दिमाग की ताकत के लिए आयुर्वेदिक दवा- आयुर्वेद शास्त्रों के अनुसार मस्तिष्क के विकास मस्तिष्क की दुर्बलता और भी मस्तिष्क से जुड़ीकई प्रकार की समस्याओं के लिए आयुर्वेदिक दवाइयों का वर्णन मिलता है। आयुर्वेद में नाड़ी संस्थान पर शायरी करने वाली कुछ औषधियों का वर्णन किया गया जो मस्तिष्क के साथ-साथ नाड़ी तंत्र के सुधार के लिए भी कार्य करती है।
जैसे ब्राह्मी, शंखपुष्पी, जटामांसी, मंडूकपर्णी इत्यादि आइए जानते हैं और भी इसके बारे में विस्तार से-
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मंडूकपर्णी –
यह एक मस्तिष्क के लिए फायदेमंद आयुर्वेदिक औषधि है । इस आयुर्वेदिक औषधि के पत्ते मेंढक के समान होने के कारण इसका नाम मंडूकपर्णी भी रखा गया है। अनुमान लगाया जाता है कि मंडूक ऋषि के द्वारा प्रचारित किए जाने के कारण इसका नाम मंडूकपर्णी रखा गया। अथवा पानी में रहने के कारण अथवा जहां पर मेंढक विचरण करते हैं या रहते हैं ऐसी जगह पर पाई जाने के कारण इसका नाम मंडूकपर्णी रखा होगा।
यह एक क्षुप के रूप में पाई जाती है। कभी-कभी दो-तीन साल तक भी इसका पौधा जीवित रहता है।
भारत में 2000 फिट तक ऊंचाई पर तालाबों नदियों में पाई जाती है।
मंडूकपर्णी में कई रासायनिक तत्व पाए जाते हैं जैसे हाइड्रोकोटीलीन , एशियाटिकोसाईड नामक ग्लाइकोसाइड , स्टैरोल , एस्कोरबिक एसिड जैसे कोई अन्य रासायनिक तत्व पाए जाते हैं।
मंडूकपर्णी के उपयोग एवं फायदे-
- स्मरण शक्ति बढ़ाती है। मस्तिष्क के रोगों जैसे उन्माद अपस्मार जैसे रोगों में प्रयोग फायदेमंद होता है।
- एसिडिटी को कम करने वाली होती है।
- कफ को बाहर निकालने वाली और और गला साफ करने वाली होती है।
- आम का पाचन करती है। पाचन शक्ति को बढ़ाती है।
- त्वचा में रक्त परिसंचरण को बनाती है
- रक्त पित्त रोग में फायदेमंद है।
- दूध पिलाने वाली माताओं में स्तन्य वर्धक और शोधक होती है।
- शरीरके बल और आयु को बढ़ाती है।
- चर्म रोगों में इसका लेप करना फायदेमंद होता है ।
- मधुमेह रोगियों के लिए फायदेमंद है।
प्रयोग किए जाने वाले अंग-
संपूर्ण पंचांग
सेवन मात्रा-
कुट पीसकर निकाला गया स्वरस 10 से 20 मिलीलीटर की मात्रा
शंखपुष्पी-
दिमाग की ताकत के लिए आयुर्वेदिक दवा संस्कृत में इसका नाम शंखपुष्पी है। शंख के समान सफेद रंग की फूल की आकृति होने के कारण शंखपुष्पी कहा जाता है । इसे मांगल्यकुसुमा भी कहा जाता है ।
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शंखपुष्पी के गुण-
गुण – स्निग्ध , पिच्छिल
रस – तिक्त
वीर्य – शीत
विपाक – मधुर
प्रभाव – मेध्य
पूरे भारत में पैदा होने वाले वनस्पति पथरीली और मैदानों में पाई जाती है।
शंख पुष्पी के फायदे-
- मन मस्तिष्क के दोषों उन्माद ,अपस्मार ,अनिंद्रा ,भ्रम को दूर करती है शांति प्रदान करती है। धातुओं में वृद्धि करती है।
- खून की उल्टी होने पर इसका सेवन करवाना लाभप्रद होता है।
- चर्म रोगों में इसका लेप किया जाता है और बालों की वृद्धि के लिए इसका तेल उपयोग किया जाता है।
- वात पित्त का शमन करती है।
- बालों को बढ़ाने में सहायक।
- मस्तिष्क को ठंडा करने वाली नींद लाने वाली होती है।
- पाचन तंत्र को सुधारती है आंतों की गंदगी को बाहर निकालती है
- हृदय को बल देने वाली और रक्त भार को कम करने वाली होती है।
- शरीर को ताकत देने वाली और मूत्र विरेचनिय होती है ।
- महिलाओं में गर्भाशय की दुर्बलता को दूर करके गर्भधारण करने की क्षमता को बढ़ाता है ।
प्रयोग किया जाने वाला अंग-
समस्त पंचांग (पूर्ण वनस्पति )
सेवन मात्रा-
कल्क बनाकर पानी में पानक बनाकर १० से २० ग्राम की मात्रा आयुर्वेद चिकित्सक की देखरेख में सेवन करनी चाहिए।
ज्योतिषमति-
ज्योतिषमति भी एक आयुर्वेदिक औषधीय जो दिमाग के रोगों के लिए फायदेमंद है। हिंदी में इसे मालकांगनी भी कहते हैं। यह एक बेल( लता) है। इसके पत्ते अंडाकार नुकीली, और धारदार होते है पीले व हरे रंग के फूल गर्मी की ऋतु में होते हैं। फल- मटर की समान पीले रंग का तीन खंड का होता है। सभी खंड में केसरी रंग की बीच पाए जाते हैं।
पूरे भारत में मिलने वाले यह है विशेषकर पंजाब कश्मीर और पर्वत वाले क्षेत्रों में पाई जाती है । इसके बीजो से तेल निकाला जाता है ।
ज्योतिषमति के फायदे-
- स्मरण शक्ति बढ़ाने वाली होती है। इसका तेल गाय के घी में मिलाकर प्रयोग में लाया जाता है इस के पत्तों का रस 40 मिलीलीटर की मात्रा में अफीम के आदि व्यक्ति को देने से आदत को छुड़ाया जा सकता है।
- लिंग की कमजोरी के लिए इसका तेल पान के पत्ते के साथ बाँधने से कमजोरी दूर होती है।
- शरीर में होने वाले दर्द में इसकी तेल की मालिश, जोड़ों के दर्द, साइटिका, कमर दर्द की शिकायत में इसकी तेल की मालिश की जाती है।
- पाचन तंत्र को सुधारना है।
- वात कफ का शमन के वात के साथ-साथ खांसी दमा रोग में भी फायदा करता है।
- महिलाओं में माहवारी के दिनों में होने वाली कठिनाई के लिए इसकी पत्तों की सब्जी घी में बनाकर खिलाई जाती है।
प्रयोग किए जाने वाले अंग-
बीज और तेल
सेवन मात्रा-
1 से 2 ग्राम बीज अथवा 5 से 10 बूंद तेल चिकित्सक के निर्देशन में सेवन करें।
आयुर्वेदिक मेडिकल स्टोर पर तथा ऑनलाइन स्टोर पर ज्योतिषमति का तेल उपलब्ध होता है।
ज्योतिषमति के दुष्प्रभाव को रुकने या कम करने के लिए- गाय का दूध और गाय का घी सेवन करवाया जाता है।