भोजन कैसे करना चाहिए-भारतीय परंपरा और आयुर्वेद के अनुसार भोजन करने का तरीका भी एक वैज्ञानिक तरीके से माना गया है। अगर आप भोजन करते हैं उस समय आपको किन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए क्या करना चाहिए क्या नहीं करना चाहिए। इन सभी बातों पर हम आगे चर्चा कर रहे हैं ।
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भोजन करने की जगह-
भोजन करने का स्थान आयुर्वेद के अनुसार आसन बिछाकर नीचे बैठ कर पालथी लगाकर एकांत स्थान में करना चाहिए। भोजन करते समय मन प्रसन्न होना चाहिए। यह भी एक योगिक क्रिया है पलाठी लगाकर किया हुआ भोजन जल्दी पचता है।।
चिकनाई युक्त भोजन करें
चिकना युक्त भोजन करने से भोजन स्वादिष्ट लगता है। प्रसन्नता के साथ करने से पाचन शक्ति अच्छी होती है। शारीरिक ताकत बढ़ती है। समस्त इंद्रियों का पोषण होता है।
भोजन की मात्रा कितनी हो
हर व्यक्ति की भोजन की मात्रा अलग-अलग हो सकती है। हर व्यक्ति की पाचन शक्ति अलग-अलग होती है। पाचन शक्ति और बल के अनुसार ही भोजन करना चाहिए। परंतु भोजन की मात्रा उतनी ही होनी चाहिए जितनी शरीर को आवश्यकता है। आवश्यकता से अधिक भोजन करने पर पाचन शक्ति गड़बड़ा जाती है। भोजन करने के बाद आफरा अपच जैसी शिकायत हो सकती है। अमाशय में दो भाग भोजन एक भाग पानी और एक बार खाली रखना चाहिए। जिससे आमाशय अपना कार्य सही प्रकार से कर सके।
भोजन कैसा हो
तुरंत बना हुआ गरमा गरम भोजन करना चाहिए । भोजन में हरी पत्तेदार सब्जियां, दाल, रोटी, चावल, दही, छाछ होनी चाहिए आयुर्वेद में ऋतु के अनुसार खानपान को बता रखा है। शरद ऋतु में छाछ का प्रयोग वर्जित है। भोजन के साथ हल्का सुपाच्य सलाद का प्रयोग करना चाहिए। भोजन में सभी रस होने पर भोजन उत्तम माना जाता है। कटु तिक्त कषाय मधुर अम्ल लवण सभी रस होने पर शरीर में व्यवस्थित रूप से पोषण होता है। सात्विक भोजन सबसे उत्तम माना गया है। क्षेत्र परिस्थिति के अनुसार भोजन अलग-अलग प्रकार का हो सकता है।
भोजन के बीच में अंतराल
आयुर्वेद मतानुसार भोजन ऋषि मुनियों द्वारा केवल एक बार ही किया जाता था। परंतु एक सांसारिक मनुष्य को दिन में दो बार भोजन करना चाहिए। सुबह का भोजन 12:00 बजे से पूर्व और शाम का भोजन सूर्यास्त से पहले कर लेना चाहिए। कम से कम भोजन के पचने में 6 घंटे का समय लगता है। इसलिए कम से कम 6 घंटे का अंतराल आवश्यक है। पहले किया हुआ वो पच जाने पर और पर्याप्त भूख लगने पर ही भोजन करना चाहिए।
भोजन से जुड़ी कुछ जरूरी जानकारियां
- शक्कर की जगह पर शहद या गुड़ का प्रयोग करना चाहिए।
- चोकर युक्त आटे का प्रयोग करना चाहिए।
- जंक फूड का सेवन नहीं करना चाहिए।
- पनीर दही का प्रयोग सप्ताह में एक या दो बार करना चाहिए।
- ठंडा गर्म को मिलाकर नहीं खाना चाहिए। जैसे कि जैसे दही और परांठा
- दूध में कभी नमक डाले हुए खाद्य सामग्री का प्रयोग में नहीं करना चाहिए।
- सब्जियों को ज्यादा नहीं पकाना चाहिए। क्योंकि ज्यादा पका लेने से पोषक तत्व कम हो जाते हैं।
भोजन करते समय क्या ना करें
भोजन कैसे करें
- खड़े रहकर भोजन नहीं करना चाहिए।
- भोजन करते समय वार्तालाप ना करें।
- भोजन करते समय जल का सेवन न करें। अत्यधिक आवश्यकता पर ही एक या दो घूंट जल का सेवन करें।
- भोजन के बीच में कोल्डड्रिंक अथवा फल का सेवन ना करें।
- विरुद्ध प्रकृति वाले भोजन सेवन ना करें। जैसे दूध के साथ मछली दूध के साथ बैंगन इत्यादि।
- जल्दी-जल्दी भोजन ना करें। इससे भोजन श्वास नली में जाने की संभावना रहती है। बीच में हिचकी आने की संभावना भी रहती है।
- बहुत धीरे-धीरे भोजन ना करें क्योंकि धीरे-धीरे भोजन करने से भूख नहीं मिटती। भोजन अधिक मात्रा में कर लिया जाता है। भोजन ठंडा हो जाता है। और वह सही तरीके से नहीं पचता है।
- भोजन करने के तुरंत पहले जल का सेवन ना करें।
- भोजन करने के तुरंत बाद भी जल का सेवन ना करें। थोड़ी देर लगभग आधा घंटे के बाद जल का सेवन करें।
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