लक्ष्मी नारायण रस- laxminarayan ras यह एक आयुर्वेदिक औषधि( ayurvedic medicine) योग है । आयुर्वेद में लक्ष्मीनारायण रस विशेषकर सभी प्रकार के बुखारो के लिए एवं बच्चों में आक्षेप आने की समस्या को दूर करने के लिए अत्यंत उपयोग औषधि है । लक्ष्मीनारायण रस के उपयोग से आंत्रिक ज्वर ,विषम ज्वर ,सन्निपात ज्वर, पुराने से पुराना बुखार सभी के लिए गुणकारी है । आइए जानते हैं और लक्ष्मी नारायण रस के बारे में-
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लक्ष्मी नारायण रस laxminarayan ras के घटक द्रव्य
- शुद्ध हिंगुल
- अभ्रक भस्म
- शुद्ध गंधक
- सुहागा
- शुद्ध बच्छनाभ
- निर्गुंडी के बीज
- अति विष
- पीपल
- कूड़ा की छाल
- सेंधा नमक
सभी की बराबर मात्रा
दंती मूल और त्रिफला के काढ़े की तीन तीन भावनाएं देने के बाद 125 मिलीग्राम की गोलियां बना लेना ।
(यो.र के अनुसार)
सेवन मात्रा
- 125 मिलीग्राम से 250 मिलीग्राम
- शहद अथवा अदरक के रस के साथ आयुर्वेद चिकित्सक निर्देशन में सेवन करें।
लक्ष्मीनारायण रस laxminarayan ras के फायदे
- पुराना से पुराना बुखार दूर करने में सहायक
- टाइफाइड यानी की आंतरिक ज्वर में लक्ष्मी नारायण रस का उपयोग प्रशस्त माना गया है । आंतों का विष को दूर करता है । 200 का पाचन करता है और बुखार को दूर करता है ।
- एक दिन छोड़कर अथवा दूसरे तीसरे सप्ताह दुर्गंध के साथ होने वाली दस्तऔर तेज बुखार होने पर चिकित्सकों द्वारा मधुरान्तक वटी के साथ देने से सभी प्रकार के उपद्रव और अतिसार रुक जाता है ।
- दस्त की शिकायत प्रवाहिका की शिकायत
- मलेरिया या विषम ज्वर और धातुगत दोष को दूर करता है ।
- ग्रहणी रोग जो आंत्रिक ज्वर के बाद होती है जो दूषित जल और वायु के योग से होती है । पेट में दर्द की शिकायत रहती है थोड़ा-थोड़ा आंव आता है।
- दस्त के साथ खून जाने की समस्या भी हो सकती है । ग्रहणी रोग में लक्ष्मीनारायण रस का उपयोग अत्यंत ही फायदेमंद होता है ।
- खून(blood) के साथ होने वाली दस्त में लाभदायक है ।
- मधुमेह रोगियों के लिए यह लाभदायक है।
- सूतिका रोग (after delivery mothers) एवं दर्द के लिए फायदेमंद है ।
- बच्चों में होने वाला धनुर्वात तान की शिकायत दूर करने में सहायक है।
- सभी प्रकार के बुखार को दूर करने वाला पसीना लाने वाला पाचन संस्थान को सुधारने वाला
- एंटी ऑक्सीडेंट और एंटीबैक्टीरियल गुणों से युक्त होता है ।
- रस रक्त आदि धातुगत बुखार को दूर करने के लिए उपयोगी है।
- इस रस औषधि की खास बात है यह पसीना लाने के साथ राधे को शिथिल नहीं करता है।
- नाड़ियों में विकृति के कारण वात रोग में भी बुखार रहने लगता है रोगियों को देने से वात का शमन होता है ।
- तान की समस्या की वजह से आने वाले मैं समय पर दौरे को रोकने मैं मदद करता है जब बच्चा भयभीत रहता है ।
- सूतिका ज्वर डिलीवरी के बाद होने वाली कमजोरी और बुखार के लिए अत्यंत गुणकारी है । योनि मार्ग में कीटाणु का संक्रमण को रोकने के लिए कारगर औषधि है ।
कहां से खरीदें
आपके नजदीकी आयुर्वेदिक मेडिकल स्टोर पर आसानी से उपलब्ध है ।
चेतावनी – इस लेख में दि गई समस्त जानकारी चिकित्सा परामर्श नहीं है । किसी भी आयुर्वेदिक औषधि के सेवन से पूर्व चिकित्सक की सलाह अवश्य लेवे ।
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