पीपला मूल खाने के फायदे- कई बार एक जैसे वाले शब्द भी अलग अलग हो सकते हैं ।
आयुर्वेद में कुछ ऐसी औषधियां है जिनका नाम मिलता-जुलता होता है । ऐसी ही एक अद्भुत औषधि के बारे में हम बात करने वाले हैं । जिसका नाम है पीपला मूल ।
एक होता है पीपल का वृक्ष । लेकिन यह पोस्ट पीपल के वृक्ष के बारे में ना होकर पिप्पली बारे में है । और पिप्पली की जड़ को ही पिपरामुल कहते हैं ।
गुजराती में पीपला मूल को गंथोड़ा कहते हैं । यह एक आयुर्वेदिक औषधि है जो कई रोगों में उपयोग में ली जाती है ।
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भाषा नाम
लैटिन नाम पाइपर लोंगम Piper longum linn
संस्कृत नाम- पिप्पली , कृष्णा, वैदेही, मागधी , चपला
हिंदी नाम- पीपल
बंगाली नाम- पिपुल
अंग्रेजी नाम- लोंग पिपर Long Pepper
पीपला मूल के गुण
गुण – लघु स्निग्ध और तीक्ष्ण
रस-कटु
विपाक मधुर
वीर्य- अनुष्णशीत
पीपला मूल के उपयोग एवं फायदे
- पीपला मूल खाने के फायदे -पीपला मूल का उपयोग खांसी जुकाम और बुखार तीनों में आयुर्वेद चिकित्सकों द्वारा करवाया जाता है ।
- त्रिकटु नाम की आयुर्वेदिक दवा मैं पीपला मूल का उपयोग किया जाता है ।
- त्रिकटु उष्ण होने के कारण फेफड़ों में जमा हुआ कफ बाहर निकालने का कार्य करता है । साथ ही साथ दमा रोग में भी लाभ पहुंचाता है ।
- स्निग्ध गुण होने के कारण वात रोग( जोड़ों का दर्द, घुटनों का दर्द कमर दर्द, सभी प्रकार के वात रोगों मे फायदेमंद होता है ।
- महिलाओं में आ रही माहवारी की समस्या के लिए भी इसका प्रयोग निश्चित मात्रा में आयुर्वेद चिकित्सकों द्वारा करवाया जाता है । उष्ण गुण होने के कारण अनियमित माहवारी को नियंत्रित करता है ।
- रतौंधी की समस्या वाले रोगियों को भी पीपला मूल का सेवन तथा पीपला मूल से बनी हुई काजल का प्रयोग करवाया जाता है ।
- सिर दर्द में शुद्ध देसी घी के साथ चुटकी भर पीपला मूल पाउडर मिलाकर । लेप करने से आराम मिलता है ।
- चाय में मसाले के रूप में चुटकी भर भी उपयोग किया जाता है !
- केवल पानी में चुटकी भर डाल कर उसकी चाय बना कर पिने से भी इसके औषधीय फायदों को उठाया जा सकता है !
पीपला मूल का प्रयोग सर्दी के लड्डुओं में-
पीपला मूल का प्रयोग सर्दी की लड्डुओं में सेवन करने से शरीर में ताकत के साथ निरोगी बनाए रखने के लिए अत्यधिक गुणकारी औषधि है।
प्रसूतियो को पीपला मूल का सेवन करवाने से प्रसूता एवं बच्चे दोनों को अत्यधिक लाभ पहुंचता है । कहा जाता है कि । जिन महिलाओं को प्रसूता अवस्था में पीपला मूल का सेवन करवाया जाता है । उनके बच्चे कभी थकते नहीं है ।
- खून को साफ करने वाला और खून को बढ़ाने वाला होता है।एनीमिक लोगों के लिए भी यह अत्यधिक फायदेमंद आयुर्वेदिक औषधि है।
- दमा के रोगियों के लिए भी यह औषधि अत्यंत ही गुणकारी है।आयुर्वेद की कई ऐसी औषधियां है जिनमें पीपला मूल का प्रयोग करवाया जाता है।
- जिन लोगों को ट्यूबरक्लोसिस हुआ है।उन लोगों में भी इस औषधि का प्रयोग अत्यंत ही लाभप्रद होता है।यक्ष्मा के कीटाणु को मारने की क्षमता इतना बोल में पाई जाती है।
- पिपली का मूल पीपला मूल गर्भाशय को संकुचित करता है ।
- त्वचा के लिए भी यह फायदेमंद है।क्योंकि कई प्रकार की त्वचा रोग इतना मुंह से दूर होते हैं ।
- बुखार ना उतरने की स्थिति में पीपला मूल की जड़ का काढ़ा बनाकर पिलाने से बुखार उतर जाता है ।
- पेट के रोगों जैसे भूख की कमी भोजन का ना पचना । कब्ज की शिकायत, पेट दर्द, पाइल्स, पेट में कीड़े की समस्या को दूर करने वाला है ।
- बिना रुके हिचकी चलना (हिक्का) फायदेमंद औषधि है ।
- यकृत की दुर्बलता और ह्रदय की दुर्बलता में भी फायदेमंद है ।
- वात नाडी के रोग तथा दिमागी दुर्बलता में भी इसका प्रयोग करवाया जाता है ।
आयुर्वेदिक औषधीय योग
गुड पिपली
पिप्पली खंड
सावधानी-
उष्णता का गुण होने के कारण कुछ समय तक ही इसका प्रयोग करना चाहिए । मूत्र में जलन की समस्या होने की संभावना होती है ।
बिना डॉक्टर की सलाह पीपला मूल का प्रयोग ना करें ।
चेतावनी- इस लेख में दी गई समस्त जानकारी शैक्षिक उद्देश्य से दी गई है। किसी भी आयुर्वेदिक औषधि के सेवन से पहले आयुर्वेद विशेषज्ञ की सलाह आवश्यक है ।
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