माइग्रेन का इलाज आयुर्वेदिक

माइग्रेन का इलाज आयुर्वेदिक

माइग्रेन का इलाज आयुर्वेदिक- आयुर्वेद के अनुसार, माइग्रेन या अर्धावभेदक एक तरह का मस्तिष्कगत रोग है जो मस्तिष्क के कुछ हिस्सों में बड़ा दर्द करता है। इस रोग में मस्तिष्क के रक्त संचार में बदलाव हो जाते हैं, जो रक्त संचार कम होने या ज्यादा होने से हो सकते हैं। इससे रोगी को सिरदर्द, अक्सर एक तरफ से दर्द, उल्टी, त्वचा के संबंधित समस्याएं, चक्कर, थकान और तनाव जैसे लक्षण हो सकते हैं।

अधिकतर आयुर्वेदिक विशेषज्ञ इस रोग का कारण बताने में संवेदनशील होते हैं। कुछ आयुर्वेदिक दवाओं जैसे जड़ी बूटियों और औषधियों का उपयोग कर मस्तिष्क के रक्त संचार में सुधार करने की कोशिश की जाती है। इसके अलावा, रोगी को आहार विशेषज्ञ की सलाह पर आहार के संबंधित सुझाव भी दिए जाते हैं।

अर्धावभेदक (माइग्रेन ) के कारण

अर्धावभेदक या माइग्रेन के कारण विभिन्न होते हैं और इसमें आमतौर पर एक से अधिक कारण हो सकते हैं। कुछ मुख्य कारण –

  1. मस्तिष्क संबंधी समस्याएं: मस्तिष्क संबंधी समस्याएं जैसे कि मस्तिष्क के रक्त संचार में असंतुलन, मस्तिष्क के किसी भाग के अंग्रेज़ी या वायरल संक्रमण, मस्तिष्कीय ट्यूमर आदि अर्धावभेदक के कारण हो सकती हैं।
  2. अनियमित खान-पान: खाने-पीने की अनियमितता या गलत आहार खाने से भी माइग्रेन हो सकता है।
  3. समस्यात्मक तनाव: समस्यात्मक तनाव या स्ट्रेस भी अर्धावभेदक के लिए एक मुख्य कारण हो सकता है।
  4. हार्मोनल बदलाव: महिलाओं में अवधि के साथ-साथ हार्मोनल बदलाव के समय भी माइग्रेन का खतरा बढ़ जाता है।
  5. दवाओं का सेवन: कुछ दवाओं के सेवन के कारण भी माइग्रेन हो सकता है।
  6. आंखों से संबंधित समस्याएं: अनियमित आंखों का दबाव, दूरबीन या चश्मे का उपयोग, आंखों से संबंधित समस्याएं भी माइग्रेन का कारण है ।
  7. शीतलता या गर्मी का प्रभाव: शीतलता या गर्मी के मौसम के दौरान माइग्रेन के खतरे को बढ़ाता है।
  8. अधिक मात्रा में शराब या चाय का सेवन: अधिक मात्रा में शराब या चाय का सेवन भी माइग्रेन का कारण बन सकता है।
  9. अधिक धूम्रपान करना: धूम्रपान करने से भी माइग्रेन हो सकता है।
  10. अनियमित नींद या उत्तेजित मनोवृत्ति: अनियमित नींद भी इसका कारण है । समय पर प्रयाप्त नींद लेवे ।

माइग्रेन में आम तोर पर उपयोग की जाने वाली आयुर्वेदिक दवाइयाँ

माइग्रेन एक ऐसी समस्या है जिसमें शिरा में दर्द होता है जो ज्यादातर एक तरफ होता है और उसे ठीक से नहीं समझा जा सकता है। आयुर्वेद में कई ऐसी दवाएं हैं जो माइग्रेन के इलाज में सहायता कर सकती हैं।

