धातुपौष्टिक चूर्ण के फायदे इन हिंदी-आज हम जानेंगे धातुपौष्टिक चूर्ण क्या है? किस तरह से शरीर को फायदा पहुंचाता है? क्या-क्या घटक द्रव्य होते हैं? कौन इसका सेवन कर सकता है? कितनी मात्रा में और कितनी बार ?किसके साथ? सेवन करना चाहिए?
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धातुपौष्टिक चूर्ण क्या है?
आयुर्वेद सार संग्रह के अनुसार धातु पौष्टिक चूर्ण को ऐसी औषधियों को मिलाकर बनाया जाता है । जो शरीर की खोई हुई ऊर्जा, खोई हुई ताकत को वापस लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है । अक्सर लोग धातुक्षय अर्थात ( शरीर में रस ,रक्त ,मांस, मेंद, अस्थि ,मज्जा ,शुक्र) की शिकायत लेकर आयुर्वेद चिकित्सकों के पास जाते हैं । यह रस से लेकर शुक्र तक समस्त धातु का पोषण एवं प्रसादन करता है । और पोषण के साथ-साथ इनके सामान्य अवस्था को बनाए रखने में अधिक कारगर है । अश्वगंधा शतावरी मुंजातक जैसे औषध द्रव्य जो पूरे शरीर को ताकत , पुरुषार्थ वृद्धि के साथ-साथ चुस्ती फुर्ती को बढ़ाने में सहायक है । धातु पौष्टिक चूर्ण का सेवन वयस्क व्यक्ति से लेकर किसी भी उम्र के व्यक्ति को लाभ पहुंचाता है ।
धातु पौष्टिक चूर्ण के घटक द्रव्य-
आयुर्वेद सार संग्रह के अनुसार घटक द्रव्य को उनके भाग के अनुसार मिलाकर सेवन करना चाहिए ।
- शतावरी एक भाग
- गोक्षुर एक भाग
- अश्वगंधा एक भाग
- शतावरी एक भाग
- बला 1 भाग
- वंश 1 भाग
- कंकोल एक भाग
- मधुस्नुही एक भाग
- मूसली एक भाग
- सोंठ एक भाग
- काली मिर्च एक भाग
- पिप्पली एक भाग
- मुंजातक एक भाग
- विदारी एक भाग
- त्रिवृत 6 भाग
- शर्करा 20 भाग
धातुपौष्टिक चूर्ण के फायदे इन हिंदी
- सभी प्रकार की बीमारियों के बाद होने वाली कमजोरी में लाभदायक है ।
- शरीर में धातु क्षय , स्नायु दोर्बल्य , होने के कारण होने वाली कमजोरी में अत्यंत लाभदायक है ।
- वीर्य में शुक्राणुओ की कमी को दूर करने तथा मोटिलिटी को बनाए रखने के लिए लाभदायक है ।
- पुरुषों में बंध्वत्व निवारण के लिए प्रयोग कराया जाता है ।
- पेट की अग्नि बढ़ाकर भूख को दूर करने के यदि का सेवन करवाया जाता है ।
- दुबले पतले व्यक्तियों में भार की कमी दूर करने के लिए( वजन बढ़ाने के लिए) प्रयोग कराया जाता है ।
सेवन मात्रा एवं अनुपान –
3 से 5 ग्राम की मात्रा दिन में दो बार गुनगुने दूध के साथ अथवा जल के साथ चिकित्सक के निर्देशानुसार सेवन करना चाहिए ।
सावधानी-
- भारी भोजन( जो देर से पचता हो) का सेवन ना करें ।
- खट्टे खाद्य पदार्थ( इमली आमचूर, अचार, दही, छाछ ) सेवन ना करें ।
- बेसन मेदे खाद्य पदार्थ एवं डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों का सेवन ना करें ।
- 18 वर्ष से कम आय में चिकित्सक की देखरेख में ही सेवन करना चाहिए ।
कहां से खरीदें?
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चेतावनी- इस लेख में दी गई समस्त जानकारी चिकित्सा परामर्श नहीं है । किसी भी आयुर्वेद औषधि के सेवन से पूर्व आयुर्वेद चिकित्सक की सलाह आवश्यक है ।
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