अगर आप कभी आयुर्वेद दवाखाने में सर्दी जुखाम खांसी की शिकायत लेकर गये गोने तो वैद्य जी ने आपको चूसने की गोली जरुर दि होगी । आज हम उसी आयुर्वेदिक नुस्के की बात करने वाले है जिसको लवंगादि वटी के नाम से जानते है ।
Table of Contents
लवंगादि वटी के घटक द्रव्य
लोंग का चूर्ण १ भाग
कालीमिर्च का चूर्ण १ भाग
बहेड़ा १ भाग
खदिर काष्ट सार (कत्था ) ३ भाग
भावना द्रव्य – बबुल की छाल का काढ़ा
लवंगादि वटी बनाने की विधि –
सभी के उपरोक्त अनुपात में चूर्ण लेकर अच्छे से खरल करना है । बबुल की छाल के काढ़े की ३ भावना ( ३ भाग ) देकर ५०० मिलीग्राम की छोटी – छोटी गोलिया बनाकर छाया में सुखाकरकांच की एयर टाईट बर्तन में कमरे के तापमान पर स्टोर करे ।
लवंगादि वटी की सेवन मात्रा
बच्चो को १-१ गोली चूसने के लिए सुबह दोपहर शाम चूसने के लिए देवे । चिकित्सक की सलाह पर सेवन करे ।
लवंगादी वटी के सेवन के समय इन बातो का ध्यान देवे –
खट्टी चीजो का सेवन न करें ।
तले हुए खाद्य पदार्थो का सेवन ना करें ।
ठन्डे पेय पदार्थ , आइसक्रीम दही,छाछ , श्रीखंड आदि का सेवन न करें ।
लवंगादी वटी के फायदे –
- खांसी की समस्या 8 से 12 धनते में दूर करती है । बशर्ते दवा का निर्माण शास्त्रोक्त विधि से हुआ हो ।
- सर्दी जुखाम की समस्या को दूर करने में अत्यन्त गुणकारी दवा
- गले की खराश में जल्द आराम पहुचाये ।
- गले में जमा हुआ कफ बहार निकलने में मदद करता है ।
- मुह के छालो में आराम पहुंचता है ।
लवंगादी वटी कहाँ से ख़रीदे –
हर आयुर्वेदिक दवा स्टोर पर आसानी से उपलब्ध है । ऑनलाइन खरीदने या मूल्य की जानकारी के लिए ऑनलाइन स्टोर को चुने।
वैधानिक चेतावनी – इस लेख में दि गई जानकारी चिकित्सा परामर्श नहीं है । किसी भी आयुर्वेदिक दवा के सेवन से पहले आयुर्वेद चिकित्सक की सलाह अवश्य लेवे ।
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