तिल के फायदे-दोस्तों आज की इस पोस्ट में हम जानेंगे तिल के बारे में । हम सभी को पता है तिल का उपयोग सर्दियों में उपयोग आम है । तिल के लड्डू, तिल की गजक, तिल पपड़ी, रेवड़ी और भी ना जाने कितने प्रकार की व्यंजन तिल से बनाए जाते हैं । और यह स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है ।
तिल का कुल- तिल कुल( Peddliaceae)
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तिल के नाम
लैटिन नाम- (Sesamum indicum linn.) सिसेमम इंडिकम
अंग्रेजी नाम-सिसेमम (Sesamum)
हिंदी नाम- तिल
संस्कृत नाम- तिल
गुजराती नाम- तल
बंगाली नाम- तिल
तिल का पौधा कैसा होता है?
1 वर्ष की आयु वाला 1 से 3 फुट का पौधा होता है । नजदीक जाने पर इसकी दुर्गंध आती है । इसके कांड पर छोटी-छोटी रोम पाए जाते हैं । 3 से 5 इंच लंबे होते हैं पत्ते छोटे-बड़े और कार आयताकार या भला कार रूप में होते हैं । एकांतर होते हैं । इसकी फूल कोमल लोम युक्त होते हैं । पत्तियों में बैंगनी तथा सफेद बैंगनी या पीले रंग के चिन्हों वाली होती है । इसका फल 1 इंच का लंबा आयताकार चार कोने वाला होता है । बीज छोटे चिकने सफेद रंग के लाल रंग के अथवा काले रंग के होते है । फूल इसके अक्टूबर से दिसंबर में आते हैं । फल दिसंबर से जनवरी में आते हैं ।
तिल के प्रकार-
तीन तीन प्रकार के होते हैं ।
- सफेद तिल- इसमें तेल अधिक निकलता है ।
- लाल तिल( राम तिल)- इसका पौधा काले तिल जैसा ही होता है परंतु इसके फूलों में रंगों में अंतर हो सकता है और पत्ती बड़े होते हैं ।
- काले तिल- काले तिलों में गुण अच्छा माना जाता है । इसका उपयोग औषधीय कार्य में लाया जाता है ।
कहां पाया जाता है?
पूरे भारतवर्ष में पाया जाता है । किसान इसकी खेती करते हैं । सर्व सुलभ है ।
तिल से हमें तेल, पोषक तत्व की बात करें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, खनिज द्रव्य, कैल्शियम, फास्फोरस इत्यादि मिलता है । तिल के तेल में सिसेमिन और सिसेमालिन पाया जाता है ।
तिल के गुण धर्म
गुण – गुरु और स्निग्ध
रस- मधुर कषाय तिक्त
विपाक – मधुर
वीर्य – उष्ण
आइये जानते है तिल के फायदे एवं उपयोग
तिल के उपयोग
- तेल का प्रयोग आयुर्वेद के अनुसार सभी प्रकार की वात रोगों में फायदेमंद रहता है । वात रोगों से तात्पर्य है शरीर में वायु की अधिकता जिसके कारण शरीर में विभिन्न स्थानों पर दर्द रहना । उष्ण प्रकृति होने के कारण वात रोगों में उपयोगी है ।
- तिल तेल का उपयोग मालिश के लिए किया जाता है । जो जोड़ों के दर्द तथा सभी प्रकार के संधि गत वात रोगों में फायदेमंद रहता है ।
- यह बालों को बढ़ाने वाला होता है ।जिन महिलाओं को बालों से संबंधित समस्याएं हैं । काले तिल का सेवन करना चाहिए ।
- बालों को काला करने और बढ़ाने के लिए तिल के पत्ते और जड़ को पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर बालों को धोया जाता है । और उसके तेल को माथे में लगाया जाता है ।
- तिल का उपयोग दिमाग के लिए भी अच्छा है । क्योंकि यह एकाग्रता बनाए रखें और याद रखने की शक्ति को बढ़ाता है ।
तिल के फायदे
- इसका रसमधुर और कषाय होने के कारण रक्तस्तंभक का कार्य करता है ।
- श्वास नली के रूखे पन को दूर करता है ।
- पुरुषों के पुरुषत्व वर्धक महिलाओं में आर्तव जनन का कार्य करता है ।
- यह शरीर की अंदरूनी ताकत को बढ़ाता है ।
- तिल के तेल की मालिश को सबसे उत्तम और हितकर बताया गया है ।
- त्वचा का रूखापन दूर करता है ।
- पैरालाइसिस, फेशियल पैरालाइसिस में इसके तेल की मालिश करना फायदेमंद होता है ।
- पाइल्स (बवासीर ) की शिकायत में इसका कल्क बनाकर गर्म करके बांधते हैं । तथा रक्तस्राव को रोकने के लिए तिल को मक्खन के साथ खाने के लिए दिया जाता है । तिल कषाय होने के कारण स्तंभन का कार्य करता है और मक्खन उसकी उष्णता को कमजोर करता है ।
- जिन लोगों को दातों की कमजोरी है खिलते हैं के दांत मजबूत नहीं है । उन्हें तिल चबाने की सलाह दी जाती है ।
- प्रमेह और पुयमेह में तिल का सेवन उत्कृष्ट माना गया है । क्योंकि यह मूत्र को कम करता है।
- महिलाओं में देर से आने वाली माहवारी में लाभप्रद होता है । जिन महिलाओं को माहवारी के समय कष्ट होता है उन्हें तिल का सेवन करना चाहिए ।
- शरीर की ताकत को बढ़ाने के लिए लड्डू बनाए जाते हैं ।
- त्वचा की विकारों में भी तेल का प्रयोग करें ।
प्रयोग किए जाने वाले भाग-
तिल के बीज और तिल का तेल ।
तिल बीज की सेवन मात्रा-
वयस्क में 3से 5 ग्राम की मात्रा सेवन करनी चाहिए । बच्चों में यह मात्रा आधी देवें ।
तिल तेल का प्रयोग-
छोटे बच्चे से लेकर बूढ़े व्यक्ति तक सभी को तिल तेल की मालिश उत्तम मानी गई है । साथ ही साथ खाने मेभी इसका प्रयोग किया जाता है !
तिल के विशिष्ट योग-
तिलादिलेप, तिल गुडीका, तिलाअष्टक
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