  1. शंखपुष्पी चूर्ण – यह चूर्ण माइग्रेन के दर्द को कम करने में मदद करता है। इसे एक गिलास पानी के साथ दिन में दो बार लें।
  2. ब्राह्मी – ब्राह्मी का उपयोग माइग्रेन के लक्षणों को कम करने में मदद करता है। इसे चूर्ण या कैप्सूल के रूप में लिया जा सकता है।
  3. जटामांसी – जटामांसी माइग्रेन और अधिक तनाव के लक्षणों को कम करने में मदद करता है। इसे चूर्ण या कैप्सूल के रूप में लिया जा सकता है।
  4. अश्वगंधा – अश्वगंधा माइग्रेन और तनाव को कम करने में मदद करता है। इसे चूर्ण या कैप्सूल के रूप में लिया जा सकता है।
  5. अमलकी – अमलकी माइग्रेन के दर्द को कम करने में मदद करता है और शिरा की रक्त संचार को बढ़ाता है। इसे फल, मुरब्बा, चूर्ण या रस के रूप में लिया जा सकता है।
  6. गुग्गुल – गुग्गुल माइग्रेन के दर्द को कम करने में मदद करता है और शिरा में दर्द और स्पष्टता को कम करता है। इसे गोलियों के रूप में लिया जा सकता है।
  7. शिरशूलादि वज्र रस – यह रस माइग्रेन के लक्षणों को कम करने में मदद करता है। इसे एक चम्मच से तीन चम्मच तक दिन में दो बार लें।
  8. आनंद भैरव रस 5 ग्राम गुड 50 ग्राम खसखस 50 ग्राम नारियल बुरा 50 ग्राम के 30 लड्डू बराबर मात्र के बना लेवें । प्रातः 4 बजे उठ कर 1 लड्डू का सेवन करे । और पुनः सो जावें । ऐसा 30 दिन तक करने से माइग्रेन की समस्या जड़ से ख़त्म हो जाती है । अनुभूत चिकित्सकीय योग है ।
  9. सर्पगंधा – सर्पगंधा माइग्रेन के दर्द को कम करने में मदद करता है और तनाव को दूर करता है। इसे चूर्ण, कैप्सूल या तेल के रूप में लिया जा सकता है।

आयुर्वेद के अनुसार माइग्रेन से बचाव के लिए खान पान

आयुर्वेद के अनुसार, माइग्रेन से बचाव के लिए आहार में कुछ खास तत्व होने चाहिए। यहां कुछ आहार और पेय के बारे में बताया गया है जो माइग्रेन से बचाव में मददगार हो सकते हैं:

  1. पर्याप्त पानी पीना – पानी के सही मात्रा में पीना माइग्रेन से बचाव में मदद कर सकता है। अधिकतम लाभ के लिए, हर दिन कम से कम 2-3 लीटर पानी पीना चाहिए।
  2. तरबूज – तरबूज में विटामिन सी, पोटेशियम, मैग्नीशियम और लाइसीन शामिल होते हैं, जो माइग्रेन से बचाव में मदद कर सकते हैं।
  3. आंवला – आंवला में विटामिन सी और एंटीऑक्सिडेंट प्रभाव होता है, जो माइग्रेन के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है।
  4. हल्दी – हल्दी में एंटीऑक्सिडेंट और एंटी-इन्फ्लेमेटरी प्रभाव होते हैं, जो माइग्रेन से बचाव में मदद कर सकते हैं।
  5. शीतलप्रद आहार – शीतलप्रद आहार जैसे शकरकंद, तरबूज, ककड़ी, खीरा आदि माइग्रेन के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं।
  6. खट्टे खाद्य पदार्थ – छाछ दही इमली अमचुर आचार का सेवन पूर्ण रूप से बंद कर देवें ।
  7. स्पाइसी खाना और चाय न पीना – माइग्रेन से पीड़ित लोगों को स्पाइसी खाने और चाय न पीने की सलाह दी जाती है। इससे माइग्रेन के लक्षणों में बढ़ोतरी हो सकती है।
  8. शुगर और ब्राउन राइस – शुगर और ब्राउन राइस में माग्नीशियम और विटामिन B6 होते हैं, जो माइग्रेन से बचाव में मदद कर सकते हैं।
  9. जीरा – जीरा में अनेक फायदे होते हैं, जिनमें माइग्रेन से बचाव भी शामिल है। जीरा पानी में डालकर पीने से माइग्रेन के लक्षणों में कमी हो सकती है।
  10. शुद्ध घी – शुद्ध घी में विटामिन B12 और विटामिन E होते हैं, जो माइग्रेन से बचाव में मदद कर सकते है ।माइग्रेन का इलाज आयुर्वेदिक

