पतंजलि दंत कांति

पतंजलि दंत कांति

पतंजलि दंत कांति -पतंजलि आयुर्वेद द्वारा निर्मित दंत कांति टूथपेस्ट( दंत कांति मंजन) कम समय में कितना पॉपुलर क्यों हुआ? इसे बनाने में इसके घटक द्रव्य का विशेष ध्यान रखा गया है ।

कम कीमत पर उपलब्ध होने वाला यह टूथपेस्ट भारत में अधिक मात्रा में बिक रहा है।

क्या आप जानते हैं कि इनके घटक ( इनग्रेडिएंट्स) द्रव्य क्या है? और उनके क्या फायदे हैं? आइए जानते हैं।

पतंजलि दंत कांति मंजन के घटक द्रव्य

अकरकरा –

अकर करा दांत के दर्द को दूर करता है। साथ ही साथ मुंह की बदबू को दूर करने में सहायक होता है । दांतो से संबंधित बीमारियों में अकरकरा का प्रयोग

कंपनियों द्वारा निर्मित आयुर्वेदिक मंजन दंत मंजन पाउडर में बरसों से किया जा रहा है ।

अकरकरा गले को साफ रखता है। यह मुंह में लार ग्रंथियों को उत्तेजित कर लालास्राव को बढ़ाता है। मुंह के कीड़ों को दूर करता है। कई बार टॉन्सिलाइटिस में इसका प्रयोग भी फायदेमंद होता है।

नीम-

वैसे भी आप सभी जानते हैं ।नीम का दातुन सबसे सर्वोत्तम माना गया है ।मसूड़ों को मजबूत करता है । नीम का दातुन रोजाना करने से दांतों के कीड़े खत्म होते हैं ।

इसका रस पेट में जाने से पेट के कीड़े भी खत्म होते हैं । दांतों को स्वस्थ रखने के लिए नियम अति आवश्यक है । मुंह की दुर्गंध को दूर करता है ।

दांत के दर्द में भी इसका प्रयोग करना उत्तम माना जाता है।इसमें एंटीबैक्टीरियल एंटीफंगल और एंटीवायरल गुण पाए जाते हैं।

बबूल-

पुराने बबूल का भी प्रयोग दांतो के लिए करते थे । आयुर्वेद के अनुसार बबूल का भी अत्यधिक महत्व है । बबूल का दातुन मसूड़ों को मजबूत करता है। दांतो को साफ करता है । पेट के कीड़े सूजन दर्द यह भी इसका प्रयोग करना अत्यंत फायदेमंद होता है।

गले को साफ करता है।इसमें कई ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो घाव को जल्दी भरते हैं।दांतो के संक्रमण के लिए अत्यंत फायदेमंद है।मुंह के छालों में बबूल का दातुन फायदेमंद रहता है।

तोमर- जैथोजाइलम एलेटम (Zanthoxylum alatum in hindi)

जिसे हिंदी में तोमर कहते हैं।यह दांत के दर्द में प्रयोग किया जाता है।अन्य बीमारियों में जैसे कब्जी पेट दर्द लगना त्वचा के रोगों इत्यादि में इसका प्रयोग किया जाता है।

पुदीना-

पुदीना एक आयुर्वेदिक जड़ी बूटी के रूप में भी प्रयोग किया जाता है । पुदीना शरबत चटनी के रूप में प्रयोग किया जाता है । दांतो के लिए फायदेमंद होता है ।

दांत दर्द होने पर पुदीने का रस दांतों में लगाने से दर्द कम होता है।मुंह के छाले और दांत के दर्द में पुदीने के काढ़े से कुल्ले करने पर।

लोंग –

लोग एक मसाला होने के साथ-साथ आयुर्वेदिक दवा भी है । केवल लोंग तेल भी बाजार में मिलता है । जो दांत के दर्द के लिए प्रयोग में लाया जाता है ।

