मुक्ताशुक्ति भस्म का प्रयोग आयुर्वेद चिकित्सकों द्वारा उन रोगियों को दिया जाता है । जो रोगी शंख भस्म या कपर्द भस्म का सेवन नहीं कर सकते । मुक्ताशुक्ति भस्म शंख भस्म और कपर्द भस्म से कम तीव्र होने के कारण छोटे बच्चों, महिलाओं में इसका सेवन करवाया जाता है । उत्तम रोचक, अम्ल पित्त नाशक, भोजन करने के उपरांत होने वाले दर्द में लाभदायक होता है ।
महिलाओं में पित्त प्रकोप के कारण होने वाली एसिडिटी, पेट में जलन, पेट में दर्द, खट्टे कड़वे डकार आना, चक्कर आना, अधिक प्यास लगना जैसी शिकायतों में लाभकारी भस्म है । पित्त का शमन करके पाचन संस्थान में उत्पन्न गर्मी ( जलन या दाह )को कम करता है ।
Table of Contents
मुक्ताशुक्ति भस्म के घटक द्रव्य
१.शुद्ध शुक्ति भस्म
मुक्ताशुक्ति भस्म के उपयोग एवं फायदे
रसतरंगिणी के अनुसार मुक्ताशुक्ति भस्म के सेवन से निम्न फायदे होते हैं ।
- महिलाओ एवं बच्चों में होने वाली एसिडिटी के लिए प्रयोग कराया जाता है ।
- भोजन करने के पश्चात होने वाले परिणाम शूल में इसका सेवन करवाया जाता है।
- अतिसार( डायरिया) रोग में योग स्वरूप ) मुक्ताशुक्ति भस्म का प्रयोग करवाया जाता है।
- विरुद्ध आहार विहार करने के पश्चात होने वाले पेट दर्द में लाभदायक है ।
- पेट का अफारा, गैस की समस्या में भी औषधी योग में मिलाकर इसका प्रयोग करवाया जा सकता है ।
- उल्टी (छर्दी) होने की दिक्कत में मुक्ताशुक्ति भस्म का प्रयोग करवाया जाता है ।
- पेट गैस की वजह से होने वाला सिरदर्द, अथवा पाचन संस्थान की गड़बड़ी के कारण होने वाला सिरदर्द मुक्ताशुक्ति भस्म के सेवन से दूर होता है ।
सेवन मात्रा एवं अनुपान
125 मिलीग्राम से 250 मिलीग्राम आयु के अनुसार दिन में दो बार घी अथवा मधु से( शहद) चिकित्सक के निर्देशन में सेवन करना चाहिए ।
सावधानी-
बच्चों में इसकी सेवन मात्रा का ध्यान रखें ।
अधिक मात्रा में सेवन ना करें।
बिना चिकित्सक की देखरेख में औषधि का प्रयोग ना करें।
कहां से खरीदें?
हर आयुर्वेदिक मेडिकल स्टोर पर आसानी से उपलब्ध है । ऑनलाइन स्टोर पर भी उपलब्ध है ।
चेतावनी- इस लेख में दी गई समस्त जानकारी चिकित्सा परामर्श नहीं है। किसी भी आयुर्वेदिक औषधि के सेवन से पूर्व रजिस्टर्ड आयुर्वेद चिकित्सक(BAMS) की सलाह आवश्यक है ।
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