ताम्र भस्म से लाभ

ताम्र भस्म से लाभ

ताम्र भस्म से लाभ- ताम्र अर्थात तांबा आयुर्वेद में तांबे का बहुत महत्व है। आज हम जानेंगे ताम्र भस्म बनाने में किन किन घटक द्रव्य का प्रयोग किया जाता है। ताम्र भस्म के उपयोग। ताम्र भस्म के सेवन से होने वाले लाभ। ताम्र भस्म के सेवन में क्या सावधानी रखनी है ।

तांबा शरीर के लिए वैसे तो नुकसानदायक है। परंतु आयुर्वेद में कुछ शास्त्रीय विधियां हैं इसके माध्यम से तांबे के विष के समान गुणों को शुद्धीकरण के पश्चात ताम्र भस्म बनाकर अमृत के समान लाभ देता है।

ताम्र भस्म का उपयोग मुख्य रूप से यकृत प्लीहा पर तथा पाचन संस्थान के रोगों के लिए किया जाता है।

ताम्र भस्म के घटक द्रव्य-

  1. शुद्ध ताम्र
  2. शुद्ध हरताल
  3. शुद्ध पारद
  4. शुद्ध गंधक

ताम्र भस्म के उपयोग एवं फायदे

  • पीलिया रोग
  • कामला रोग
  • यकृत से संबंधित रोग जैसे यकृत में संक्रमण अथवा सूजन ( लिवर फैटी होना) में प्रयोग करवाया जाता है।
  • मोटापे के निवारण के लिए भी यह सहायक औषधि है।
  • कुष्ठ रोग में भी इसका उपयोग किया जाता है।
  • परिणामशूल खाना खाने के बाद तुरंत पेट में दर्द जैसे शिकायत में किसका प्रयोग किया जाता है।
  • यकृत के विकारों के कारण भूख ना लगना ताम्र भस्म से पाचन संस्थान के अवयव में सुधार कर पेट की अग्नि को प्रदीप किया जाता है।
  • विरुद्ध या गलत खान-पान के कारण अथवा संक्रमण जनित विसूचिका में इसका प्रयोग करवाया जाता है।
  • ग्रहणी रोग- खाया पिया नहीं लगता, भोजन के तुरंत बाद मल त्याग के लिए जाना पड़ता है। भोजन पचता नहीं है। शरीर कमजोर होने लगता है। ताम्र भस्म का उपयोग ग्रहणी रोग में भी किया जाता है।
  • उदर से संबंधित रोगों लिवर में पित्ताशय से संबंधित रोग ताम्रपत्र का प्रयोग करवाया जाता है।
  • यकृत में पित्त रस की उत्पत्ति को सुनियोजित करता है और आंतों के पाचक रसों का नियमन भी करता है।
  • पाचन संस्थान के अवयवों जैसे यकृत प्लीहा अग्नाशय पित्ताशय अथवा आमाशय में किसी भी प्रकार की सूजन काम करता है।

विशेष सावधानी

  • गर्भवती महिला को सेवन ना करवाएं क्योंकि ताम्र भस्म की तासीर उष्ण एवं तीक्ष्ण है।
  • सूतीका को ताम्र भस्म का प्रयोग नहीं करवाना चाहिए।
  • छोटे बच्चे तथा वृद्ध जनों को सेवन नहीं करवाना चाहिए।
  • रक्तार्श के रोगी को बिल्कुल भी प्रयोग ना करवाएं। रक्तस्त्राव या द्रव मल की प्रवृर्ति हो सकती है।
  • ट्यूबरक्लोसिस के रोगी को ताम्र भस्म का सेवन ना करवाएं।

सेवन मात्रा एवं अनुपान-

60 मिलीग्राम से 120 मिलीग्राम की मात्रा दिन में दो बार गनगुना पानी शहद या दूध से चिकित्सक की देखरेख में प्रयोग करवाएं।

कहाँ से खरीदे?

हर आयुर्वेदिक मेडिकल स्टोर पर आसानी से उपलब्ध है। ऑनलाइन स्टोर पर भी उपलब्ध है।

चेतावनी- लेख में उपलब्ध समस्त जानकारी चिकित्सा परामर्श नहीं है। आयुर्वेदिक औषधि के सेवन से पूर्व रजिस्टर्ड आयुर्वेद चिकित्सक की सलाह जरूर ले।

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