पामाहर मलहम

पमाहर मलहम

पामाहर मलहम- आयुर्वेद के अनुसार बनाया जाने वाला एक मलहम है ।इस मलहम का उपयोग फोड़ा फुंसी पामा रोग खुजली आदि की समस्या में शरीर के बाह्य भाग पर लगाया जाता है ।आइये जानते है –

पामाहर मलहम के घटक द्रव्य

  1. पारा
  2. गंधक
  3. काली मिर्च
  4. सिंदूर
  5. काला जीरा
  6. नीला थोथा
  7. सफेद जीरा
  8. गाय का घी (धोया हुआ) अथवा वेसलीन

बनाने की विधि-

सर्वप्रथम पारद और गंधक की कज्जली बनाई जाती है । सभी उपरोक्त घटक द्रव्य को बराबर मात्रा में प्रयोग में लाया जाता है । सभी का बारीक पाउडर बनाकर कज्जली में मिला दिया जाता है । सभी घटक द्रव्य के वजन की बराबर गाय का धोया हुआ घी मिलाके चीनी अथवा कांच के बर्तन में रखें ।

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दूसरी विधि में-

काला जीरा ,सफेद जीरा के स्थान पर जमालगोटा का प्रयोग किया जाता है ।

उपयोग करने का तरीका

सीधा प्रभावित स्थान पर लेप करें । पूरे शरीर में खुजली होने पर समान मात्रा में सरसों का तेल लेकर शरीर पर मालिश के बाद धूप में बैठे ।

पामाहर मलहम के उपयोग एवं फायदे

  • इसका प्रयोग सभी प्रकार की खुजली होने पर बाह्य रूप से प्रयोग किया जाता है ।
  • खुजली के सभी उम्र के रोगियों में तथा बालकों और स्त्रियों में इसका प्रयोग निर्भरता पूर्वक किया जाता है ।
  • फोड़ा होना जिसमें पस पड़ जाने के कारण संक्रमण गहराई में होता है । ऐसी अवस्था में फोड़े का गहराई से शोधन करता है । इसके पश्चात कोई भी संक्रमण रोधी औषधि का लेप करने से थोड़ा जल्दी ठीक होता है ।
  • खुजली की समस्या में लगातार तीन दिन तक प्रयोग करने से पुणे लाभ होता है ।
  • गहराई में हुए एक घाव को साफ करने के लिए लेप इसका लेप किया जाता है ।
  • पुराने से पुराना दुष्ट व्रण और विद्रधि को ठीक करने के लिए इसका लेप करना फायदेमंद होता है ।
  • पूरे शरीर पर खुजली होने की स्थिति में मल्हम की समान मात्रा में सरसों का तेल मिलाकर पूरे शरीर पर लेप करने के पश्चात धूप में बैठने से 2 से 3 दिन में खुजली खत्म हो जाती है

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सावधानी

बच्चों की पहुंच से दूर रखें ।

दग्ध ( जले हुए) स्थान पर ना लगाएं ।

आँखों के आस पास प्रयोग करने से

केवल बाहरी प्रयोग के लिए उपयोग में लाएं ।

प्रयोग से पूर्व में चिकित्सक की सलाह अवश्य लेवे ।

सामान्य तापमान पर स्टोर करें ।

नोट- उपयोग से पूर्व आयुर्वेद चिकित्सक की सलाह अवश्य ले

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