यम (विवादरहितता और नैतिकता) क्या है ?

यम (विवादरहितता और नैतिकता) क्या है ? यम अष्टांग योग का पहला अंग (लिम्ब) है और इसका मुख्य उद्देश्य योगी के आचरण और नैतिक जीवन को सुधारना है। यम योगी को विवादरहित और नैतिक जीवन जीने की मार्गदर्शना करता है। यम के पांच मुख्य आदरणीय अंश होते हैं:

  1. अहिंसा (Non-violence): यह यम का पहला अंश है, और इसका मतलब है कि योगी को किसी भी प्रकार के हिंसा से दूर रहना चाहिए, चाहे वो शारीरिक हो या मानसिक।
  2. सत्य (Truthfulness): योगी को सदैव सत्य बोलने का संकल्प लेना चाहिए और झूठ बोलने से बचना चाहिए।
  3. अस्तेय (Non-stealing): इसका मतलब है कि योगी को छोटी चोरी से लेकर बड़ी चोरी तक सभी प्रकार की चोरी से दूर रहना चाहिए।
  4. ब्रह्मचर्य (Celibacy or Moderation): यह योगी को वीर्यसेमेन का संयम रखने और योग के उद्देश्य के लिए इसका सही उपयोग करने की सलाह देता है।
  5. अपरिग्रह (Non-possessiveness): योगी को अपनी इच्छा से बिना आवश्यकता के चीजों को न बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए और आत्मनिर्वाचन की ओर प्रगति करना चाहिए।

यम योग के आधार होते हैं और योगी को इन मूल नैतिक गुणों का पालन करने का संकल्प लेने की सलाह देते हैं, जो उनके आध्यात्मिक और मानसिक साधना में मदद करते हैं।

Translate »
Scroll to Top