बरसात का मौसम चल रहा है और इस मौसम में आयुर्वेद के अनुसार क्या खाना चाहिए क्या नहीं खाना चाहिए जाने के लिए इस post को अंत तक जरूर देखें।
बरसात के दिनों में शरीर भारी रहता है शरीर में कमजोरी और थकान महसूस होती है सुस्ती छाई रहती है जिसके कारण सोए रहने का मन करता है।
इस मौसम में आयुर्वेद के अनुसार तीनों दोषो का प्रकोप हो जाने के कारण शरीर में ताकत और पाचन शक्ति कमजोर पड़ जाती है। कफ और बात का प्रकोप होने के कारण शरीर में दर्द, खांसी, जुकाम, भोजन का समय पर नहीं पचना, दस्त, उल्टी बुखार ,चमड़ी के रोग और रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता कम पड़ जाती है।
इस मौसम में नया अनाज का प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि इसके कारण पाचन संबंधी समस्या का सामना करना पड़ता है पुराने चावल गेहूं मूंग की दाल मसाले बैंगन परवल बथुआ तरबूज आदि का प्रयोग अच्छा रहता है शरीर से पसीना कम आने के कारण शरीर का भाग चिपचिपा रहने से चमड़ी के रोग होने की संभावना रहती है।
इस मौसम में किकोड़ा नीम करेले का प्रयोग कड़वी खाद्य सामग्री अच्छी रहती है। पेट साफ रखना पड़ता है जिसके लिए आयुर्वेदिक चूर्ण का प्रयोग कर सकते हैं।
रात की रखी हुई वस्तुएं ना खाएं पानी में उबालकर पिए सड़े गले फल सब्जियों आदि का प्रयोग ना करें।
गन्ने का रस गोल्ड रिंग फास्ट फूड कचोरी समोसे आदि का प्रयोग ना करें।
लस्सी छाछ दही का प्रयोग बरसात के मौसम में नहीं करना चाहिए।
मांस मछली का उपयोग नहीं करें।
सोंठ काली मिर्च दालचीनी काला नमक जीरा आदि से बनी हुई ग्रीन टी का प्रयोग करना चाहिए।