वसंत कुसुमाकर रस के फायदे

बसंत कुसुमाकर रस

आज हम जानेंगे वसंत कुसुमाकर रस के फायदे क्या है? उसके क्या घटक द्रव्य हैं? कितनी सेवन मात्रा है? किन रोगों में इसका उपयोग किया जाता है? क्या सावधानियां रखनी चाहिए?

वसंत कुसुमाकर रस क्या है?

सबसे उत्तम रसायन, सातों धातुओ( रस रक्त मांस मेद अस्थि मज्जा शुक्र ) को पोषण देने वाला स्वर्ण कल्प है ।सामान्यतया वसंत कुसुमाकर रस का उपयोग मधुमेह रोगियों में किया जाता है । स्वर्ण और मोती युक्त यह रस कई अन्य शोधित धात्विक आयुर्वेदिक औषधियों का एक योग है । इस रस का उपयोग मधुमेह के साथ-साथ मधुमेह से होने वाली कमजोरी , खून बढ़ाने, आंखों के रोगों में, तथा ऐसी ही कई बीमारियों में अलग-अलग अनुपात भेद से आयुर्वेद चिकित्सकों द्वारा उपयोग किया जाता है ।

वसंत कुसुमाकर रस की घटक द्रव्य-

भारत भैषज्य रत्नाकर के अनुसार

  1. स्वर्ण भस्म दो भाग
  2. रजत भस्म दो भाग
  3. वंग भस्म 3 भाग
  4. नाग भस्म 3 भाग
  5. कांत लोह भस्म 3 भाग
  6. अभ्रक भस्म 4 भाग
  7. प्रवाल भस्म 4 भाग
  8. मौक्तिक भस्म 4 भाग
  9. रस सिंदूर 4 भाग

टेबलेट और पावडर के रूप कई कंपनियां इसका निर्माण करती है । सभी आयुर्वेदिक मेडिकल स्टोर पर आसानी से उपलब्ध हो जाती है ।

वसंत कुसुमाकर रस के फायदे का विभिन्न रोगों में उपयोग –

  1. मधुमेह रोग में उपयोग- बसंत कुसुमाकर रस प्रमेह रोग को नियंत्रित करने के लिए आयुर्वेद चिकित्सकों द्वारा डायबिटीज टाइप 1तथा डायबिटीज टाइप 2 दोनों में उपयोग किया जाता है । साथ ही मधुमेह के कारण आई हुई कमजोरी को दूर करते हुए मधुमेह को नियंत्रित करता है ।
  2. हृदय की रक्त वाहिनी में किसी भी प्रकार की विकृति में इस रस का उपयोग किया जाता है ।
  3. इंद्रिय शैथिल्य तथा नपुंसकता में भी इस रस का उपयोग मुख्य रूप से किया जाता है ।
  4. दमा ,खांसी तथा राज्यक्षमा (टीबी )जैसे रोग में भी इस रस का उपयोग किया जाता है ।
  5. आंखों से संबंधित बीमारियों में भी उपयोग किया जाता है ।
  6. एसिडिटी जिसको आयुर्वेद में अम्ल पित्त कहा गया है में भी इस रस का उपयोग किया जाता है ।
  7. स्त्री रोग जिसमें श्वेत प्रदर रोग में स्त्रियों को इसका सेवन करवाया जाता है ।
  8. मोटापे को दूर रखता है ! और शरीर की आंतरिक शक्ति को बढ़ाने वाला यह रस बिना वजन को बढ़ाएं हुए शरीर में ताकत उत्पन्न करता है ।
  9. मधुमेह रोगी जिनका वजन कम हो गया है उन्हें भी यह लाभ देते हुए वजन को बढ़ाता है ।
  10. रात में बार बार पेशाब जाने की समस्या में भी यह लाभ पहुंचाता है ।
  11. रक्तपित्त जिसमें शरीर से नाक ,मुंह , गुदा मार्ग आदि से रक्त स्त्राव होता है । जिसमें इस रस का उपयोग आयुर्वेदाचार्य द्वारा किया जाता है ।

वसंत कुसुमाकर रस की मात्रा-

एक से दो गोली दिन में 1 से 2 बार चिकित्सक के निर्देशानुसार ही सेवन करें ।

अनुपान –

शहद अथवा दूध के साथ अथवा चिकित्सक के निर्देशानुसार व्याधि अनुरूप सेवन करना चाहिए ।

क्या खाए ?

दाल , पुराने चावल , करेला , कुल्थी , जौ ,सेंधा नमक, परवल , पपीता !

क्या नहीं खाए ?

बेसन , मेदे से बने खाद्य पदार्थ , दही , गन्ने का रस , अधिक मसालेदार और तलि हुई चीजे !

कहाँ से ख़रीदे ?

हर आयुर्वेदिक मेडिकल स्टोर पर आसानी से उपलब्ध है । ऑनलाइन खरीदने या मूल्य देखने के लिए निचे दिए गए चित्रों पर क्लिक करे ।

सावधानी-

औषधि सेवन के दौरान शराब( मद्य ) का सेवन ना करें ।रस औषधियों में शोधित धात्विक अंश द्रव्य होने के कारण बिना चिकित्सक के परामर्श सेवन नहीं करें ।

चेतावनी- यहां पर दी गई समस्त जानकारी चिकित्सा परामर्श नहीं है । किसी भी आयुर्वेदिक औषधि के सेवन से पूर्व आयुर्वेद चिकित्सक की सलाह एवं परामर्श जरूर लेवे ।

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