महायोगराज गुग्गुल

महायोगराज गुग्गुल

आज हम जानेंगे महायोगराज गुग्गुल के घटक द्रव्य, उपयोग, मात्रा, अनुपान सावधानियों के बारे में । भारत भैषज्य रत्नाकर के अनुसार सभी प्रकार के वात रोगों में महायोगराज गुग्गुल का उपयोग किया जाता है । आपके दिमाग में एक सवाल जरूर आता होगा योगराज गूगल और महायोगराज गूगल में क्या फर्क है ? योगराज गुग्गुल के मुकाबले महायोगराज गुग्गुल जीर्ण वात रोगों में उपयोग किया जाता है । क्योंकि महायोगराज गुग्गुल में आयुर्वेदिक भस्म ( जैसे मंडूर भस्म, वंग भस्म , नाग भस्म, रस सिंदूर, रजत भस्म लोह भस्म, अभ्रक भस्म) का प्रयोग अतिरिक्त किया जाता है ।

महायोगराज गुग्गुल के घटक द्रव्य घटक द्रव्य-

  1. शुंठी (सोंठ)
  2. पिप्पली
  3. पिप्पलिमुल
  4. चव्य
  5. चित्रक
  6. हिंगु
  7. अजमोदा
  8. सषर्प
  9. गज पिपली
  10. कटु का
  11. रेणुक बीज
  12. अतिविषा
  13. भांर्गी
  14. वचा
  15. मुर्वा
  16. इंद्रयव
  17. पाठा
  18. विडंग
  19. सफेद जीरा( श्वेत जीरक )
  20. काला जीरा( कृष्ण जीरक )
  21. हरड़
  22. बहेड़ा
  23. आमला
  24. मंडूर भस्म
  25. वंग भस्म
  26. नाग भस्म
  27. रस सिंदूर
  28. रजत भस्म
  29. लोह भस्म
  30. अभ्रक भस्म
  31. शुद्ध गुग्गल

( दशमूल शोधित)

महायोगराज गुग्गुल के गुण-

  • यह त्रिदोष नाशक है । तीनों दोषों ( वात ,पित्त , कफ)को सामान्य अवस्था में लाता है ।
  • सभी प्रकार के नए पुराने वात रोगों में इसका उपयोग किया जाता है ।
  • यह रसायन और दीपन पाचन औषधि है ।
  • शरीर में पाचन संस्थान में जाकर आम दोष को दूर करती है ।
  • सभी सात धातु ( रस रक्त मांस मेद अस्थि मज्जा शुक्र) को पुष्ट करती है ।
  • शरीर में कांति और ओज को बढ़ाता है ।
  • यह औषधि योग वाही है ।

महायोगराज गुग्गुल का उपयोग-

  1. संधिवात, आमवात, वातरक्त, जोड़ों का दर्द ,पुराना दर्द, सभी प्रकार की वात रोगों में महायोगराज गुग्गुल का उपयोग आयुर्वेद चिकित्सक द्वारा किया जाता है ।
  2. रक्त विकार तथा कुष्ठ रोग में भी महायोगराज गुग्गुल का उपयोग किया जाता है ।
  3. मस्सों की समस्या( अर्श, भगंदर) की समस्या में भी महायोगराज गुग्गुल का उपयोग किया जाता है ।
  4. पाचन संस्थान की सभी बीमारियां जैसे कि भूख ना लगना, भोजन न पचना, पेट में आफरा होना, आदि में उपयोग किया जाता है ।
  5. गुल्म ( अंग्रेजी भाषा में सिस्ट कहा जाता है) शरीर में होने वाले गुल्म अर्थात हवा से भरे गुब्बारे के समान शरीर में किसी की जगह चाहे वह गर्भाशय हो अथवा किसी अन्य जगह होने पर महायोगराज गुग्गुल का उपयोग आयुर्वेद चिकित्सकों द्वारा किया जाता है ।
  6. माइग्रेन की समस्या हो तो भी महायोगराज गूगल का उपयोग किया जाता है ।
  7. पुरुषों में शुक्र दोष हो दुर्बलता तथा महिलाओं में वंध्यत्व की समस्या दोनों ही समस्याओं में महायोगराज गुग्गल का उपयोग किया जाता है ।
  8. जिन महिलाओं में अनियमित मासिक , दर्द के साथ माहवारी, की समस्या हो तो भी किस औषधि का प्रयोग किया जाता है ।
  9. मधुमेह में भी इस औषधि का प्रयोग किया जाता है ।
  10. शरीर में कहीं पर भी होने वाली सूजन को कम करता है ।

मात्रा-

दो से 4 गोली दिन में 2 बार रोग के अनुसार आयुर्वेद चिकित्सा विशेषज्ञ के निर्देशानुसार सेवन करना चाहिए ।

अनुपान-

रोग के अनुसार तथा अनुपान भेद से रोगों में अलग – अलग रोगों में उपयोग किया जाता है ।

रसनासप्तक क्वाथ , त्रिफला क्वाथ, महारास्नादि काढ़ा, दशमूलारिष्ट अमृतारिष्ट, शहद, गाय के मूत्र, या गुनगुने जल से ।

सावधानी –

बिना चिकित्सक की सलाह के महायोगराज गुग्गुल का प्रयोग ना करें ।

औषधि को बच्चों की पहुंच से दूर रखें ।

औषधि को सूखे स्थान पर रखें ।

चेतावनी- यहां पर दी गई समस्त जानकारी चिकित्सा परामर्श नहीं है । किसी भी आयुर्वेदिक और सी के सेवन से पूर्व आयुर्वेद विशेषज्ञ की सलाह आवश्यक है ।

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