यशद भस्म के गुण

यशद भस्म के गुण

यशद भस्म के गुण-यशद भस्म जिसे जसद भस्म भी कहते हैं। यह कई रोगों में आयुर्वेदिक औषधि के रूप में शुद्ध करने के पश्चात आयुर्वेद चिकित्सकों द्वारा रोगियों पर प्रयोग की जाती है।

बुखार ,दस्त ,आंतो की सुजन के साथ साथ कई बीमारियों की दवा है । आइये जानते है और भी यशद भस्म के बारे मे ।

यशद भस्म के घटक द्रव्य

यशद

भावना

घृतकुमारी

नीम स्वरस ( नीम के पत्तों का रस)

यशद भस्म के गुण

आंखों के लिए- नेत्र रोगों के लिए अत्यंत गुणकारी औषधि मानी जाती है । इन रोगों से निजात पाने के लिए एक तरह का अंजन मनाया जाता है।

जिसमें 125 मिलीग्राम यशद भस्म का प्रयोग किया जाता है । मक्खण के साथ मिलाकर अथवा शत धौत घृत का प्रयोग किया जाता है । दिन में दो बार अंजन करने से फायदा होता है। आंखों में होने वाले घाव को जल्दी भरता है ।

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यशद भस्म के गुण बुखार के लिए-

पुराना बुखार जिसमें शरीर में जलन रहती है । रोगी में घबराहट और व्याकुलता रहती है । बुखार 101 से 102 डिग्री तक रहता है । ऐसे बुखार के लिए यशद भस्म का प्रयोग फायदेमंद होता है ।

यशद भस्म के गुण अतिसार( दस्त के लिए)-

बच्चों अथवा बड़ों में होने वाले पतले दस्त । आंतों में सूजन के कारण होने वाले दर्द । उल्टी की समस्या भी हो । आंत्रशोथ की वजह से आने वाले बुखार में भी इसका प्रयोग फायदेमंद रहता है ।

यशद भस्म के गुण श्वास रोग-

श्वास रोग में भी अन्य आयुर्वेदिक औषधियों के साथ में यशद भस्म योग बनाकर प्रयोग करवाई जाती है । ट्यूबरक्लोसिस की वजह से होने वाला श्वास अथवा श्वास नली में कफ जम जाने के कारण होने वाला श्वास रोग के लिए फायदेमंद होती है ।

यशद भस्म के गुण डायबिटीज-

आज के समय में हर घर में एक डायबिटीज का पेशंट आपको मिल जाएगा । यशद भस्म मधुमेह रोगियों के लिए भी फायदेमंद होती है इंसुलिन की कमी पूर्ति नहीं होने के कारण खून में शक्कर की मात्रा अधिक हो जाती है । और खून से मूत्र के माध्यम से बाहर निकलती है । इसके नियमन के लिए आधुनिक विज्ञान में इंसुलिन का प्रयोग किया जाता है ।

आयुर्वेद में मधुमेह रोगियों के लिए यशद भस्म फायदेमंद और उपयोगी होती है । हाथ पैरों का टूटना, हाथों पैरों में जलन, हल्का बुखार, बार-बार प्यास लगना, शरीर में सुई चुभने जैसी पीड़ा होना । अधिक थकावट रहना । इत्यादि समस्याओं के लिए उपयोगी है ।

पीलिया-

किसी भी प्रकार के रोग है के कारण होने वाला पीलिया । यशद भस्म के सेवन से फायदा होता है । पीलिया के कारण हाथों पैरों में दर्द होना ।

शरीर का रंग पीला पढ़ना तथा पित्त की प्रधानता होने पर आयुर्वेद चिकित्सकों द्वारा यशद भस्म का प्रयोग किया जाता है ।

क्षय रोग( ट्यूबरक्लोसिस)-

ऐसे रोगी जिनको अभी-अभी क्षय रोग का निदान हुआ है । ऐसे रोगियों में शुरुआत में रहने वाला हल्का बुखार के लिए यशद भस्म का प्रयोग किया जाता है ।

ट्यूबरक्लोसिस के कारण फेफड़ों में आई कमजोरी , फेफड़ों के संक्रमण के कारण बुखार आता हो। सुबह सुबह में पसीना आता हो ।

शरीर में ताकत की कमी के साथ-साथ लगातार वजन कम होना और कमजोर होती जाना । जैसी शिकायत में भी शिलाजीत के साथ में यशद भस्म का प्रयोग लाभदायक होता है ।

गले के रोग-

गंडमाला( कंठमाला) केले में हो रही छोटी-छोटी अथवा बड़ी-बड़ी गांठे होने पर यशद भस्म का प्रयोग करवाया जाता है ।

आंतों की सूजन-

आंत्रशोथ के कारण आंतों में आई हुई सूजन को दूर करता है ।आंतों में सूजन के कारण होने वाला बुखार और रक्त स्त्राव होने से बचाता है

घाव सुखाने के लिए-

सभी प्रकार के घाव , अर्श भगंदर, दुष्ट व्रण , पुराना घाव , सुखाने के लिए फायदेमंद होता है ।

पित्ती उछलना( शीतपित्त)-

पित्ती उछलना जिसे अंग्रेजी में एलर्जी के नाम से जानते हैं ।

शरीर पर चकत्ते हो जाना । फेफड़ों में संक्रमण के कारण होने वाले घाव को भी सुखाता है।

बच्चों की शारीरिक कमजोरी-

जन्मजात होने वाली शारीरिक सारीकमजोरियां – जैसे शरीर के पीठ स्तन मस्तिष्क जैसे स्थानों पर गांठ बन जाना । और उसके साथ ही रसोली बनकर लगातार रिसता रहता है ।

सेवन मात्रा-

125 मिलीग्राम से 250 मिलीग्राम

मक्खन मिश्री के साथ मिश्री अथवा मलाई के साथ ,दूध घी के साथ ।

चिकित्सक के निर्देशानुसार रोग के अनुसार सेवन करें । दिन में 2 बार ।

अनुपान –

ताल मखाने का जल , मक्खन मिश्री, दूध घी , मलाई के साथ ।

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कहां से खरीदें?

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सावधानी-

उपदंश रोग के कारण होने वाले उपद्रव में यशद भस्म का प्रयोग नहीं करना चाहिए ।

चिकित्सक की सलाह से सेवन करे ।

अधिक मात्रा में सेवन न करे ।

चेतावनी- इस लेख में दी गई समस्त जानकारी चिकित्सा परामर्श नहीं है ।

किसी भी आयुर्वेदिक औषधि के सेवन से पूर्व आयुर्वेद विशेषज्ञ आयुर्वेद वैद्य की सलाह जरूर ले ।

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