प्रमेह गजकेसरी रस-इस औषधि का प्रयोग आयुर्वेद डॉक्टर द्वारा सुगर यानि डायबिटीज के इलाज के लिए करवाया जाता है । पेनक्रियाज की क्रियाशीलता कम हो जाने पर इंसुलिन की मात्रा कम होने पर शुगर का पाचन बराबर नहीं होने से उत्पन्न मधुमेह( डायबिटीज) के लिए इसका प्रयोग करवाया जाता है ।
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प्रमेह गजकेसरी रस के घटक द्रव्य
- लोह भस्म 10 ग्राम
- नाग भस्म 10 ग्राम
- बंग भस्म 10 ग्राम
- अभ्रक भस्म 40 ग्राम
- शिलाजीत 50 ग्राम
- केसर( खाखला के फूलों की) 60 ग्राम
- नींबू का रस आवश्यकतानुसार
बनाने की विधि –
उपरोक्त दवाई में द्रव्य को निर्धारित मात्रा के अनुसार लेकर 7 दिनों तक नींबू के रस में खरल किया जाता है इसके बाद 125 मिलीग्राम से 250 मिलीग्राम की मात्रा की गोलियां बना ली जाती है।
सेवन मात्रा-
125 मिलीग्राम से 250 मिलीग्राम की मात्रा जल के साथ चिकित्सक के निर्देशानुसार सेवन करें।
प्रमेह गजकेसरी रस के फायदे
- डायबिटीज को नियमित करे
- पेशाब में रुकावट
- पथरी में फायदेमंद
- पेशाब में जलन में
- प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने पर होने वाले उपद्रव एवं रुक रुक कर आने वाला पेशाब
- धातु दोष के कारण शारीरिक दुर्बलता दूर करने में
नाग भस्म और शिलाजीत के सहयोग से मधुमेह( डायबिटीज) कंट्रोल करने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका होती है। अग्नाशय की विकृति के कारण उत्पन्न मधुमेह जिसमे आग्नेय रस अर्थात इंसुलिन प्राकृतिक रूम से स्त्राव होने में मदद करता है। आग्नेय रस इंसुलिन के सम्यक रूप से स्त्रावण होने पर शुगर का पाचन होने लगता है।
वात पित्त कफ दोष समस्त धातु( रस रक्त मांस मेद अस्थी मज्जा शुक्र) के दोषों को दूर करता है और पुष्टि देता है। अग्नाशय को मजबूती देता है।
मधुमेह में होने वाले लक्षण
- बार-बार पेशाब की समस्या
- तेज प्यास लगना
- मुंह सूखना
- भूख अधिक लगना
- आंखों में अंधकार जाना
- भ्रम की शिकायत
- कानों में अजीब आवाज सुनाई देना
- बेचैनी
- सिर दर्द
- पूरे शरीर में दर्द
- मूत्र में यूरिया की बढ़ोतरी
- मूत्र का रंग पीला आना
- बार बार चक्कर आना
- शरीर का कांपना
- हाथों पैरों का विचलित होना
- रात दिन नींद नहीं आना
- दर्द वाले स्थान पर छूने पर सहन नहीं होना। इत्यादि हो सकता सकता है । इस प्रकर के लक्षण होने पर मधुमक की जांच जरुर करवाये । इस प्रकार की सभी लक्षणों में प्रमेह गजकेसरी रस का सेवन लाभदायक होता है।
चेतावनी- इस लेख में दी गई समस्त जानकारी चिकित्सा परामर्श नहीं है किसी भी आयुर्वेदिक औषधि का सेवन करने से पूर्व प्रमाणित रजिस्टर्ड आयुर्वेद चिकित्सक की सलाह ले।
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