फल घृत के फायदेआयुर्वेद ग्रंथों एवं शास्त्रों के अनुसार 32 प्रकार की आयुर्वेदिक जड़ी बूटी औषधियों को मिलाकर देसी गाय के घी में और देसी गाय के दूध में घृत (घी ) का निर्माण किया जाता है। विशेषकर महिलाओं के लिए फल घृत का प्रयोग गर्भाशय से संबंधित समस्याओं के लिए किया जाता है। महिलाओं में कमजोर गर्भाशय, निसंतानता , अनियमित माहवारी की समस्या, मृत अवस्था में शिशु को जन्म देने जैसी समस्या, 9 महीने से पूर्व में शिशु के जन्म की समस्या इत्यादि के लिए फल घृत का प्रयोग आयुर्वेद विशेषज्ञ द्वारा सेवन की सलाह दी जाती है । आइए जानते फल घृत के फायदे
Table of Contents
फल घृत के घटक द्रव्य
- मुलेठी
- हरड़
- बहेड़ा
- आंवला
- कूठ
- हल्दी
- दारूहल्दी
- कुटकी
- वाय विडंग
- पिपल
- नागरमोथा
- इंद्रायण की जड़
- काय फल
- काकोली
- क्षीर काकोली
- मेदा
- महामेदा
- वच
- सफेद अनंतमूल
- काली अनंतमूल
- फूल प्रियंगु
- सोंफ
- भुनी हुई हिंग
- रास्ना
- सफेद चंदन
- लाल चंदन
- चमेली के फूल
- कमल
- वंशलोचन
- मिश्री
- अजमोद
- दंती मूल
फल घृत बनाने की विधि-
शारंगधर संहिता के अनुसार कुल 32 जड़ी बूटियों को 10 ग्राम प्रत्येक की मात्रा लेकर हल्का दरदरा कूट ले। आयुर्वेद की भाषा में जिसे कल्क कहते हैं। बने हुए कल्क को 64 तोला 1 वर्ष के बछड़े वाली गाय के घी, 25 6 तोले 1 वर्ष के बछड़े वाली गाय का दूध, 256 तोले पानी मिलाकर पुष्य नक्षत्र में 1 वर्ष के बछड़े वाली गाय के उपले (कंडे ) से हल्की आज से पकाया जाता है। पकने के पश्चात तुरंत छान लिया जाता है। फल घृत बनाने में लक्ष्मणा का पंचांग डालने से विशेष गुणकारी होता है।
नोट- क्षीर काकोली और काकोली के आभाव में अश्वगंधा तथा शतावर का प्रयोग कर सकते हैं।
मेदा और महामेदा के आभाव में शतावर का प्रयोग कर सकते हैं।
लक्ष्मणा के अभाव में सफेद फूल वाली कटेली का प्रयोग कर सकते हैं।
सेवन मात्रा-
आधा ग्राम से 1 ग्राम की मात्रा सुबह में रोजाना आयुर्वेद चिकित्सक की सलाह पर सेवन करें।
- शुक्र स्तंभन गुटिका
- विटामिन b12 के स्रोत
- बच्चों की इम्युनिटी बढ़ाने के उपाय: डॉ दिलीप सामलिया
- तरुणी कुसुमाकर चूर्ण
- धातक्यादि तेल dhatkyadi tail
फल घृत के फायदे
- फल घृत का प्रयोग स्त्री पुरुष दोनों के लिए लाभदायक होता है।
- महिलाओं में गर्भाशय दोष को दूर करने वाला होता है।
- पुरुषों में प्रजनन से संबंधित,धातु से संबंधित समस्या को दूर करता है।
- महिलाओं में अनियमित माहवारी की समस्या को दूर करता है।
- जिन महिलाओं को संतान नहीं है। संतान उत्पत्ति के लिए आयुर्वेद विशेषज्ञ द्वारा सहायक औषधि के रूप में प्रयोग कराया जाता है।
- प्रीमेच्योर बेबी होना( 9 महीने से पूर्व जन्म), गर्भाशय का कमजोर होना आदि समस्याओं को दूर करता है।
- महिलाओं में गर्भधारण की क्षमता को बढ़ाता है। साथ ही मिसकैरेज की समस्या को दूर करने में सहायक है।
- इसके सेवन से उत्पन्न संतान दीर्घायु एवं बलशाली होती है।
सावधानी-
फल घृत का प्रयोग चिकित्सक की देखरेख में करें।
बच्चो की पहुँच से दूर रखे ।
कहां से खरीदें?
आयुर्वेदिक मेडिकल स्टोर पर आसानी से उपलब्ध। ऑनलाइन खरीदने के लिए नीचे दिए गए चित्र पर क्लिक करें।
चेतावनी- इस लेख में दी गई समस्त जानकारी चिकित्सा परामर्श नहीं है। किसी भी आयुर्वेदिक औषधि के सेवन से पूर्व आयुर्वेद विशेषज्ञ चिकित्सक की सलाह आवश्यक है।
सन्दर्भ ग्रन्थ – रसतंत्र सार व् सिद्ध प्रयोग संग्रह