लोंग दांतो के दर्द के साथ मसूड़ों की सूजन को दूर करता है।इसमें एंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं।दातों के अंदर केवल लोंग के तेल की चार-पांच बूंद डालने पर दांत का दर्द दूर होता है।

छोटी पीपल-

जिसे पिपली भी कहते हैं । पिपली एक आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है । जो कई अन्य लोगों के साथ साथ दांतो के लिए भी फायदेमंद है । पुराने बुजुर्ग थोड़ी सी नमक में इटली का चूर्ण और हल्दी मिलाकर

सरसों के तेल में मंजन करने पर दांत का दर्द दूर होता था मजबूत रहते थे।

वज्रदंती-

आयुर्वेदिक दंत मंजन में वज्रदंती ना हो तो मंजन अधूरा रह जाता है । वज्रदंती कड़वा और कसैला होता है । केवल दातों के लिए ही नहीं अपितु कई अन्य रोगों में भी इसका प्रयोग किया जाता है । वज्रदंती 2 शब्द मिलकर बना है

वज्र का मतलब हीरा दंती का मतलब दांत । दांतो को हीरे के समान मजबूत करने वाला। सूजन के लिए भी इसका प्रयोग किया जाता है । मुंह की दुर्गंध और सडन को दूर करता है ।

बकुल-

बकुल हमेशा हरा रहने वाला वृक्ष है । दांतों के कीड़ों को मारने वाला दांतो की दुर्बलता दूर करने वाला होता है बकुल का चूर्ण दांतों पर मलने से ।

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दांतों में मजबूती आती है । छोटे बच्चों में बुरबुरे होकर दांत गिरने की समस्या । दांतों में कैविटी बनना दूर करता है ।

विडंग –

विडंग एक आयुर्वेदिक औषधि है । जो दांतो के कीड़े और पेट के कीड़ों को दूर करती है । आयुर्वेद की अल्बेंडाजोल कहने पर कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी ।

घाव को भरने की क्षमता के साथ सूजन और दर्द को दूर करता है।दातों के साथ-साथ कई अन्य रोगों जैसे खास पेट के कीड़े पीलिया।फोड़े फुंसी त्वचा रोगों में भी इसका प्रयोग किया जाता है।

हल्दी-

हल्दी एक मसाला होने के साथ-साथ आयुर्वेदिक दवा भी है । हल्दी के कई सारे फायदे हैं। जीवाणु नाशक गुण, सूजन को कम करने वाली, घाव को जल्दी भरने वाली,

दातों के लिए अत्यंत फायदेमंद है। दांतों का पीलापन दूर करने के लिए हल्दी को सरसों के तेल में मिलाकर हल्के हाथों से रगड़ने पर पीलापन दूर होता है । इसके साथ साथ मसूड़ों को भी मजबूती प्रदान करता है ।

पीलू ( मेसवाक)-

मेसवाक में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं । दांतों में कैविटी लगने से बचाते हैं । मिस्वाक में दांतो को मजबूती देने के साथ-साथ प्लाक को दूर रखते हैं ।

माजूफल-

दांतों से निकलने वाला रक्त । पायरिया मुंह के छाले के लिए अत्यंत उपयोगी आयुर्वेदिक दवा है । दांतों की स्वास्थ्य रक्षा के साथ-साथ यह कई अन्य रूपों में भी प्रयोग किया जाता है । जैसे बाल गिरना, मुंह के छाले ,गले की सूजन ,खांसी ,जुकाम ,रक्त प्रदर श्वेत प्रदर इत्यादि में भी फायदेमंद होता है ।

पतंजलि आयुर्वेद द्वारा निर्मित दंत कांति दंत मंजन । हर व्यक्ति बच्चे से लेकर बड़ा प्रयोग कर सकता है । उपरोक्त घटक द्रव्य उनके आगे बताए गए फायदों के कारण उपयोग में लिए जाते हैं । जानकारी अच्छी लगी हो तो अपने मित्रों को जरूर शेयर करें । स्वदेशी अपनाओ देश बचाओ ।

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