गिलोय के फायदे-गिलोय एक लता है जो वृक्ष पर चढ़ती है ।और इस पर जो पत्ते लगते हैं वह पान के पत्ते जैसे होते हैं ।
गिलोय को अमृता भी कहा जाता है । क्योंकि गिलोय के अमृत जैसे गुण है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि समुद्र मंथन के समय देवता और राक्षसों के बीच समुद्र मंथन हुआ था ।
जिसमें अमृत देवताओं को मिला था। उस अमृत को राक्षसों द्वारा धोखे से छीन लिया था।
जिस कारण राक्षसों द्वारा अमृत ले जाते समय जहां जहां पर अमृत की बूंदे गिर गई
वहां पर अमृता यानी की गिलोय उत्पन्न हुई।
गिलोय में बहुत सारे दिव्य औषधीय गुण है जिसके कारण इसका नाम अमृता भी है।
गिलोय जिसे गुडुची तथा अमृता भी कहते हैं।
गिलोय सामान्यतः भारत के सभी क्षेत्रों में जहां पर 5 से 6000 फीट की ऊंचाई वाले स्थान है जहांपर पाई जाती है ।
हिमालय के क्षेत्र में तथा समुद्र तटों पर गिलोय पाई जाती है।
गिलोय एक ऐसी औषधि है। जिसके बेल का टुकड़ा भी आप कहीं पर लगाते हैं।
जिसकी लता का टुकड़ा आप जमीन में लगाते हैं। लता के टुकड़ों को गमले में लगाने पर भी वह लता उगती है इसलिए भी इसे अमृता कहा गया है जो कभी मरती नहीं है।
गिलोय जो कि एक लता है काटने पर उसमें से एक चिपचिपा पदार्थ या रस निकलता है।
उसे पानी में गोल देने पर जब पानी के पेंदे में वह पदार्थ बैठ जाता है उस को गिलोय सत्त्व कहते हैं।
गिलोय सत्व का उपयोग आयुर्वेदिक औषधि के रूप में सभी प्रकार के रोगों में किया जाता है।
गिलोय की बेल जो हरी हो तथा ना उसका आकर ज्यादा मोटा हो न हीं ज्यादा पतला हो। इस प्रकार की गिलोय की बेल उत्तम मानी जाती है।
- गिलोय का उपयोग गिलोय सत्व के रूप में किया जाता है।
- गिलोय का उपयोग जड़ी बूटी के रूप में भी किया जाता है।
- गिलोय का उपयोग पाउडर या चूर्ण बनाकर भी किया जाता है।
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अत्यंत उपयोगी नुस्खा
कैंसर के रोगियों में गिलोय
आयुर्वेद के आचार्यों ऋषि-मुनियों तथा चिकित्सकों द्वारा किए गए प्रयोगों में यह पाया गया है कि। गिलोय कैंसर की रोगियों को लाभ पहुंचाती है।
गिलोय का उपयोग साथ में अंकुरित गेहूं के जवारे का हरा रस कैंसर रोगियों के लिए अत्यंत दिव्य औषधि के रूप में माना जाता है । साथ ही कुछ तुलसी के पत्ते तथा नीम के पत्तों को मिलाकर कैंसर रोगियों पर जरूर उपयोग करें।
कैंसर का इलाज चल रहा है फिर भी इसी साथ में दिया जा सकता है।
रक्त विकार में गिलोय
गिलोय को नियमित रूप से चबाने से अत्यंत लाभकारी परिणाम मिलते हैं। गिलोय को नियमित चबाने से शरीर में होने वाले रक्त विकार पूर्ण रूप से खत्म हो जाते हैं। गिलोय का सेवन प्रात : काल करने से कभी भी घर की शिकायत आपको नहीं होगी।
गिलोय स्वाद में कड़वी होती है परंतु उसके गुण अत्यंत की लाभकारी है।
गिलोय की बेल को आप घर में कहीं पर भी लगा सकते हैं जहां पर धूप आ रही हो।
गिलोय पहले बहुत पाई जाती थी । लेकिन लोगों को गिलोय के फायदे का पता चलने के बाद लोगों द्वारा दोहन किया गया । जिससे अभी यह लुप्त प्राय है।
आप से निवेदन है कि अपने घर में गिलोय की बेल जरूर लगाएं।
गिलोय में बैक्टीरिया वायरस तथा प्रदूषण से होने वाले विकारों को जड़ से खत्म कर देती है।
मधुमेह रोगी शहद या मिश्री का उपयोग न करते हुए गिलोय का उपयोग करें मधुमेह में अत्यंत लाभकारी है।
गिलोय का उपयोग खाज खुजली तथा सिरोसिस जैसी गंभीर बीमारियों में भी अत्यंत लाभकारी है। इसलिए रोजाना गिलोय का उपयोग करें ।
गिलोय त्रिदोष नाशक है अर्थात सभी प्रकार के रोगी अथवा व्यक्ति गिलोय का सेवन कर सकते हैं। यह तीनों दोषों को सामान रखने में लाभकारी है।
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और एक संकल्प ले की घर में गिलोय की बेल जरूर लगाएं।