माइग्रेन के लिए घरेलु आयुर्वेदिक नुस्खे

ये हैं कुछ घरेलु आयुर्वेदिक नुस्खे, जो माइग्रेन के लिए उपयोगी है ।

  1. अदरक (Ginger) – अदरक में अनेक औषधीय गुण होते हैं, जो माइग्रेन से राहत प्रदान कर सकते हैं। अदरक को छोटे टुकड़ों में काटकर उसको थोड़े से पानी के साथ पकाएं। इस उपाय से माइग्रेन से राहत मिलती है।
  2. लवंग (Cloves) – लवंग में ऑलीगोनोलेस, काफ़ुरेन, एक्सीलेन आदि तत्व होते हैं जो माइग्रेन से राहत प्रदान करते हैं। एक चम्मच लवंग को पानी में उबालें और उस पानी को चाय की तरह पीने से माइग्रेन के दर्द में कमी हो सकती है।
  3. तुलसी (Holy Basil) – तुलसी के पत्तों में मेथील चवींस, इथील चवींस, कार्वॅक्रोल आदि तत्व होते हैं जो माइग्रेन से राहत प्रदान कर सकते हैं। तुलसी के पत्तों को पीसकर उसका रस निकालें और उसे अपनी जीभ पर लगाकर चाटें।
  4. शहद – शहद में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो माइग्रेन से निजात दिलाने में मदद कर सकते हैं। आप दिन में कुछ बार एक चम्मच शहद का सेवन कर सकते हैं
  5. गुड़ – गुड़ में विटामिन B6 और मैग्नीशियम होते हैं, जो माइग्रेन से बचाव में मदद कर सकते हैं। आप दिन में कुछ गुड़ के टुकड़ों को खाने से माइग्रेन से निजात पा सकते हैं।
  6. ब्राह्मी (Brahmi) – ब्राह्मी में एक्सीपैन, बेटुलीन, बेटुलिक एसिड आदि तत्व होते हैं जो माइग्रेन से राहत प्रदान करती  है । आमला – आमला माइग्रेन से राहत दिलाने में मदद करता है। आप आमले को खाने से पहले या उससे निकली जूस का सेवन कर सकते हैं।

माइग्रेन एक चिकित्सा विज्ञान में एक रोग है जो सिरदर्द, उल्टी, दर्द, या संवेदना के रूप में मान्य है। आयुर्वेद के अनुसार, माइग्रेन के लिए कुछ आयुर्वेदिक दवाएं और नुस्खे हैं, जो इस रोग को कम करने में मदद कर सकते हैं।

उपचार के रूप में, मस्तिष्क की धमनियों में रक्त के प्रवाह को बढ़ाने और उसको शांत करने के लिए पर्याप्त आराम और नींद की जरूरत होती है। दवाओं के रूप में, जैसे त्रिकटु, शंखधौती, वात रक्त, और अश्वगंधा जैसी दवाएं माइग्रेन के लिए आयुर्वेदिक उपचार होती हैं।

आहार में माइग्रेन से बचाव के लिए विभिन्न आहार आयुर्वेदिक संयोजनों का सेवन करना उचित होता है। इसमें ताजा सब्जियां, फल, गर्म मुलायम आहार, ताजगी और खुशबूदार मसालों का सेवन शामिल होता है।

यह पोस्ट सामान्य जानकारी के उद्देश्य से है और इसमें दी गई जानकारी को आपके विशेषज्ञ या चिकित्सक द्वारा सलाह लेने के बदले का विकल्प नहीं माना जा सकता। इस पोस्ट में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल आपको अधिक सूचना देना है और आपकी स्वास्थ्य समस्याओं के लिए सलाह देने की कोशिश नहीं की जा रही है। आपकी स्वास्थ्य समस्या का निदान केवल आपके चिकित्सक द्वारा किया जा सकता है।

माइग्रेन में उपयोग की जाने वाली पेटेंट आयुर्वेदिक दवाइयाँ – अमर सुंदरी वटी , पथ्यादी क्वाथ घन वटी , महावात विध्वंसन रस , बाह्मी वटी , सारस्वत चूर्ण , सरस्वतारिष्ट ,

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