिल्लाना
तनाव के कारण
- अधिक महत्वाकांक्षी होना
- आधुनिक जीवन शैली जिसमे सम्बंदो के लिए समय नहीं नही ।
- एकाकी परिवार
- किसी के भी मामले में बेवजह पड़ना
- आपसी मतभेद विचारों का ना मिलना
- हारमोंस की गड़बड़ी
- स्वार्थीपन
- गलतफहमियां
- बिना योजना के कार्य करना
- असाध्य बीमारी
- बेरोजगारी
- दुश्मन का डर
- गृह क्लेश
- प्रेम संबंध में विफलता
तनाव से होने वाले रोग एवं समस्याए
- माइग्रेन
- महिलाओ में pcod /pcos की समस्या
- सोन्दर्यता की कमी
- वजन में कमी या बढोतरी
- बुरे सपने
- बालों का झड़ना
- पाचन सम्बन्धी समस्याए ।
- मानसिक संतुलन का खोना
तनाव से कैसे बचे
- अच्छे आयुर्वेद एवं योग विशेषज्ञ की सलाह ले
- धैर्य के साथ चांदी का परिचय दें।
- हठधर्मिता का त्याग करें
- बड़ों से सलाह ले
- कार्यों में व्यस्त रखें गार्डनिंग, बुक्स पढ़ना इत्यादि।
- ईर्ष्या भाव का त्याग करें
- महत्वाकांक्षाओं को सीमित करें
- नकारात्मक लोगों से बचें
- अध्यात्म एवं मेडिटेशन का सहारा ले
- चुनौतियों से नहीं डरे और सामना करें
- सामाजिक कार्यों में अपना समय लगाएं
- व्यर्थ की बातों को बोलने की शक्ति पैदा करें
- विचारों को शुभचिंतक एवं परिवार जन से शेयर करें।परिस्थितियां अगर आपके हाथ में ना हो तो उन्हें स्वीकार करें।
- घर में पालतू जानवर को पाले।
क्या नहीं करें
- नमक का सेवन ना करें
- मीठा अधिक नहीं खाएं
- व्यसन से दूर रहे
- मांसाहार का त्याग करें
- धूम्रपान से दूर रहे
तनाव को दूर करने के लिए योग और प्राणायाम
- भुजंगासन
- योगिक क्रियाएं
- अनुलोम विलोम
- भ्रमरी प्राणायाम
- ध्यान
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