रस सिंदूर: आयुर्वेद का चमत्कारी रसायन

रस सिंदूर

रस सिंदूर क्या है?

रस सिंदूर आयुर्वेद में उपयोग की जाने वाली एक अत्यंत प्रभावशाली औषधि है, जिसे कुपिपक्व विधि से तैयार किया जाता है। यह औषधि विशेष रूप से फेफड़ों के लिए लाभकारी मानी जाती है। रस सिंदूर फेफड़ों में जमा कफ को पिघलाकर बाहर निकालने का कार्य करता है। यह पुरानी खांसी, अस्थमा, नजला-जुकाम, राजयक्ष्मा (ट्यूबरक्लोसिस) जैसे रोगों में अत्यंत प्रभावी है।


कुपिपक्व विधि क्या है?

कुपिपक्व विधि आयुर्वेद की एक विशेष प्रक्रिया है जिसमें शुद्ध किए गए द्रव्यों को विशेषज्ञों की देखरेख में अग्नि संस्कार के माध्यम से मिट्टी की बनी कुपिका में पकाया जाता है।

  • वालूका यंत्र का उपयोग कर औषधि को विशेष तापमान पर पकाया जाता है।
  • प्रक्रिया के दौरान द्रव्य का कुछ भाग कुपिका के कंठ भाग में इकट्ठा होता है, जिसे कंठस्थ कहते हैं।
  • शेष भाग कुपिका के तल में तलस्थ के रूप में जमा हो जाता है।

इस विधि में विशेषज्ञता अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि यदि औषधि सही तरीके से नहीं बनाई जाती, तो यह विषैली हो सकती है।


रस सिंदूर के घटक द्रव्य (Ingredients)

रस सिंदूर को निम्नलिखित शुद्ध किए गए द्रव्यों से तैयार किया जाता है:

  1. शुद्ध पारद (Mercury)
  2. शुद्ध गंधक (Sulphur)
  3. शुद्ध नवसागर (Ammonium Chloride)

रस सिंदूर के उपयोग एवं फायदे (Benefits and Uses)

1. पुरानी खांसी में उपयोगी

यह औषधि पुरानी खांसी को ठीक करने में अत्यंत प्रभावी है।

2. दमा और श्वास रोग

अस्थमा और श्वसन संबंधी समस्याओं में इसका उपयोग किया जाता है।

3. फेफड़ों के संक्रमण में लाभकारी

यह फेफड़ों में होने वाले संक्रमण को ठीक करने और उन्हें स्वस्थ बनाए रखने में सहायक है।

4. राजयक्ष्मा (ट्यूबरक्लोसिस)

रस सिंदूर को राजयक्ष्मा के उपचार में उपयोग किया जाता है।

5. हिक्का रोग

बिना रुके लगातार हिचकी आने की समस्या में यह औषधि प्रभावी है।

6. वातश्लेष्मिक ज्वर

सर्दी-जुकाम, बुखार और खांसी के कारण होने वाले ज्वर में रस सिंदूर फायदेमंद है।

7. फेफड़ों की झिल्ली में सूजन

फेफड़ों की झिल्ली में सूजन के कारण होने वाले बुखार में यह औषधि लाभकारी है।


सेवन विधि और मात्रा (Dosage)

  • मात्रा:
    30 मिलीग्राम से 60 मिलीग्राम, दिन में दो बार।
  • अनुपान (With):
    शहद या अदरक का रस, रोग के अनुसार।
  • सेवन हमेशा आयुर्वेदिक चिकित्सक के निर्देशानुसार करें।

विशेष सावधानियां (Precautions)

  1. अधिक मात्रा में सेवन से गंभीर विषाक्तता हो सकती है।
  2. सूखी खांसी या फेफड़ों में खून आने की समस्या में इसका उपयोग नहीं करना चाहिए।
  3. इसे बच्चों की पहुंच से दूर रखें।
  4. फ्रीज में स्टोर न करें; इसे सामान्य तापमान पर सूखी जगह में रखें।
  5. केवल अच्छी मानक वाली फार्मेसी का ही रस सिंदूर उपयोग करें।
  6. बिना चिकित्सक की सलाह के इसका सेवन न करें।

कहां से खरीदें?

रस सिंदूर आपको हर आयुर्वेदिक मेडिकल स्टोर पर आसानी से मिल जाएगा। यह ऑनलाइन स्टोर्स पर भी उपलब्ध है। सुनिश्चित करें कि आप इसे किसी भरोसेमंद स्रोत से खरीदें।

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डिस्क्लेमर (Disclaimer)

यह जानकारी केवल शैक्षणिक उद्देश्य के लिए है। किसी भी औषधि का सेवन करने से पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें।


याद रखें: रस सिंदूर एक अत्यंत प्रभावशाली आयुर्वेदिक औषधि है, लेकिन इसे केवल चिकित्सकीय मार्गदर्शन में ही उपयोग करें। सही मात्रा और सही अनुपान के साथ यह आपके स्वास्थ्य को बेहतर बना सकती है।

सावधानी- इस लेख में दी गई समस्त जानकारी चिकित्सा परामर्श नहीं है । किसी भी आयुर्वेदिक औषधि के सेवन से पूर्व रजिस्टर्ड आयुर्वेद चिकित्सक की सलाह अवश्य ले ।

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