रस पर्पटी के फायदे-रस पर्पटी एक आयुर्वेदिक दवा है । जो विशेष रूप से आमाशय एवं आंतों से जुड़े हुए रोगो के लिए विशेष लाभकारी है । जैसे संग्रहणी, अतिसार, पेट के छाले, आंतों में होने वाले छाले, आंतों में सूजन, बवासीर जैसी कई बीमारियों के लिए आयुर्वेद चिकित्सकों द्वारा सेवन करवाया जाता है । पर्पटी कल्पना में औषधि की मात्रा को धीरे धीरे बढ़ाया जाता है निश्चित समय के लिए । धीरे-धीरे औषधि की मात्रा को कम किया जाता है । आइए जानते हैं और भी रसपर्पटी के बारे में ।
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रस पर्पटी के घटक द्रव्य
- शुद्ध पारद
- शुद्ध गंधक
भावना द्रव्य
भांगरे की रस में गंधक का 7 दिन तक मर्दन किया जाता है ।
पारद को भृंगराज काकामाची जया पत्र भांग अरंडी के पत्तों में 3 दिन तक रस का स्वेदन किया जाता है । इसके बाद रस पर्पटी का निर्माण किया जाता है ।
सेवन मात्रा-
125 मिलीग्राम से 250 मिलीग्राम रोगी की शक्ति के अनुसार दिन में 3 बार धीरे-धीरे मात्रा बढ़ाई जाती है । रस पर्पटी शहद के साथ अथवा देसी शुद्ध घी अथवा दूध के साथ हींग और जीरे के साथ चिकित्सक के निर्देशानुसार सेवन करवाया जाता है ।
रस पर्पटी के फायदे एवं उपयोग –
- संग्रहणी रोग में
- आंतों में छाले होने की स्थिति में
- दस्त की शिकायत में
- भोजन का पाचन सही से ना होने की स्थिति में ।
- पेट दर्द में ।
- बवासीर की शिकायत में ।
- अमाशय में पित्त स्त्राव कम पानी की वजह से भोजन ठीक से ना बचने की स्थिति में ।
- आंतों में सूजन होने पर
- बार-बार होने वाला पतला दस्त ।
- पाचन की क्रिया गड़बड़ हो जाने की स्थिति में ।
- दुर्गंध के साथ होने वाले दस्त ।
- दूषित खानपान की वजह से पेट में होने वाली कीड़ों को नष्ट करने में ।
- चावल के धोबन के समान होने वाले दस्त के लिए ।
- खाने के तुरंत बाद होने वाली दस्त की शिकायत में । थोड़ी थोड़ी देर में बार-बार होने वाली दस्त।
- जब अफीम युक्त औषधिया भी कार्य करना छोड़ दें ।
- आम का पाचन होता है ।
- उपदंश जनित बार-बार होने वाली दस्त की शिकायत में ।
- पुराने अतिसार में रसपर्पटी के साथ में लघु गंगाधर चूर्ण जातिफलादि चौहान मिलाकर देने से फायदा होता है ।
और पढ़े ..पर्पटी क्या होता है
सावधानी
रस पर्पटी की प्रकृति पित्त को बढ़ाने वाली है । इसलिए पित्त प्रकृति के रोगियों के लिए फायदेमंद नहीं है।
पर्पटी कल्पना का उपचार प्रशिक्षित वैद्य की सलाह से करें ।
कहाँ से ख़रीदे ?
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रस पर्पटी के सेवन करते समय क्या ध्यान रखें?
- नमक का सेवन बंद करवाएं ।
- अन्न जल का त्याग औषधि चलने तक करवाएं । चिकित्सक के निर्देशानुसार ।
- पानी जरूरत पड़ने पर गर्म करके ठंडा होने के बाद सेवन करवाएं ।
- 40 दिन तक लगातार रस पर्पटी का सेवन (चिकित्सक के निर्देशानुसार )
- ब्रह्मचर्य का पालन करें ।
- तेल से बने हुए खाद्य पदार्थ ना खाएं ।
- केले का सेवन ना करें ।
- मानसिक चिंता ना करें
- काम क्रोध से दूर रहे ।
- मांसाहार का सेवन ना करें ।
- खट्टे खाद्य पदार्थ इमली आमचूर दही का प्रयोग ना करें ।
- गन्ने का रस सेवन ना करें । गन्ने से बने हुए खाद्य पदार्थों का सेवन ना करें ।
- सभी प्रकार के व्यसन का त्याग करें ।
- चाय ठंडी करके पिए ।
- नारियल पानी का सेवन करें ।
- ताजा दूध का सेवन करें ।
- चिकित्सक के निर्देशानुसार आहार का सेवन करें ।
चेतावनी
लेख में दि गई समस्त जानकारी चिकित्सा परामर्श नहीं है ! किसी भी आयुर्वेदिक औषधि के सेवन से पूर्व आयुर्वेद चिकित्सक की सलाह जरुर लेवे !
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