आयुर्वेद में पर्पटी क्या होता है-आयुर्वेद में रसायन कल्पना होती है । रसायन कल्पना का की एक भाग पर पर्पटी कल्पना है । सीधी भाषा में कहें तो दवाई का वह रूप होता है पपड़ी के समान होता है ।जब पारद और गंधक को मिलाकर कजली बनाई जाती है । और उनके साथ में रोग के अनुसार अन्य औषधियों को मिलाकर आग में एक निश्चित तापमान पर तपा कर पर्पटी बनाई जाती है । पारद और गंधक से बनी हुई पर्पटी आंतों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद होती है । आंतों में जमी हुई गंदगी निकालती है । आंतों में कीटाणुओं का नाश करती है । आंतों की कार्य क्षमता को बढ़ाने के साथ-साथ हाथों को शक्ति प्रदान करती है ।
सौम्यता का गुण होने के कारण दूसरी दवाइयों से पर्पटी कल्पना में निर्मित औषधियां अपेक्षाकृत अच्छी होती है । ग्रहणी रोग में विशेष रूप से लाभकारी पर्पटी कल्पना होती है ।
पर्पटी क्या होता है? क्या ना खाएं ? क्या नहीं करें ?
- दही एवं खट्टे खाद्य पदार्थ नहीं खानी है ।
- गन्ने का रस नहीं सेवन करना है ।
- करेले का सेवन नहीं करना है ।
- गुड शक्कर का प्रयोग नहीं करना है ।
- मांसाहार नहीं करना है ।
- नमक वाला भोजन का सेवन पर्पटी सेवन के समय कम से कम 2 घंटे तक नहीं करना है ।नमक और पारद मिलकर पारद लवण का निर्माण करते हैं इसलिए नमक का सेवन नहीं करना चाहिए।
- पके हुए केले का सेवन नहीं करना है ।
- जलचर जीवो का मांस नहीं खाना है ।
- धूप नहीं निकलना है ।
- तेज हवा में नहीं बैठना है ।
- मानसिक तनाव क्रोध चिंता नहीं करनी है
- व्यायाम नहीं करना है ।
- शरीर को थका देने वाला कार्य नहीं करना है ।
- अधिक बातचीत नहीं करनी है ।
- धूम्रपान मदिरा का सेवन नहीं करना है ।
- ब्रह्मचर्य का पालन करना है ।
पर्पटी क्या होता है? क्या खाएं और क्या करें?
- सेंधा नमक में बने हुए खाद्य पदार्थ चावल इत्यादि का प्रयोग कर सकते हैं ।
- बथुआ बैंगन का प्रयोग कर सकते हैं ।
- परवल, कच्चे मूंग, पाढ के पत्तों का साग सेवन कर सकते हैं ।
- नारियल का पानी विशेषकर उल्टी होने पर जरूर पिलाएं ।
- भूख लगने पर भोजन करें ।दूध का सेवन कर सकते हैं ।
- सात्विक भोजन करना चाहिए ।
- चाय को ठंडा करके पिए ।
- जितना हो सके आराम करें ।
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आयुर्वेद में पर्पटी कल्पनाएँ
- रस पर्पटी
- सुवर्ण पर्पटी
- ताम्र पर्पटी
- लोह पर्पटी
- विजय पर्पटी
- बोल पर्पटी
- पंचामृत पर्पटी
- प्राणदा पर्पटी
- शीतल पर्पटी
- मल्ल पर्पटी
- अभ्र पर्पटी
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