माजून चोबचीनी के फायदे-

माजून चोबचीनी के फायदे-क्या आप घुटनों के दर्द से परेशान हैं? क्या आपको पुरानी खुजली या त्वचा से जुड़ा रोग है । क्या आपका यूरिक एसिड बढ़ा हुआ रहता है? इसके साथ ही कहीं और समस्याओं की दवा है माजून चोबचीनी।

माजून चोबचीनी एक तरह की चटनी है । इसे माजून चोपचीनी भी कहा जाता है । यह एक यूनानी दवा है । कई यूनानी चिकित्सक और आयुर्वेद चिकित्सक इस औषधि के परामर्श से रोगियों को लाभ पहुंचाते हैं ।माजून चोपचीनी बनाने में चोपचीनी का प्रयोग सबसे ज्यादा किया जाता है । यह तीखा होता है स्वाद में कड़वा होता है । गर्म प्रकृति का होने के कारण वात रोग कफ प्रधान रोगों में फायदेमंद होता है । पेट की अग्नि को बढ़ाने के साथ-साथ शरीर में उत्सर्जन तंत्र को भी सही करता है । कमजोरी स्त्री पुरुषों के लिए भी इसका प्रयोग फायदेमंद होता है । ऐसे तो चोपचीनी कई बीमारियों की एक दवा है । अलग-अलग क्षेत्रों में इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है । इसके साथ असगंध और सुरंजान का प्रयोग किया जाता है । आइए जानते हैं और

माजून चोबचीनी के घटक द्रव्य

  1. चोपचीनी 20 तोले
  2. असगंध 10 तोले
  3. मीठी सुरंजान 5 तोले

माजून चोबचीनी बनाने की विधि

सभी को उपरोक्त मात्रा के अनुसार बारीक चूर्ण बना ले । 2 किलो शक्कर की गाढ़ी चासनी बना ले । चासनी में उपरोक्त मात्रा के अनुसार बनाया गया पाउडर मिला ले । इस तरह मिलाकर तैयार किया हुआ अवलेह माजून कहलाताहै ।

माजून चोबचीनी के फायदे– उपयोग

  • त्वचा के रोग के लिए – फोड़े फुंसी दूर करता है ।
  • खून को साफ करने का कार्य ।
  • यूरिक एसिड की मात्रा को नियंत्रण करने के लिए प्रयोग किया जाता है । यूरिक एसिड बढ़ने की वजह से गठिया एवं जोड़ों का दर्द होता है ।
  • जोड़ों का दर्द के लिए फायदेमंद के औषधी है ।
  • यौन रोगों के लिए- योन कमजोरी में भी इसका प्रयोग किया जाता है ।
  • कुष्ठ रोग के लिए-
  • उपदंश सुजाक के कारण होने वाली चर्म रोग के लिए फायदेमंद है ।
  • गठिया- रोग में भी इसका प्रयोग कराया जाता है ।
  • सायटिका – साइटिका जिसमें कमर से लेकर एड़ी तक खिंचाव के साथ दर्द रहता है । रोगी को बैठने उठने एवं चलने में दिक्कत होती है । इसमें भी इसका प्रयोग फायदेमंद है ।
  • उपदंश सुजाक जनित वात रोग के लिए भी प्रयोग कराया जाता है ।

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सेवन मात्रा

एक से दो चम्मच दूध के साथ दिन में दो बार चिकित्सक के निर्देशानुसार सेवन करनी चाहिए ।

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सावधानी

गर्म तासीर होने के कारण पेट में जलन की शिकायत हो सकती है ।

कम मात्रा में सेवन करें ।

चिकित्सक के निर्देशानुसार सेवन करें ।

खट्टी चीजों से परहेज करें । जैसे अचार आमचूर इमली दही छाछ का प्रयोग ना करें ।

चेतावनी- इस लेख में दी गई समस्त जानकारी चिकित्सा परामर्श नहीं है । किसी भी आयुर्वेदिक औषधि के सेवन से पूरे चिकित्सक की सलाह ले ।

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